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शहर के दो मेडिकल व्यवसायी चढे एमपी पुलिस के हत्थे

अशोक नागवाणी व कपिल साहू को किया गया गिरफ्तार

* नशे की गोलियों का कर रहे थे अवैध व्यापार
* अमरावती से खंडवा भेजी जा रही थी अल्प्राजोलम की गोलियां
* नींद ओर मर्दाना ताकत बढाने के लिए होता है गोलियोें का प्रयोग
* एमपी में कुख्यात ‘बटन कारोबार’ के तार जुडे अमरावती से
अमरावती/दि.7- गत रोज मध्यप्रदेश की खंडवा पुलिस ने ‘बटन कारोबार’ के नाम से कुख्यात नशे की गोलियों के रैकेट का पर्दाफाश किया है. जिसके तहत तीन दिन पहले मध्यप्रदेश के मोगट व पदमनगर परिसर से सुनील दुल्हानी नामक आरोपी सहित 7 आरोपियों को गिरफ्तार करने के साथ ही खंडवा पुलिस ने अल्प्राजोलम की 5 हजार गोलियों की खेप बरामद की थी. इन गोलियों का प्रयोग बडे पैमाने पर नशा करने हेतु भी किया जाता है और इन गोलियों की इतनी बडी खेप अवैध रूप से पाये जाने के बाद पुलिस ने पूरे मामले की बडी सघनता के साथ जांच की. जिसमें सुनील दुल्हानी नामक आरोपी द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर खंडवा पुलिस ने अमरावती से अशोक नागवाणी तथा कपिल साहू नामक दो मेडिकल व्यवसायियों को अपनी हिरासत में लिया है. जिन्हेें खंडवा पुलिस अमरावती आकर अपने साथ गिरफ्तार कर खंडवा ले गई है.
करीब दो दिन पहले हुई इस कार्रवाई के संदर्भ में मिली विस्तृत जानकारी के मुताबिक खंडवा में रहनेवाला सुनील दुल्हानी नामक आरोपी अमरावती के अशोक नागवाणी के जरिये अल्प्राजोलम नामक दवाई की गोलियां खरीदता था और अशोक नागवाणी को ये गोलियां मसानगंज परिसर में ओम मेडिकल नामक मेडिकल प्रतिष्ठान चलानेवाला कपिल साहू उपलब्ध कराया करता था. जो इन गोलियों की खेप को होलसेल दवा बाजार से खरीदकर लाया करता था. अमूमन इस दवाई का प्रयोग नींद की गोलियों के तौर पर किया जाता है. जिसकी बिक्री के लिए डॉक्टर की पर्ची होना अनिवार्य रहता है और डॉक्टर द्वारा सुझाये गये डोज के आधार पर ही तय सीमा के भीतर इन गोलियों की बिक्री होती है, लेकिन अमरावती शहर से धारणी व बुरहानपुर होते हुए इस दवाई की खेप को धडल्ले के साथ भेजा जा रहा था. जहां पर इन गोलियों की खुलेआम बिक्री की जा रही थी और नशा करने के आदी लोग मेडिकल स्टोर से डॉक्टर की पर्ची के बिना ही इन गोलियों की खरीददारी कर रहे थे.
जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश में नशे की गोलियों को ‘बटन’ कहा जाता है. साथ ही इस दवाई की तस्करी और बिक्री का व्यवसाय ‘बटन कारोबार’ के रूप में कुख्यात है. जिस पर मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा विगत लंबे समय से नजर रखी जा रही थी और इसी के तहत अल्प्राजोलम गोलियों के जरिये नशा करनेवाले सात लोगों को मोगट व पदमनगर परिसर से गिरफ्तार किया गया. जिनसे की गई पूछताछ के आधार पर खंडवा में इस गोली का अवैध कारोबार व सप्लाय करनेवाले सुनील दुल्हानी को पकडा गया. जिसकी निशानदेही पर अमरावती के मेडिकल व्यवसायी अशोक नागवाणी व कपिल साहू पुलिस के हत्थे चढे.

* कोविड काल में भी रेमडेसिविर की जमकर की थी कालाबाजारी
इस संदर्भ में की गई जांच-पडताल के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि, मसानगंज परिसर के पटवा चौक पर ओम मेडिकल चलानेवाले कपिल साहू ने अशोक नागवाणी के साथ मिलकर कोविड संक्रमण काल के दौरान रेमडेसिविर तथा टोसिलीजुमैब जैसे इंजेक्शनों की भी जमकर कालाबाजारी की थी और उस दौरान बेहद उंची दरों पर जरूरतमंद मरीजों को ये दवाईयां बेची थी. साथ ही अब यह दोनोें अल्प्राजोलम नामक ‘शेड्यूल्ड’ दवाई की कालाबाजारी व तस्करी के मामले में पकडे गये है.

* एफडीए के पास नहीं कोई जानकारी
अमरावती शहर से इतने बडे पैमाने पर अल्प्राजोलम नामक दवाई की खरीदी और उसकी मध्यप्रदेश में की जाती तस्करी के संदर्भ में अन्न व औषधी प्रशासन विभाग के स्थानीय कार्यालय के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. इस संदर्भ में एफडीए के औषधी निरीक्षक मनीष गोतमारे से संपर्क किये जाने पर उन्होंने बताया कि, उनके पास अधिकारिक रूप से इसकी कोई जानकारी नहीं है. साथ ही उन्होंने इस बात से भी साफ तौर पर इन्कार किया कि, अमरावती से अल्प्राजोलम गोलियोें की इतनी बडी खेप खंडवा भेजी गई. गोतमारे के मुताबिक एफडीए द्वारा अमरावती शहर सहित जिले के सभी छोटे-बडे दवा विक्री प्रतिष्ठानों की नियमित तौर पर जांच-पडताल की जाती है. ऐसे में किसी भी तरह का लेखा-जोखा रखे बिना दवाईयों की खरीदी-बिक्री करना या उन्हें किसी अन्य शहर में ले जाकर बेचना संभव ही नहीं. उन्होंने आशंका जताई की किसी अन्य शहर से धारणी होते हुए अल्प्राजोलम नामक दवाई की खंडवा में तस्करी की जा रही थी. जिसमें अमरावती के मेडिकल व्यवसायी लिप्त पाये गये.

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