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आव्हाड की सभा से उबाठा सेना दूर!

कांग्रेस और राकांपा के साथ काम्रेड भी होंगे मंच पर

अमरावती/दि.19- राकांपा के नेता, पूर्व मंत्री तथा विधायक जीतेंद्र आव्हाड परसों 21 जून को अमरावती पधार रहे हैं. पार्टी ने एक सोची समझी रणनीति के तहत आव्हाड की पूरे प्रदेश में सभाएं रखी हैं. अमरावती से पहले उपराजधानी नागपुर में आव्हाड राज्य के सत्ता संघर्ष पर पिछले माह आए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की व्याख्या कर चुके हैं. अब सांस्कृतिक भवन में उनकी सभा जिला वकील संघ से तालमेल कर एक संगठन यूथ विजन फाउंडेशन ने रखी है.
* दोनों कांगे्रस मंच पर
जीतेंद्र आव्हाड ज्ञानेश्वर सांंस्कृतिक भवन में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय की समीक्षा करेंगे. उस समय मंच पर कांग्रेस और राकांपा के विधायकों तथा प्रमुख नेताओं को स्थान दिया जा रहा है. यहां तक कि कम्युनिस्ट आंदोलन से जुडे कामे्रड भी आमंत्रित किए गए हैं. किंतु शिवसेना उबाठा के किसी नेता का नामोल्लेख निमंत्रिका में नहीं है.
* शिवसेना की गहरी पैठ
अमरावती में आरंभ से ही शिवसेना की पैठ रही है. उसके लीडर्स पांच बार यहां से लोकसभा पहुंचे हैं. अनेक विधायक भी चुनकर आए हैं. गांव देहात से लेकर शहर में शिवसेना का काफी दबदबा आज भी हैं. इतना ही नहीं तो अधिकांश सेना पदाधिकारी और कार्यकर्ता आज भी उद्धव ठाकरे के साथ खडे हैं. उनमें अनगिनत नाम लिए जा सकते हैं. उबाठा सेना मविआ की घटक है. मविआ की वज्रमूठ सभाओं में उद्धव ठाकरे को मुख्य वक्ता बनाया गया था. किंतु आव्हाड की सभा के लिए स्थानीय उबाठा सेना के किसी पदाधिकारी का नाम पत्रिका में नहीं है.
* राउत ने दिए संकेत
शिवसेना उबाठा के प्रवक्ता सांसद संजय राउत का रविवार को दिया बयान भी चर्चा का विषय बना है. राउत ने कहा था कि शिवसेना की जब तक मर्जी रहेगी वह आघाडी की घटक रहेगी. उनके वक्तव्य के अपने-अपने अर्थ निकाले जा रहे हैं. मगर अमरावती शिवसेना का दुर्ग रहा है. ऐसे में राकांपा नेता की सभा में उबाठा सेना को ही स्थान नहीं दिया जाना आश्चर्यजनक माना जा रहा है. जबकि जीतेंद्र आव्हाड जिस विषय पर बोलने वाले हैं, वह शिवसेना से ही जुडा है. शिवसेना में पिछले वर्ष जून माह में ही पडी फूट पर कोर्ट ने फैसला सुनाया था.

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