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जि.प. के पूर्व सहायक अभियंता जवाहर दुबे को दो साल सश्रम कारावास

जवाहर की पत्नी, दोनों बेटे सहित तीन अन्यो को भी सश्रम कारावास

* दो माह के भीतर 50 लाख रुपए सरकार खाते जमा करने के भी न्यायालय के निर्देश
* मामला जिला परिषद में कार्यरत रहते जमा की गई बेनामी संपत्ति का
अमरावती/दि. 6 – अमरावती जिला परिषद के सिंचन विभाग के सहायक अभियंता (यांत्रिकी) पद पर कार्यरत रहते अवैध रुप से जमाई गई बेनामी संपत्ति के मामले में आज जिला न्यायाधीश (3) व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.वी. तमानेकर की अदालत ने जवाहर दुबे, उनकी पत्नी, दोनों बेटे और उनके निजी व्यवसाय में कार्यरत महिला सहित दो कर्मचारियों को दोषी करार देते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनाई. जवाहर दुबे को सर्वाधिक दो साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई. साथ ही दो माह के भीतर 50 लाख रुपए न्यायालय के जरिए सरकारी खाते जमा करने के निर्देश दिए. करीबन 19 साल बाद न्यायालय ने इस बहुचर्चित घोटाला प्रकरण का फैसला सुनाया.
जानकारी के मुताबिक सजा सुनाए गए आरोपियों के नाम जिला परिषद के पूर्व सहायक अभियंता जवाहर श्रीलाल दुबे, पत्नी मंगलाबाई जवाहरलाल दुबे, बेटे विशाल जवाहरलाल दुबे, विश्वास जवाहरलाल दुबे, घटना के समय भामकर कॉम्प्लेक्स के एम.एस. कॉम्प्यूटर में कार्यरत मैनेजर गिरीश वसंतराव पाटिल, सारिका भास्कर चोपडे उर्फ सारिका पंकज पचलोरे और केजीएन व एसएम वर्ल्ड के मैनेजर महेंद्र नारायण गुल्हाने है. बताया जाता है कि, जवाहरलाल दुबे ने अप्रैल 1973 से जुलाई 2001 के दौरान जिला परिषद में कार्यरत रहते अवैध मार्ग से करोडो रुपए की बेनामी संपत्ति जमाई है. वर्ष 2001 में उनके खिलाफ राज्य के मुख्य सचिव के पास जनहित याचिका व जनजागरण समिति के नाम से भ्रष्टाचार कर बेनामी संपत्ति संपादित करने के आरोप बाबत शिकायत की गई थी. इस शिकायत निमित्त एंटीकरप्शन ब्यूरो मुंबई के महासंचालक के आदेश पर वर्ष 2001 में अमरावती एसीबी द्वारा खुली जांच शुरु की गई. साथ ही इस प्रकरण में मुंबई विधानसभा में उस समय के विपक्ष के नेता ने जवाहरलाल दुबे के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर जांच करवाने की मांग की थी. इस कारण एसीबी द्वारा शुरु की गई जांच करीबन 4 वर्ष तक चली थी और जांच में कुल घोटाला 2 करोड 26 लाख 5 हजार 144 रुपए का उजागर हुआ. जो जवाहर दुबे की कुल आय से 142.8 प्रतिशत अधिक था. राजापेठ थाने में उस समय के अमरावती एंटी करप्शन ब्यूरो के उपअधिक्षक एम.बी. आत्राम ने दर्ज की शिकायत के आधार पर पुलिस ने जवाहरलाल दुबे सहित सभी आरोपियों के खिलाफ वर्ष 2002 में धारा 7, 13 (1) (ई), 13 (2) 1988 अधिनियम के तहत बेनामी व्यवहार प्रतिबंधक कानून की धारा 3, 4 व आयपीसी की धारा 109 के तहत मामला दर्ज किया.
इस प्रकरण की संपूर्ण जांच एसीबी के उपअधीक्षक एम.बी. आत्राम व किरण धोटे ने की और 6 जुलाई 2005 को चार्जशीट अदालत में दाखिल की. इस प्रकरण में कुल 10 आरोपी बनाए गए थे. इसमें मुख्य आरोपी जवाहरलाल दुबे, उनकी पत्नी मंगलाबाई दुबे, ससुर चंद्रमोहन शिवबालक तिवारी, सास किशोरीबाई चंद्रमोहन तिवारी, बेटा विशाल जवाहर दुबे, विश्वास जवाहर दुबे, गिरीश वसंतराव पाटिल, सारिका भास्कर चोपडे, महेंद्र नारायण गुल्हाने व एक अन्य का समावेश था. जिला न्यायाधीश (3) व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.वी. तमानेकर की अदालत में चली सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की तरफ से सहायक सरकारी अभियोक्ता एड. मिलिंद जोशी ने कुल 31 गवाहों को परखा. दोनों पक्षो की दलीले सुनने के बाद आज अदालत ने इस प्रकरण में एक को छोडकर अन्य सभी को दोषी करार दिया. इस प्रकरण में सरकारी पक्ष की तरफ से सफल पैरवी सहायक सरकारी अभियोक्ता एड. मिलिंद जोशी ने की.

* ऐसी सुनाई गई सजा
जिला न्यायाधीश (3) की अदालत में जिला परिषद के इस घोटाला प्रकरण में भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून की विभिन्न धाराओं में दोषी पाए जाने पर भूतपूर्व सहायक अभियंता जवाहरलाल दुबे को दो साल सश्रम कारावास, एक लाख रुपए का जुर्माना और जुर्माना अदा न करने पर 6 माह अतिरिक्त कारावास, बेनामी संपत्ति प्रकरण में 6 माह सश्रम कारावास, एक हजार रुपए जुर्माना अन्यथा 15 दिन अतिरिक्त कारावास, जवाहरलाल दुबे की पत्नी मंगलाबाई दुबे, बेटे विशाल और विश्वास दुबे को आयपीसी की धारा 109 के तहत एक साल सश्रम कारावास, 50 हजार रुपए प्रत्येकी जुर्माना अन्यथा तीन माह अतिरिक्त कारावास और बेनामी संपत्ति मामले में तीन माह सश्रम कारावास, 500 रुपए जुर्माना और 7 दिन अतिरिक्त कारावास तथा गिरीश पाटिल, सारिका चोपडे और महेंद्र गुल्हाने को धारा 109 के तहत तीन माह कारावास, 10 हजार रुपए प्रत्येकी जुर्माना, अन्यथा एक माह अतिरिक्त कारवास और बेनामी संपत्ति मामले में एक माह कारावास, 500 रुपए जुर्माना, अन्यथा 7 दिन अतिरिक्त कारवास की सजा सुनाई.

* प्रकरण न्यायालय में जारी रहते हुई सास-ससुर की मौत
बेनामी संपत्ति मामले की न्यायालय में सुनवाई जारी रहते जवाहरलाल दुबे के ससुर चंद्रमोहन तिवारी और सास किशोरीबाई तिवारी का निधन हो गया था. इस कारण इस प्रकरण में कुल 7 आरोपियों को आज सजा सुनाई गई. एक अन्य को बरी कर दिया गया.

* दो माह में सरकारी खाते जमा करने होगे 50 लाख रुपए
जिला न्यायाधीश (3) की अदालत में इस प्रकरण में आरोपी जवाहरलाल दुबे, पत्नी मंगलाबाई दुबे, बेटे विशाल दुबे और विश्वास दुबे को दो माह के भीतर 50 लाख रुपए कोर्ट में सरकारी खाते में जमा करने के भी न्यायालय ने निर्देश दिए. इस दौरान इस फैसले को वे उच्च न्यायालय में चुनौती भी दे सकते है.

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