जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही
धारणी-/ दि.1 महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे देशभर में कुपोषण के अभिषाप के लिए पहचाने जाने वाले मेलघाट में आज भी बालमृत्यु का तांडव शुरु है. चिखलदरा तहसील के जामली आर में बीते एक सप्ताह में दो बालमृत्यु की घटना सामने आयी. इसके बाद भी जिला परिषद का स्वास्थ्य विभाग घोर लापरवाही बरत ही रहा है. पिछले छह माह से तालाबंद पडे सरकारी स्वास्थ्य उपकेंद्र से सटे परिसर में छह वर्षीय मुन्ना बाभनू दहिकर नामक बालक की 28 अगस्त को मौत हो गई. जबकि जामली आर गांव में ही एक पांच वर्षीय पंकज हिरालाल सावरकर की मौत हो गई.
बहुत ही हैरान करने वाली बात यह है कि, जिला स्वास्थ्य विभाग एक तरफ मेलघाट में बालमृत्यु और कुपोषण पर नियंत्रण पाने का दावा करते हुए स्वास्थ्य विभाग आदिवासी बहुल क्षेत्र में चुस्त-दुरुस्त रहने की डिंगे हाक रहा है. दूसरी ओर जामली आर में सरकारी स्वास्थ्य उपकेंद्र में पिछले छह माह से ताला लगा हुआ है. इस उपकेंद्र में कार्यरत सामूदायिक स्वास्थ्य अधिकारी व स्वास्थ्य सेविकाएं 6 माह से गायब है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर यह सबसे बडा प्रश्नचिन्ह निर्माण हुआ है कि, जामली आर गांव के स्वास्थ्य उपकेंद्र से सटे केंद्र में ही मुन्ना दहिकर नामक बालक की इलाज के अभाव में एडिया रगड रगडकर मौत हुई है. इसी गांव के दूसरे बच्चे पंकज सावरकर ने भी वक्त रहते इलाज न मिलने के कारण दम तोड दिया.
हाल ही में मेलघाट में बालमृत्यु, मातामृत्यु और कुपोषण की समीक्षा लेने के लिए विपक्षी नेता अजित पवार धारणी और चिखलदरा का दौरा कर चुके है. इसके अलावा विधान सभा के मानसून क्षेत्र में भी यह मुद्दा जोरशोर के साथ उठाया. कांगे्रस की विधायक सुलभा खोडके ने कुपोषण की त्रासदी को लेकर विधान सभा में अपनी आवाज बुलंद की, लेकिन उस समय विधान सभा को बाल मृत्यु के कम आंकडे प्रस्तुत कर डीएचओ डॉ. दिलीप रनमले ने राज्य के सर्वोच्च सदन महाराष्ट्र विधान मंडल को गुमराह करने का प्रया किया है. इस मामले में विधानसभा सचिव ने डीएचओ रनमले को कारण बताओ नोटीस भी जारी किया गया है. इसके बाद भी जिला परिषद का स्वास्थ्य विभाग मेलघाट में बालमृत्यु, मातामृत्यु और कुपोषण को लेकर लापरवाही बरतने में कही पीछे नहीं है.