अमरावती

यूजीसी की अधिसूचना ‘जैसे थे नहीं‘

‘नूटा‘ की हाईकोर्ट में गुहार

  • सरकार द्वारा प्राध्यापकों पर अन्याय किये जाने का आरोप

अमरावती प्रतिनिधि/दि.८ – सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार विद्यापीठ अनुदान आयोग (UGC) ने विद्यापीठ व महाविद्यालयीन शिक्षकोें की नियुक्ती के लिए न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता तथा सेवांतर्गत पदोन्नति के साथ ही सेवाशर्त लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की गई है. लेकिन राज्य सरकार ने प्राध्यापकों के मुलभूत अधिकारों पर प्रहार किया है. सरकार के इस अफलातून कामकाज के खिलाफ एम फुक्टो तथा एमफुक्टो से संलग्नित प्राध्यापक संगठन ‘नूटा‘ ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दाखिल की है. यूजीसी ने शिक्षकों के लिए १८ जुलाई २०१८ को बंधनकारक रहनेवाली एक अधिसूचना जारी की. इसी तारीख को भारत सरकार का राजपत्र भी प्रकाशित हुआ. यूजीसी द्वारा जारी की गई अधिसूचना को ‘जैसे थे‘ लागू करना बंधनकारक है, लेकिन राज्य सरकार ने ८ मार्च २००९ को सरकारी आदेश निर्गमित कर इसमें प्राध्यापकोें के कई मुलभूत अधिकारों की अनदेखी की और नूटा संगठन द्वारा आक्षेप लिये जाने पर सरकार ने १० मई २००९ को दुबारा संशोधित आदेश निकाला.

यूजीसी की अधिसूचना को जस का तस लागू करने के लिए संवैधानिक मार्गों का अवलंब करते हुए नागपुर खंडपीठ में याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका के अनुसार उच्च न्यायालय ने सरकार को नोटीस जारी की है. – प्रवीण रघुवंशी अध्यक्ष, नूटा, अमरावती.

  • इन मुद्दों पर है प्राध्यापकों का संघर्ष

  • पीएचडी व एमफील हेतु प्रोत्साहन पर वेतन वृध्दि लागू न करने
  • ३१ दिसंबर २०१८ तक रिफ्रेशर व ओरिएंटेशन कोर्स को समयावृध्दि न देने
  • सहयोगी प्राध्यापक व प्राध्यापक पदों की पदोन्नति हेतु देय तारीख ग्राह्य न मानने
  • १ जनवरी २०१६ को प्राचार्यों की स्थान निश्चिती प्राध्यापक पदों की वेतन श्रेणी में नहीं करने
  • विविध चयन समितियों में हस्तक्षेप व गडबडी करने

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