अमरावती

650 गांवों में घनकचरा और गंदे पानी के प्रबंधन हेतु अल्टीमेटम

15 अप्रैल की डेडलाइन

* अधिकारियों की लापरवाही से बंटाढार
अमरावती/दि.15– जिले के ओडीएफ प्लस गांवों की संख्या बढाने का अभियान अधिकारियों की लापरवाही के कारण खटाई में पड गया. ऐसे ही घनकचरा और गंदे पानी के प्रबंधन के कामों को भी पलीता लग गया, यह काम जिला परिषद अंतर्गत किए जाने थे. सभी काम की डेडलाइन खत्म हुए 6 माह बीत गए, अब नई समय सीमा देकर कामों को तेजी से पूर्ण करवाने अल्टीमेटम दिए जाने की खबर हैं. एक तरफ जिले के कुछ गांवों में स्वच्छता मुहिम छेडी गई उसे अच्छा प्रतिसाद मिला. दूसरी तरफ अनेक गांवों में लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं.
* स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत अमरावती जिले के गांव देहात में भी स्वच्छता के लिए आदेश दिए गए थे. चालू वित्त वर्ष में 927 काम का नियोजन ऐसा था कि, गत जून माह में उन्हें पूरा कर लिया जाना था. जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविश्यांत पंडा ने मातहतो को निर्देश दिए थे. घनकचरा, गंदा पानी प्रबंधन के काम जल्द पूर्ण करने और इसके क्रियान्वयन हेतु सहायक संस्था का डिपीआर तैयार करने, लेआउट देना और काम करवा लेना इसके लिए संस्था के पदाधिकारी और कर्मचारियों को निर्देश दिए गए थे. किंतु आरोप है कि, अधिकारियों के ध्यान नहीं देने से कार्य पूर्ण नहीं हो पाए हैं.
* केवल 18 ठेकेदार उपस्थित
घनकचरा के प्रबंधन कार्य पूर्ण नहीं होने से जिला परिषद के सीईओ ने डॉ. देशमुख सभागार में अधिनस्थों की बैठक आहुत की. इस बैठक में 18 ठेकेदार संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे. उपमुख्यकार्यकारी अधिकारी श्रीराम कुलकर्णी भी मौजूद थे. बैठक में 650 ओडीएफ प्लस गांवों में शुरु और वर्ष 2022-23 दौरान 927 गांवों में गंदा पानी और घनकचरा प्रबंधन प्रकल्प स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण अंतर्गत किए जाने थे. ग्राम पंचायतों में बजट भी बनवाया था काम अच्छे दर्जे का करने का निर्देश दिया गया.
* अधिकारियों की लापरवाही
घनकचरा और स्वच्छता अभियान के लिए जनजागृती भी आवश्यक थी. अधिकारियों व्दारा लापरवाही बरती जाने का आरोप किया जा रहा हैं. उसी प्रकार अफसरों ने ध्यान नहीं दिया, इसलिए काम पूर्ण नहीं होने का आरोप करते हुए बताया गया कि, योजना का बंटाढार हो गया हैं. बावजूद इसके तहसील स्तर पर भी बैठकें ली गई. कामों की समीक्षा की गई, किंतु अधिकारियोें व्दारा बताए गए काम और आई शिकायतों में बडा अंतर देखा गया. जिससे सीईओ ने अल्टीमेटम दिया हैं. यह भी बताया जा रहा कि, सीईओ के अल्टीमेटम के बावजूद ग्रामपंचायतों ने योजना के लिए आवश्यक पहल नहीं की. जिससे भी काम अपेक्षित रुप से नहीं हो पा रहे.

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