अमरावती/ दि. 21– इन दिनों आसमान से सूरज आग उगल रहा है. पारा लगातार बढता ही जा रहा है. दोपहर के समय लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल होने लगा है. आज की स्थिति में तापमान का पारा 43 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा है. इसके चलते उष्माघात की परेशानी का लोगों को सामना करना पड रहा है. इससे बचने के लिए सावधानी बरतने के साथ ही स्वास्थ्य का ध्यान रखने का आवाहन जिला स्वास्थ्य विभाग द्बारा किया गया है. इस भीषण गर्मी की वजह से उष्माघात के मरीजों पर तत्काल इलाज करने के लिए जिला सामान्य अस्पताल में दो स्वतंत्र वार्ड की व्यवस्था की गई है.
पूरे राज्यभर में दोपहर के समय काफी गर्मी बढ चुकी है. महाराष्ट्र भूषण कार्यक्रम के दौरान तपती धूप की वजह से 600 से अधिक लोग उष्माघात की चपेट में आए. उसमें से 12 लोगों की मौत हो चुकी है. इस पर राज्य सरकार ने उष्माघात से हो रही मौत की संख्या बढने पर चिंता व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट रहने के निर्देश दिए है. बचाव के लिए उपाय योजना करने की सूचनाएं दी गई. सामान्य तौर पर मनुष्य के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. अगर शरीर का तापमान इससे ज्यादा बढ जाता है तो मनुष्य को पसीना छूटने लगता है. जिससे शरीर ढीला पडने लगता है. शरीर से पसीने के द्बारा पानी खत्म होने पर ही पसीना निकलना बंद होता है और अचानक मुंंह सूखने लगता है. जिससे उष्माघात का खतरा अधिक बढने लगता है. ऐसे मेें अगर धूप में बाहर निकलने की जरूरत पडती है तो विशेष सावधानी बरते. उसी तर्ज पर जिला अस्पताल प्रशासन ने उष्माघात से निपटने के लिए और मरीजों को वक्त पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल में दो स्वतंत्र वार्ड तैयार किए है. इसमें महिला मरीजों के लिए वार्ड क्रमांक 1 और पुरूषों के लिए वार्ड क्रमांक 8 में पर्याप्त स्वतंत्र व्यवस्था की गई है.
* उष्माघात से बचने के लिए बरते सर्तकता
कोई भी व्यक्ति उष्माघात का शिकार न हो. इसके लिए कुछ सतर्कता बरतना बहुत जरूरी है. तेज धूप में मेहनत का काम करने से बचे. धूप सोखनेवाले कपडों का उपयोग करें. धूप में खेती या मजदूरी का काम टाले. भरपूर पानी पीए. घर से बाहर निकलते समय छाता , टोपी या चेहरे पर कपडा बांधे. कमजोरी महसूस होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करने का आवाहन जिला स्वास्थ्य विभाग द्बारा किया गया है.
* उष्माघात का एक भी मरीज नहीं
रोजाना तापमान का पारा बढता ही जा रहा है. ऐसे में उष्माघात से बचाव के लिए जिला स्वास्थ्य प्रशासन ने जिला अस्पताल में वार्ड क्रमांक 1 व 8 में उष्माघात पीडित मरीजों के लिए स्वतंत्र व्यवस्था की है. साथ ही उपजिला अस्पताल व ग्रामीण अस्पताल में भी उष्माघात प्रभावित व्यक्तियों के लिए प्रति दो बेड की व्यवस्था की गई है. जिले में फिलहाल उष्माघात प्रभावित मरीज एक भी नहीं है.
– डॉ. दिलीप सौंदले
जिला, शल्य चिकित्सक