अमरावती

जिले में दो से चार घंटे की अघोषित लोडशेडिंग

मांग की तुलना में आपूर्ति घट जाने से इमरजन्सी कटौती का निर्देश

  • ग्रामीण क्षेत्र में काफी देर तक बत्ती गुल, भीषण गर्मी में तकलीफ बढी

अमरावती/दि.14 – राज्य में इस समय बिजली की मांग बडे पैमाने पर बढ गई है. जिसकी तुलना में आपूर्ति का प्रमाण बेहद कम है. ऐसे में महावितरण द्वारा एक तरह से समूचे राज्य में अघोषित लोडशेडिंग की जा रही है. जिससे अमरावती जिला भी अछूता नहीं है और यहां पर रोजाना दो से चार घंटे की लोडशेडिंग हो रही है. जिससे अब आम नागरिकों की तकलीफे बढने लगी है.
महावितरण द्वारा इमरजन्सी लोडशेडिंग करने हेतु रोजाना समय पर टाईमटेबल घोषित किया जाता है. जिसके अनुसार कंपनी को भारनियमन का निर्णय लेना पडता है. ऐसे में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय भारनियमन यानी लोडशेडिंग का दौर चल रहा है. साथ ही शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में भारनियमन का प्रमाण कुछ अधिक है. ऐसे में फिलहाल चल रहे भीषण गर्मी के दौर में लोडशेडिंग की वजह से समस्याएं व दिक्कतें दोगुना अधिक हो गई है.

पहले ही गर्मी, उसमें बत्ती गुल

इस समय समूचे विदर्भ क्षेत्र में तेज गर्मी पड रही है और धूप व गर्मी का प्रमाण भी दिनोंदिन बढ रहा है. अप्रैल माह के दौरान ही ‘मे हीट’ वाली स्थिति देखी जा रही है और इस समय तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास जा पहुंचा है. ऐसी स्थिति में हर कोई ठंडी छांव और हवावाले स्थान पर रहना चाहता है. किंतु यदि धूप से बचने के लिए घर में रहा जाये, तो कूलर व पंखा चलाने के लिए बिजली नहीं है, जिससे उमस के मारे बुरा हाल होता है. वहीं यदि घर से बाहर निकला जाये, तो धूप की वजह से हालत खराब होती है. ऐसी स्थिति में जायें तो जायें कहां वाले हालात है, क्योंकि महावितरण द्वारा बिजली की किल्लत रहने के चलते लोडशेडिंग करनी शुरू कर दी गई है.

ग्रामीण क्षेत्र में प्रमाण अधिक

इस समय शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में बडे पैमाने पर लोडशेडिंग की जा रही है. जिसके तहत रात-बेरात किसी भी वक्त बिजली गुल हो जाती है. जिससे लोगों को गर्मी व उमस का सामना करना पडता है. वहीं दिन में बिजली गुल होने पर सभी की हालत खराब हो जाती है.

इनर्व्हटर की खरीदी बढी

विगत कई वर्षों से बिजली कटौती व लोडशेडिंग जैसे शब्द इतिहास जमा हो गये थे. जिसके चलते इनर्व्हटर व बैटरी जैसे उत्पादों को खरीदने की कोई जरूरत नहीं बची थी. किंतु अब जैसे ही लोडशेडिंग का दौर शुरू हुआ है, वैसे ही लोगबाग अपने घर व दुकान में बिजली उपलब्ध रहने हेतु इनर्व्हटर की खरीददारी कर रहे है. जिसके चलते इलेक्ट्रीकल साहित्य की दुकानों से छोटे व बडे इनर्व्हटर की जमकर खरीददारी हो रही है.

फिलहाल नहीं आया है लोडशेडिंग का टाईम टेबल

इस समय इमरजन्सी लोडशेडिंग की जा रही है. जिसके तहत समय पर मिलनेवाले निर्देशों के अनुसार बिजली कटौती की जाती है. ऐसे में लोडशेडिंग का निश्चित समय व घंटे नहीं बताये जा सकते. बिजली की उपलब्धता को देखते हुए लोडशेडिंग का समय तय किया जाता है.
– दिलीप खानंदे
अधीक्षक अभियंता, अमरावती परिमंडल

56 फीडर पर होगी लोडशेडिंग

– कोयला अल्प रहने का असर जिले पर भी
इस समय समूचा राज्य बिजली की किल्लत से जूझ रहा है, क्योेंकि कोयले का अभाव रहने के चलते राज्य में बिजली की निर्मिती भी घट गई है. इसका असर समूचे राज्य पर पड रहा है. जिससे अमरावती जिला भी अछूता नहीं है. ऐसे में जिले के 56 फीडर पर ग्राहकों को भारनियमन यानी लोडशेडिंग का सामना करना पड रहा है. जिन फीडरों पर सबसे अधिक विद्युत चोरी या वाणिज्य हानी हो रही है, ऐसे फीडरों पर सबसे पहले भारनियमन होनेवाला है. गर्मी के मौसम के दौरान होनेवाली इस लोडशेडिंग की वजह से हो रही तकलीफों के चलते नागरिकों में महावितरण को लेकर गुस्सा फूट रहा है.
बता दें कि, महावितरण ने विद्युत चोरी व वाणिज्य हानी के प्रमाणानुसार शहरी से ग्रामीण क्षेत्र में अपने फीडरों की ‘ए’ से ‘जी-3’ ऐसी वर्गवारी तैयार की है. जिसके तहत लोडशेडिंग का पहला झटका ‘जी-3’ वर्गवारीवाले फीडर के ग्राहकों को लगनेवाला है. ज्ञात रहे कि, अमरावती जिले में बिजली की दैनिक मांग 560 मेगावैट है. जिले में कुल 525 फीडर है. जिसमें से ‘जी-3’ वाली वर्गवारी में कुल 56 फीडर शामिल होते है. इन फीडरों पर लोडशेडिंग करने के बाद भी यदि स्थिति में सुधार नहीं आता है, तो फिर ‘जी-2’, ‘जी-1’ तथा ‘एफ’ व ‘ई’ वर्गवारी वाले फीडरों पर भी लोडशेडिंग की जायेगी.

लोडशेडिंग क्यो है जरूरी

विद्युत वितरण व्यवस्था पर पडनेवाले तनाव व बोझ को कम करने के लिए महावितरण द्वारा भार व्यवस्थापन किया जाता है. यदि समय रहते यह व्यवस्थापन न किया जाये, तो पूरी विद्युत वितरण व्यवस्था के अस्त-व्यस्त होने की संभावना रहती है. जिसमें आर्थिक नुकसान भी हो सकता है. ऐसे में समय के हिसाब से भारनियमन व भार व्यवस्थापन करते हुए विद्युत वितरण व्यवस्था को बचाने का प्रयास होता है. इस आपातकालीन व्यवस्था के तहत भारनियमन का समय पहले से तय नहीं रहता.

फीडर/वितरण व वाणिज्य हानी का प्रमाण

ए 0 से 18%
बी 18 से 26%
सी 26 से 34%
डी 34 से 42%
ई 42 से 50%
एफ 50 से 58%
जी-1 58 से 66%
जी-2 66 से 74%
जी-3 74% से अधिक

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