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उध्दव ठाकरे का एकनाथ शिंदे को झटका

मगर कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी झेलनी पडी

मुंबई/दि.3- विधानसभा चुनाव के चलते अनेक स्थानीय नेता पार्टी बदलते हुए नजर आ रहे हैं. विधानसभा की टिकट मिलने के लिए इच्छुक एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जा रहे हैं. कल्याण में भी एकनाथ शिंदे की शिवेसना के पदाधिकारी साईनाथ तरे को ठाकरे गट में प्रवेश देते हुए एकनाथ शिंदे को तगडा झटका दिया हैं. मातोश्री निवास स्थान पर साईनाथ तरे ने पार्टी प्रवेश किया. मगर इस प्रवेश को ठाकरे गट के कार्यकर्ताओं का अच्छा खासा विरोध भी देखने मिला.
तरे के पार्टी प्रवेश के पूर्व गट के जिलाप्रमुख अल्पेश भोईर ने उध्दव ठाकरे को पत्र भेजा था. इस पत्र में कहा गया था कि नीचे दस्तखत करने वाले जिला शहर पदाधिकारी आज कल्याण शहर शाखा में स्वयं प्रेरणा से हुई बैठक में उपस्थित थे. उन्होंने नीचे लिखित सभी बातों पर सर्व सम्मति से सहमती दी हैं. इस लिए आप इन बातों पर सहानुभुतीपुर्वक विचार करें. ऐसी विनती पत्र व्दारा की गई.
क्या था ठराव में ?
आज हुई शिंदे गट के पदाधिकारियों के प्रवेश के कारण ढाई वर्ष लगभग काम करने वाले संगठन के काम के लिए कष्ट से, पसीना बहाकर पैसो का इस्तेमाल करने वाले, शरीर पर मामले दर्ज करने के दबाव स्वीकार करने वाले निष्ठावानों की भावना बहुत ही दुखी हैं. संगठन में ऐसे प्रवेश से स्तब्ध हैं. बलात्कार के अपराध में रहने वाले शिंदे गट के जिला प्रमुख साईनाथ तरे को प्रवेश देने से संगठन की सामाजिक, निष्ठा का चेहरे को नुकसान पहुंचने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता हैं. आज प्रवेश करने वाले तारे ने हाल ही में वायले नगर, खडकपाडा इन परिसर में अपने शिवसैनिकों को दादागिरी कर उन्हें बुथ भी नहीं लगाने दिया. इस बात पर संगठन पर, शिवसैनिकों पर परिणाम हुआ हैं. निष्ठावानों की निष्ठा को सम्मान कनरे के लिए और उनके मन की निष्ठा कायम रखने के लिए इसके पहले ऐसे प्रवेश न किए जाए.
आने वाले चुनाव में न दे उम्मीदवारी
पार्टी प्रमुख के नाम सौंपे गए पत्र में यह भी कहा गया हैं कि गद्दार गट से आने वाले व्यक्ति हिंदूहृदय सम्राट वंदनीय बालासाहेब ठाकरे की निष्ठा के लिए व पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे के प्रेम भाव वाली संगठन में आते हैं तो यह उनके पापो का प्रायश्चित के रुप से सही उद्देश्य सिध्द करने के लिए उनको अगले 1 वर्ष तक संगठन का कोई भी पद न दिया जाए. आने वाले किसी भी चुनाव में पार्टी की उम्मीदवारी के रुप में उन पर विचार न किया जाए.

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