अमरावती

रेवसा विठ्ठल-रुख्माई मंदिर की जमीन दो लोगों ने अपने नाम कराई

पटवारी, तहसीलदार से की मिलीभगत

* जिलाधिकारी से शिकायत के बाद करेंगे अन्नत्याग आंदोलन
* जमीन के वंशज वाकोडे परिवार ने दी पत्रकार परिषद में चेतावनी
अमरावती/ दि.2– श्री क्षेत्र रेवसा स्थित श्री विठ्ठल-रुख्माई देवस्थान के नाम रहने वाली 3.69 हेक्टेअर जमीन धोखे से पटवारी, तहसीलदार के साथ मिलीभगत कर प्रदीप वाकोडे व उनके भाई प्रवीण वाकोडे ने अपने नाम कराई है. वह जमीन भगवान के नाम पर है और भगवान के नाम पर ही रहना चाहिए, इस बारे में संंबंधित व्यक्ति के खिलाफ जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत दी जाएगी. इतना ही नहीं तो न्याय के लिए जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष जमीन के वंशज वाकोडे परिवार अन्नत्याग आंदोलन पर बैठेंगे, ऐसी जानकारी आज वालकट कंपाउंड स्थित मराठी पत्रकार भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में दी.
पत्रकार परिषद में हरिभाऊ वाकोडे, रामदास वाकोडे, प्रकाश वाकोडे, राजेंद्र वाकोडे, मनोज वाकोडे, शंकरराव वाकोडे, विक्की, वैभव, शुभम, अतुल वाकोडे उपस्थित थे. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि, श्रीक्षेत्र रेवसा स्थित श्री विठ्ठल-रुख्माई देवस्थान खेत सर्वे नं. 165 क्षेत्र 3.69 हेक्टेअर वर्ष 1907 में उनके परदादा ने दानपत्र व्दारा मंदिर की देखभाल, पूजा अर्चना, भोजन की पंगत आदि के लिए दान दी थी. उस समय उस खेत पर मारवाडी ने कब्जा किया था. कोर्ट केस जीतकर वर्ष 1923 में वापस वह खेत विठ्ठल-रुख्माई देवस्थान को मिला. उस बात के सरकारी दस्तावेज उनके पास उपलब्ध है. उसके बाद वर्ष 2022 तक खेत का सातबारह विठ्ठल-रुख्माई के नाम था. उनके ही परिवार के प्रदीप वाकोडे व प्रवीण वाकोडे जिन्होंने कभी पूजा अर्चना भी नहीं की, पंगत का कार्यक्रम भी नहीं किया, जिनके हाथों कभी देवस्थान में कोई कार्यक्रम नहीं हुआ. पूर्व प्राध्यापक रहने वाले अंजनगांव सुर्जी निवासी प्रदीप वाकोडे और उनके छोटे भाई प्रवीण वाकोडे ने 19 अप्रैल 2022 को तहसीदार और पटवारी से मिलीभगत कर वह खेती बेचने के हेतु से अपने नाम पर करा ली. उन दोनों ने नकली दस्तावेज तैयार किये और प्रशासन के संबंधित अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर विठ्ठल-रुख्माई का नाम कट कर खुद के नाम करा लिया. अब वे उनके खिलाफ पुलिस थाने में धोखाधडी की शिकायत देंगे, इसके अलावा अदालत की भी शरण लेंगे, उन्होेंने यह भी बताया कि, सोमवार के दिन जिलाधिकारी से शिकायत करने के बाद न्याय नहीं मिलता है तो पूरे परिवार के साथ जिलाधिकारी कार्यालय के सामने अन्नत्याग आंदोलन करेंगे.

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