पुलिस भर्ती में दो अभ्यार्थियों ने किया जालसाजी का प्रयास
खुद के प्रकल्पग्रस्त रहने के फर्जी प्रमाणपत्र दिए
* जांच पडताल में मामला हुआ उजागर, अपराध दर्ज
* मैदानी व लिखित परीक्षा के बावजूद दोनों सिपाही बनने से चुके
अमरावती/दि.16- स्थानीय शहर पुलिस आयुक्तालय की आस्थापना शाखा में 20 पदों हेतु पुलिस सिपाही भर्ती की प्रक्रिया में शामिल होकर मैदानी प्रात्याशिक व लिखित परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले दो अभ्यर्थी दस्तावेजों की जांच पडताल के दौरान जालसाजी व फर्जीवाडे के दोषी पाए गए है. जिनके खिलाफ स्थानीय फ्रेजरपुरा पुलिस थाने में धोखाधडी व जालसाजी का मामला दर्ज किया गया है. इन दोनों अभ्यर्थियों के नाम रामेश्वर अंकुश खराडे (27, शेलू, तह. वाशी, जि. उस्मानाबाद) तथा तौसीफ मोहम्मद रब्बानी शेख (शंकर जीन, एसआरपीएफ गट क्र. 2, जालना) बताए गए है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक शहर पुलिस आयुक्तालय की आस्थापना पर पुलिस सिपाही भर्ती 2021 के अंतर्गत 20 पदों की भर्ती का विज्ञापन गत वर्ष 6 नवंबर 2022 को प्रकाशित किया गया था. इस 20 पदों में से आर्थिक दुर्बल घटक के सामाजिक आरक्षण के तहत एक पद प्रकल्पग्रस्त अभ्यर्थी हेतु समान्तर आरक्षण में आरक्षित रखा गया था. पश्चात पुलिस सिपाही पदभर्ती 2021 की मैदानी व लिखित परीक्षा होने के बाद 13 अप्रैल 2023 को पुलिस आस्थापना शाखा ने अस्थायी तौर पर चयनित उम्मीदवारों की सूची शहर पुलिस आयुक्तालय की वेबसाइड पर प्रकाशित की थी तथा इस सूची में शामिल उम्मीदवारों को दस्तावेजों की पडताल हेतु अपने मूल शैक्षणिक प्रमाणपत्रों व दस्तावेजों के साथ हाजिर रहने हेतु कहा गया. जिसके अनुसार रामेश्वर अंकुश खराडे (चेस्ट क्रमांक 1538) तथा तौसीफ मोहम्मद रब्बानी शेख (चेस्ट क्रमांक 1119) ने खुद के नाम बीड जिलाधीश कार्यालय के पुनर्वसन अधिकारी व्दारा जारी प्रकल्पग्रस्त रहने का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया. परंतु कुछ समय पूर्व गडचिरोली की पुलिस भर्ती में बीड के कुछ लोगों ने फर्जी प्रकल्पग्रस्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था. इस बात को ध्यान में रखते हुए शहर पुलिस उपायुक्त ने अपराध शाखा के पीएसआई राजकिरण येवले को बीड के जिलाधीश कार्यालय स्थित जिला पुनर्वसन अधिकारी कार्यालय जाकर इन दोनों अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की सत्यता को जांचने हेतु कहा. जिसके चलते पीएसआई येवले ने खुद बीड स्थित संबंधित कार्यालय में जाकर पूछताछ व पडताल की, तो पता चला कि इन दोनों अभ्यार्थियों के नाम उक्त कार्यालय से प्रकल्पग्रस्त रहने का कोई प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया. साथ ही इन दोनों ने जिस क्रमांक के प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए है उस क्रमांक पर किन्हीं अन्य दो व्यक्ति के नाम प्रकल्पग्रस्त रहने का प्रमाणपत्र जारी हुआ है. जिसका सीधा मतलब है कि किसी अन्य व्यक्ति के नाम जारी प्रमाणपत्र का आधार लेते हुए इन दोनो अभ्यार्थियों ने खुद को प्रकल्पग्रस्त बताया और आरक्षित प्रवर्ग से पुलिस भर्ती में शामिल होकर सरकारी नौकरी हासिल करने का प्रयास किया. जो सीधे-सीधे पुलिस विभाग सहित महाराष्ट्र सरकार के साथ धोखाधडी व जालसाजी है. ऐसे में इन दोनों अभ्यर्थियों के खिलाफ फ्रेजरपुरा पुलिस ने भादवी की धारा 420, 467, 468, 471 व 491 के तहत अपराध दर्ज किया गया है. साथ ही मामले की जांच शुरु की गई है.