दो गायों की आजीवन सेवा का जिम्मा उठाया
अनिलबाबू नरेडी व मीनूदीदी पोद्दार की अनूठी गौसेवा
* गोद ली गई गायों का नामकरण श्री नारायणी व श्री सुलोचना रखा
* गोकुलम गौरक्षण संस्था में पूर्ण हुआ दत्तक व नामकरण विधान
अमरावती/दि.22- शहर में तकरीबन 20 किलोमीटर दूरी पर नांदुरा ग्राम में स्थित ‘श्री गोकुलम गौरक्षण संस्था’ में चलनेवाले गौसेवा के कार्य अपने आप में बेहद उल्लेखनीय है व प्रशंसनिय है. इस संस्था द्वारा दूध देने में असक्षम अधिक आयुवाली गायों सहित दिव्यांग व बीमार गायों की देखभाल की जाती है और गायों का भरण-पोषण व संगोपन करने के साथ ही उनका इलाज भी किया जाता है.
शहर के प्रतिष्ठित नागरिक व ख्यातनाम समाजसेवी अनिलबाबू सुगनचंदजी अग्रवाल (नरेडी) विगत अनेक वर्षों से इस संस्था के साथ जुडे हुए है और गौसेवा के कार्यों हेतु समर्पित है. इस बार अपने जन्मदिवस शुक्रवार 11 नवंबर को अनिलबाबू नरेडी के मन में एक नई संकल्पना ने जन्म लिया और उन्होने एक विशेष प्रकार की गौमाता की सेवा करने हेतु गोकुलम में रहनेवाली गायों में से एक बीमार गाय को गोद लेने की अपनी इच्छा संस्था के संचालको के समक्ष जाहीर की. जिसके लिए उन्होंने संस्था को प्रतिमाह 3000 का सहयोग शुल्क अपने जीवन के अंत समय तक दान देने की अपनी तैयारी भी दिखलाई. साथ ही अगले बारह माह के लिए प्रतिमाह 3 हजार रूपये के 12 चेक संस्था को प्रदान करते हुए अपना संकल्प भी पूर्ण किया. साथ ही उन्होंने यह संकल्पपत्र भी लिखकर दिया कि, वे जिस गाय को गोद ले रहे है, उस गाय के दूध व गौमूत्र पर उनका कोई भी अधिकार नहीं रहेगा. उनके इस सेवाभाव से अभिभूत होकर गोकुलम संस्था द्वारा एक गाय को उन्हेें गोद दिया गया. साथ ही यह भी कहा गया कि, यदि उस बीमार गाय का बीच में ही स्वर्गारोहण हो जाता है, तो उसके स्थान पर एक दूसरी गाय अनिलबाबू नरेडी को गोद दी जायेगी. जिसका उनके द्वारा प्रदान की जानेवाली सहयोग राशि से भरण-पोषण किया जायेगा.
विशेष उल्लेखनीय यह रहा कि, उसी दिन यानी शुक्रवार 12 नवंबर को ‘आवला नवमी’ का पर्व था और अनिलबाबू ने श्री राणी सती दादी मंगल उत्सव का आयोजन करवाया था. जिसमें मंगल गान करने हेतु पुणे निवासी मीनूदीदी पोद्दार अमरावती का अमरावती आगमन हुआ. जिनकी अगुवानी करने हेतु अनिलबाबू नरेडी अपनी पत्नी हेमलता के साथ बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर मौजूद थे तथा कार में बडनेरा से अमरावती आते समय उन्होंने अपनी गाय को गोद लेने का संकल्प मीनूदीदी को बताया. साथ ही उनसे गोकुलम गौरक्षण में चलने की विनती की. मीनू दीदी उनके इस संकल्प से बहुत प्रभावित हुई और वे स्वयं भी इसी तरह का संकल्प लेने हेतु तैयार हो गई. पश्चात वे अपने व्यस्त समय में से समय निकालकर श्री गोकुलम गोरक्षण में पधारी. जहां पर संस्था की ओर से पं. देवदत्तजी शर्मा और विनय बोथरा एवं संस्था के पदाधिकारियों ने उनका भावभीना स्वागत किया. इस समय मीनूदीदी पोद्दार ने भी एक गाय को गोद लिया. गोद लेने की पूर्ण प्रक्रिया पं. देवदत्तजी शर्मा एवं अनिलबाबू के साथ आए ब्राह्मणों द्वारा विधिवत तरीके से संपन्न हुई. इस अवसर पर मीनूदीदी ने अपनी गोद ली हुई गाय का नामकरण ‘श्री नारायणी’ नाम से किया और अनिलबाबू की विनती पर उनकी गाय का नामकरण भी ‘श्री सुलोचना’ रखा गया. यहां उल्लेखनीय है कि ‘नारायणी’ यह नाम श्री राणी सती दादी का ही है एवं श्री राणी सती दादी की मां का नाम ‘सुलोचना’ है. ऐसे में यहां पर दत्तक विधान के समय वातावरण भक्तिभावपूर्ण भी हो गया था.
इस अवसर पर संस्था द्वारा मीनूदीदी पोद्दार का शाल व श्रीफल देकर उनका सत्कार किया गया. साथ ही संस्था के विनयबाबु बोथरा ने उन्हें संस्था की पूर्ण जानकारी दी, जिससे अवगत होकर मीनूदीदी पोद्दार संस्था द्वारा किए जानेवाले कार्यों से काफी प्रभावित हुई और भावविभोर होकर उनके नेत्रों से आंसू निकल पडे. मीनूदीदी ने संस्था के कार्यो की बहुत प्रशंसा की और कहा कि वे भविष्य में भी श्री गोकुलम गौरक्षण में पधारेंगी और संस्था द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम में उनसे जो भी बन पडेगा, उसके लिए तमाम आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगी. इस समय विनयबाबू बोथरा ने उन्हेें भविष्य में 3.50 करोड की लागत से बननेवाले हॉस्पिटल के कामकाज के बारे में जानकारी दी, जिसके इस वर्ष में पूर्ण रूप से साकार होने की उम्मीद है.
* गायों के इलाज हेतु विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम
तकरीबन 40 से 50 एकड़ के क्षेत्रफल में फैली हुई गोकुलम संस्था के पास दो हायड्रोलिक एम्बुलेंस वाहन हैं. इस एम्बुलेंस से बीमार व अपाहिज गाय सहित किसी एक्सीडेंट में घायल हुई गाय को एक अकेला ड्राईवर ही बडी आसानी से एम्बुलेंस में लेकर इलाज हेतु संस्था तक ला सकता है. अमरावती शहर से 100 से 150 किमी के दायरे में यदि किसी भी बीमार व अपाहिज या एक्सीडेंट में घायल गाय का इलाज गांव में डॉक्टर का अभाव रहने के चलते नहीं हो पाता, तो उस गाय का इलाज बड़े ही आसान तरीके से संस्था में स्थित पशु वैद्यकीय अधिकारी द्वारा किया जाता है. इस कार्य हेतु संस्था में सेवा देने हेतु सभी प्रकार की एक्सपर्ट टीम है, जिनमें पशु एम्बुलेन्स के ड्राईवर, गायनॉक्लॉजीस्ट, आर्थोपेडिक सर्जन व जनरल सर्जन का समावेश है. इसके बावजूद कोई गाय ठीक नहीं हो पाती है, तो उस गाय का उसके जीवन के अंतिम क्षण तक पूरी तरह से संगोपन किया जाता है और गाय के स्वर्गवासी होेने के बाद संस्था के प्रांगण में एक निश्चित स्थान पर दफन विधि का कार्य धर्म एवं शास्त्रों के अनुसार किया जाता है.
* देसी नस्ल की गायों का किया जाता है संवर्धन व संगोपन
इस संस्था में पूरी तरह से गावरानी यानी देसी नस्ल की गायों का पालन पोषण किया जाता है और गाय के बच्चों को उनकी मां का दूध पिलाया जाता है और बाद में जो थोडा बहुत दूध बचता है वह दूध इंसानों के पीने के लिए उपलब्ध कराया जाता है. इसके पीछे संस्था का उद्देश्य यही है कि आदिकाल में गाय तकरीबन 20 से 25 लीटर दूध देती थी, क्योंकि गाय के बच्चों को उनकी मां का ही दूध पिलाया जाता था. पर फिलहाल के दौर में गाय के पूरे दूध को हम अपना ही मान बैठे हैं और इसी कारण से अभी की गाय पहले जितना दूध नहीं मिल पाता. परंतु संस्था द्वारा गाय के बच्चों को उनकी मां का ही दूध पिलाने के कारण भविष्य में आनेवाली गाय की नस्ल भरपूर देनेवाली बनेगी.
* किसानों को दिया जाता है ऑर्गेनिक खेती का प्रशिक्षण
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, इस संस्था द्वारा किसानों को आर्गेनिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है और एक गाय के आधार पर तकरीबन 10 एकड़ खेती कैसे की जाती है और इसका भी प्रशिक्षण दिया जाता है और गरीब किसानों को आर्गेनिक खेती करने हेतु गाय दान स्वरूप दी जाती है. संस्था द्वारा यह सब क्रियाकलाप गौप्रेमियों व गौसेवकों द्वारा मिलनेवाले सहयोग के आधार पर चलाये जाते है. ऐसे में आर्थिक रूप से संपन्न व सक्षम परिवारों के लिए 100 रूपये रोजाना के हिसाब से प्रतिमाह 3000 रूपये गौसेवा हेतु दान करना कोई बडी बात नहीं है. अत: कोई भी परिवार अपनी इच्छा एवं शक्तिनुसार इससे कम या ज्यादा राशि का भी दान कर सकता है. गोकुलम संस्था को आयकर विभाग की ओर से 80-जी का सर्टिफिकेट भी प्राप्त रहने के चलते दानदाता को आयकर रिटर्न में इस दान राशि के चलते टैक्स में छूट भी मिल सकती है.