* आधे से अधिक ऊँटों को बताया बीमार व अधमरा
अमरावती/दि.15– राजस्थान से चलकर करीब 1700 किमी की दूरी तय करते हुए हमारे ऊँट महाराष्ट्र पहुंचे और तलेगांव दशासर से एक ही दिन में 50 किमी पैदल चलाते हुए ऊँटोें को अमरावती ले जाया गया. तभी किसी ऊँट को कुछ नहीं हुआ. लेकिन एक महिने तक गोरक्षण में रखने के बाद जैसे ही उन्हें बाहर निकाला गया, तो एक ऊँट आधा किमी चलने में ही चक्कर आकर गिर गया तथा उसकी मौत हो गई. यह ऊँट पैदल चलने से नहीं, बल्कि भूखमरी की वजह से मरा है. जिसमें हमें 1 लाख रूपये का नुकसान हुआ है. वहीं अब भी हमारे आधे से अधिक ऊँट बेहद कमजोर होकर बीमार और अधमरी अवस्था में है और उनमें से कई ऊँटों की मौत भी हो सकती है. यदि ऐसा होता है, तो हम बर्बाद हो जायेंगे. इस आशय की प्रतिक्रिया ऊँट पालक साजन रबारी द्वारा दी गई.
बता दें कि, करीब एक माह पहले राजस्थान से निकलकर अमरावती जिले की सीमा से होते हुए आगे बढ रहे 58 ऊँटों के काफिले को यह कहते हुए रोक दिया गया था कि, इन ऊँटों को कटाई के लिए हैदराबाद ले जाया जा रहा है. एक प्राणीमित्र संगठन द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर इन ऊँटों को पुलिस ने जप्त करते हुए अमरावती स्थित गौरक्षण संस्था के सुपुर्त कर दिया था. जहां पर इन ऊँटों को करीब एक माह तक रखा गया. इस दौरान ऊँट पालन का व्यवसाय करनेवाले साजन रबारी सहित वेरशी राणा रबारी, प्रभाराणा रबारी, व जगा हिरा रबारी इन ऊँटपालक रबारियों ने अपने ऊँटों को वापिस पाने हेतु अदालत की शरण ली. पश्चात चांदूर रेलवे की तहसील कोर्ट में दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद रबारियों को उनके ऊँट वापिस देने का आदेश जारी किया. पश्चात विगत शनिवार को इन सभी ऊँटों को करीब एक माह बाद दस्तुर नगर परिसर स्थित गौरक्षण संस्था परिसर से बाहर निकाला गया. लेकिन अभी 58 ऊँटों का यह काफीला बडी मुश्किल आधा किमी ही आगे बढा था कि, अचानक एक ऊँट चक्कर खाकर गिर गया और उसने अपनी गर्दन भी ढीली छोड दी. यह देखते ही रबारियों ने तुरंत इस ऊँट को बेहोशी से बाहर लाने का प्रयास किया. जिसके तहत एक हरे-भरे पेड की टहनी काटकर ऊँट के सामने डाली गई और उसे पानी पिलाया गया. साथ ही एड. मनोज कल्ला ने तुरंत पशु चिकित्सक को बुलाया और सलाईन लगाने के बाद इस ऊँट की स्थिति कुछ सुधरी और वह जैसे-तैसे उठकर खडा हुआ. लेकिन थोडी दूर आगे बढने पर यह ऊँट दोबारा गश खाकर गिर गया और इस बार जमीन पर गिरते ही उसकी मौत हो गई. इस समय ऊँट के साथ रहनेवाले 72 वर्षीय विसाभाई शकुभाई रबारी अपने ऊँट से लिपटकर बच्चों की तरह रोने लगे. यह देखकर वहां मौजूद अन्य लोगों की आंखों में भी आंसू छलक गये. इस घटना से संबंधित खबर और फोटो-वीडियो सोशल मीडिया के जरिये गुजरात में रहनेवाले रबारी समाज तक पहुंचे. जिसके बाद रबारियों द्वारा इसे लेकर रोष व संताप व्यक्त किया गया.
* अब बताओ हकीकत में क्रूरता किसने की
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, ऊँट पकडे जाने से लेकर अदालत द्वारा उन्हेें छोडने का आदेश दिये जाने तक रबारी समाज के मुखिया साजन रबारी गुजरात से अमरावती आकर ठिय्या लगाये बैठे थे और विगत दिनों ही वापिस गुजरात के लिए रवाना हुए थे. एक ऊँट की मौत होने की जानकारी मिलने के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए साजन रबारी ने कहा कि, हमें पशु क्रूरता के नाम पर पकडा गया था. लेकिन हकीकत में पशु क्रूरता तो खुद को प्राणीमित्र बतानेवालों ने की है. डेढ हजार किमी से अधिक लंबा रास्ता तय करने के बाद भी हमारे ऊँट पूरी तरह से चुस्त-दुरूस्त थे. लेकिन एक महिने तक गौशाला में रखने के बाद वे अधमरे हो गये है. इस दौरान हमने कई बार बताया कि, गौशाला ऊँटों के लिए सही जगह नहीं है. गौशाला में गाय-बैल के लिए जमीन पर चारा डाला जाता है, जबकि लंबी गर्दनवाला ऊँट इस तरह से अपना चारा नहीं खाता, बल्कि उंचे पेडों की पत्तियों को खाता है. साथ ही ऊँट इधर से उधर भटकनेवाला जानवर है. जिसे एक स्थान पर बंदिस्त करके नहीं रखा जाना चाहिए. लेकिन उस समय किसी ने हमारी बात नहीं सुनी और अदालत का फैसला आने में भी एक महिने का समय लग गया. इस दौरान आधे से अधिक ऊँट भूखमरी की वजह से कमजोर हो गये है. साथ ही बीमार होकर अधमरी स्थिति में पहुंच गये है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है. साजन रबारी ने यह भी बताया कि, वे जल्द ही गुजरात में रबारी समाज के सभी मुखियाओं की बैठक बुलानेवाले है और आगे क्या करना है, इसे लेकर आवश्यक निर्णय लेंगे.
आज एक ऊँट की मौत हुई है, किंतु अन्य कई ऊँट भी बेहद कमजोर हो गये है. ऐसे में अन्य कुछ ऊँटों की भी मौत हो सकती है. इस क्रूरता के खिलाफ हाईकोर्ट में ही गुहार लगायी जा सकती है.
-अजिंक्य शहाणे
पशु अभ्यासक, नागपुर