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कचरा व्यवस्थापन को लेकर दो वस्तुनिष्ठ जानकारी

अमरावती मनपा को सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

* कचरा व्यवस्थापन को लेकर दो वस्तुनिष्ठ जानकारी
अमरावती/दि.20 – शहर में घनकचरा का विषय विगत कई माह से बेहद गंभीर हो गया है. जिस पर समाधान निकालने हेतु उपाय योजना किये जाने की बात मनपा द्वारा बार-बार कही जाती है. परंतु कचरे के वर्गीकरण, संकलन, कचरा प्रक्रिया व कचरा डिपो को लेकर समस्या व स्थिति जस की तस है. ऐसे में शहर के पास सुकली स्थित कचरा डिपो में निश्चित तौर पर कितना कचरा जमा है और बायो मायनिंग का काम पूरा करने हेतु कितना समय लग सकता है. इसे लेकर मनपा के जवाब में अनिश्चितता रहने के चलते वस्तुनिष्ठ जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने अमरावती मनपा प्रशासन को दिया है. वहीं अब इस मामले में अगली सुनवाई 30 अगस्त को होने की संभावना है.
कचरा डिपो में जमा रहने वाले कचरे से हो रहे प्रदूषण को लेकर स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों में राष्ट्रीय हरित लवाद (एनजीटी) के पास याचिका दाखिल की थी. इस कचरा डिपो की वजह से प्रदूषण निर्माण होने की बात स्पष्ट होने पर एनजीटी ने महानगरपालिका पर 47 करोड रुपयों का दंड लगाया था. जिसके खिलाफ महानगरपालिका ने अदालत में गुहार लगाई थी. महानगरपालिका द्वारा अक्सर ही बायोममायनिंग का उल्लेख किया जाता है. परंतु निश्चित तौर पर कचरा कितना है, इसकी वस्तुनिष्ठ जानकारी नहीं दी जाती. ऐसा युक्तिवाद याचिकाकर्ताओं के वकीलों की ओर से किया गया है. विशेष उल्लेखनीय है कि, ‘नीरी’ संस्था द्वारा अदालत में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि, 31 दिसंबर 2024 तक महानगरपालिका बायोमायनिंग के काम को पूरा कर लेगी. लेकिन इससे अदालत का समाधान नहीं हुआ.
ज्ञात रहे कि, करीब 10 लाख की जनसंख्या वाले अमरावती शहर से रोजाना हजारोें टन कचरा सुकली स्थित कचरा डिपो में जमा किया जाता है. जिसके चलते अब कचरा डिपो में हालात नियंत्रण से बाहर हो गये है. साथ ही इस परिसर के पास स्थित गांव में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं पैदा होने लगी है. जिसके चलते घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प को पूरी क्षमता के साथ स्थापित और शुरु किये जाने की जरुरत जतायी जा रही है. इस समय कचरा डिपो में करीब 7 से 8 लाख टन कचरा पूर्ण प्रक्रिया के अभाव में पडा हुआ है. जिसमें रोजाना 250 से 300 टन कचरे की वृद्धि हो रही है. इस स्थान पर कचरा जमा करने की अधिकतम क्षमता एक दशक पहले ही पूर्ण हो चुकी है और अब कचरा डालने हेतु यहां पर जगह ही शेष नहीं है. इसके चलते कचरे की समस्या दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है.

* कचरा डिपो की वजह से ग्रामीणों का स्वास्थ्य खतरे में
महानगरपालिका के अस्थित्व में आने से पहले शहर से बाहर कचरा इकठ्ठा करने हेतु सुकली स्थित जगह का आरक्षण कचरा डिपो के लिए किया गया था. जहां पर 9.38 हेक्टेअर जमीन मनपा के कब्जे में है. इस स्थान पर रोजाना अमरावती शहर से निकलने वाले कचरे को लाकर डाला जाता है और प्रक्रिया का अभाव रहने के चलते यहां कचरे के बडे-बडे पहाड खडे हो गये है. कचरा डालने हेतु अन्य कोई पर्याय नहीं रहने के चलते कंपोस्ट डिपो के आसपास स्थित सुकली व लसनापुर गांव में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य खतरे में कहा जा सकता है. साथ ही बारिश के सीजन दौरान इस परिसर में हालात काफी बुरे हो जाते है. ऐसे में इस मसले को लेकर स्थायी समाधान खोजे जाने की मांग गांववासियों द्वारा की जा रही है.

* प्रकल्प का काम लटका
सुकली कंपोस्ट में 200 एमटीपी, अकोली बायपास पर 100 एमटीपी व कोंडेश्वर में 50 एमटीपी की क्षमता वाले घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प स्थापित करने की बात वर्ष 2018 में ही प्रस्थावित की गई थी. परंतु इन सभी प्रकल्पों का काम अब तक अधर में अटका पडा है.

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