अमरावती

दो साल बाद सावंगा विठोबा में उमडी श्रद्धालूओं की भीड

धूमधाम के साथ मना गुढी पाडवा उत्सव

72 फीट उंचे खंबों पर चढाए गए नये झंडे
लाखों रुपयों का कपूर जला
अमरावती/दि.23 – विदर्भ की पंढरी के रुप में विख्यात चांदूर रेल्वे तहसील के सावंगा विठोबा देवस्थान में 2 वर्ष के अंतराल पश्चात बुधवार 22 मार्च को बडी धूमधाम के साथ गुढी पाडवा का उत्सव मनाया गया. जिसमें अमरावती जिले सहित समूचे राज्य से लाखों श्रद्धालूओं की भीड उमडी. जिन्होंने लाखों रुपए का कपूर जलाते हुए अवधूत बाबा की आराधना की. साथ ही इस अवसर पर सैकडोें वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुरुप देवस्थान परिसर में स्थित 72 फीट उंचे 2 सीधे खंबों पर पुराने ध्वज को निकालकर नये ध्वज चढाए गए. बता दें कि, इन दो खंबों पर खोल यानि आवरण की तरह कपडे से बंधे ध्वज चढाए जाते है. जिसके लिए एक भाविक श्रद्धालू दोनों खंबों पर रस्सी से कैची की तरह सीढी बनाते हुए उपर चढता है और पुराने खोल को लपेटता जाता है. साथ ही उपर पहुंचने के बाद पुराने खोल के आवरण को खंबों से हटाकर नये खोल को खंबों पर लगाने के बाद रस्सी से बंधी सीढी को खोलते हुए नीचे की ओर उतरना शुरु करता है और धीरे-धीरे नये खोल को खोलता जाता है. इस प्रक्रिया में कई घंटों का समय लगता है. सबसे खास बात यह है कि, नीचे से उपर चढने और उपर से नीचे आने के दौरान उस भाविक श्रद्धालू का पैर एक बार भी इन दोनों खंबों पर नहीं लगता. कल चरणदास कांडलकर नामक भाविक ने हर वर्ष की तरह 72 फीट उंचे खंबों पर चढकर पुराने ध्वज को निकालने और नये ध्वज को डालने की प्रक्रिया पूर्ण की.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती चांदूर रेल्वे मार्ग स्थित सावंगा विठोबा में श्रीकृष्णाजी महाराज उर्फ अवधूत महाराज देवस्थान में समाधि के दर्शन हेतु अमरावती जिले व विदर्भ के साथ ही महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों से भी प्रतिवर्ष गुढी पाडवा के पर्व पर लाखों श्रद्धालू उपस्थित होते है. 300 वर्ष पूर्व कृष्णाजी महाराज ने अवधूत संप्रदाय की स्थापना की थी. प्रतिवर्ष गुढी पाडवा पर्व के अवसर पर अवधूत महाराज संस्थान में पूजा का विशेष मुहूर्त होता है. इस समय कपूर की ज्योत जलाकर अपने हृदयस्थ ईश्वर के समस्त अपनी इच्छा व्यक्त की जाती है और झंडा चढाने की प्रक्रिया पूरी होने तक हजारों भाविक श्रद्धालू अपने हाथों में खप्पर लेकर कपूर की अखंड ज्योत जलाते हुए खडे रहते है. जिसके चलते यहां प्रतिवर्ष गुढी पाडवा के पर्व पर एक ही दिन के दौरान लाखों रुपयों का कपूर जलाया जाता है.
ज्ञात रहे कि, मार्च 2020 से समूचे देश भर में कोविड का कहर शुरु हो गया था. जिसकी वजह से लंबे समय तक लॉकडाउन लगा रहा, ऐसे में प्रतिबंधात्मक नियमों का लागू करने की वजह से दो वर्ष तक सावंगा विठोबा में गुढी पाडवा की यात्रा का आयोजन नहीं हो पाया. चूंकि अब कोविड की संक्रामक बीमारी का खतरा टल जाने की वजह से प्रतिबंधात्मक नियमों को पूरी तरह से हटा दिया गया है. ऐसे मेें इस बार गुढी पाडवा के पर्व पर सावंगा विठोबा देवस्थान में गुढी पाडवा का उत्सव बडी धूमधाम के साथ मनाया गया.
* भाविकों ने सजाई राहुटी
बुधवार को मनाए जाने वाले गुढी पाडवा उत्सव में हिस्सा लेने हेतु विगत सोमवार से ही कई भाविक श्रद्धालूओं का सावंगा विठोबा पहुंचना शुरु हो गया था. इसमेें से कई भाविकों ने परिसर में स्थित खेतों में तंबू लगाते हुए अपनी राहुटी बना ली है. जहां पर वे अपने परिजनों सहित रुके हुए है. इसके साथ ही गुढी पाडवा महोत्सव हेतु श्री कृष्णाजी अवधूत महाराज संस्थान के विश्वस्त मंडल द्बारा भी तमाम आवश्यक नियोजन किए गए है.
* सवा महिने की मांड स्थापित
अवधूत महाराज मंदिर में भजन मंडली द्बारा राम नवमी तक सवा महिने की मांड स्थापित की गई है. जिनके भोजन व निवास की व्यवस्था देवस्थान के कार्यकारी मंडल द्बारा की जा रही है. इसके साथ ही भाविक श्रद्धालूओं को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पडे. इस हेतु संस्था के अध्यक्ष वामनराव रामटेके, उपाध्यक्ष कृपासागर राउत, सचिव गोविंदराव राठोड, विश्वस्त पुंजाराम नेमाडे गुरुजी, हरिदास सोनवाल, विनायक पाटिल, अनिल बेलसरे, वैभव मानकर, स्वप्निल चौधरी, वसंतराव शेंडे, फुलसिंह राठोड आदि द्बारा की जा रही है.
* इस बार साढे तीन लाख भाविकों की रही उपस्थिति
सावंगा विठोबा संस्थान के विश्वस्त पुंजाराम नेमाडे द्बारा अनुमान जताया गया कि, इस वर्ष यात्रा महोत्सव में पहले ही दिन करीब साढे तीन लाख भाविकों की उपस्थिति रही. जिसे पूरी परिसर में बेहद उत्साह वाला माहौल रहा. कल दोपहर करीब सव्वा चार बजे झंडे पर खोल चढाने की प्रक्रिया शुरु हुई. जिसे पूरा होने में करीब 4 घंटे का समय लगा.
* खोल चढाने में 50 मीटर कपडे का प्रयोग
अवधूत मंदिर में स्थित 72 फीट उंचे दो खंबों पर झंडे का नया खोल चढाने के लिए 50 मीटर कपडा लगा. पुसदा निवासी अवधूत वाकोडे द्बारा इस खोल को सीलने का काम नि:शुल्क तौर पर किया गया, ऐसा संस्थान के पदाधिकारियों द्बारा बताया गया. साथ ही प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी चरणदास कांडलकर द्बारा खंबों पर चढकर पुराना खोल हटाते हुए नया खोल चढाने का काम किया गया.
* जगह-जगह हुआ खिचडी व पानी का नि:शुल्क वितरण
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सावंगा विठोबा की यात्रा के दौरान कई भाविक श्रद्धालूओं द्बारा यात्रा परिसर में जगह-जगह पर श्रद्धालूओं की सुविधा हेतु नि:शुल्क तौर पर ठंडे पानी व खिचडी के वितरण की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. जिसका यात्रा में शामिल भाविक श्रद्धालूओं द्बारा श्रद्धाभाव के साथ लाभ लिया गया.

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