अमरावती

पढे-लिखे होने के बाद भी दहेज के लिए अनफड

सुशिक्षित लडकी के हुनर को न देखते हुए केवल रुपयों को अधिक महत्व

अमरावती/दि.20 – महिला-पुरुष समानता की डिंगे हांकी जाती है. बढती आर्थिक लालच और दहेज के लिए विवाह के बाद महिला को सताया जाता है. इतना ही नहीं, तो सुशिक्षित घराने के लोग भी दहेज के लिए अशिक्षित लोगों जैसे रवैया अपनाते है. लडकी पढी-लिखि है उसकी पढाई और उसके हुनर को न देखते हुए केवल रुपयों को अधिक महत्व देने वाले ऐसे ससुराल के लोगों की कमी नहीं है. उच्च सुशिक्षित लडकियों को भी ससुराल में मानसिक व शारिरीक प्रताडना का सामना करना पडता है, ऐसी सच्चाई आए दिन कहीं ना कहीं देखने को मिलती है.
दहेज प्रतिबंधक कानून 1961 की धारा 3 के तहत कम से कम 5 वर्ष कारावास और कम से कम 15 हजार रुपए या दहेज मूल्य के बराबर रकम इसमेें से जो रकम ज्यादा हो, उतनी रकम का जुर्माना ठोकने की सजा का कानून है. उसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं बल्कि शहर में भी दहेज के लिए महिलाओं को प्रताडित किया जाता है. ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्र मेें खुलेआम दहेज मांगा जाता है और दिया जाता है. इसके कारण शहर व ग्रामीण लोगों की मानसिकता इस बारे में एक जैसी ही होने की बात कहीं जाती है. अधिकांश परिवार द्बारा विवाहिता की मारपीट कर उसे मायके से रुपए लाने के लिए दबाव बनाते है. ससुराल के लोगों को घर, गाडी, या दुकान लेने के लिए रुपए चाहिए. इस बहाने वे लोग विवाहित महिला को लगातार प्रताडित करते है. ऐसे में कई बार गंभीर मामले भी सामने आए है. प्रताडना से तंग आकर विवाहित महिला कई बार घातक कदम उठाते हुए आत्महत्या कर लेती है, तो कभी ससुराल के लोग ही उसकी हत्या कर आत्महत्या करने का दिखावा करते है. इस बदलते युग में सभी को अपनी मानसिकता भी बदलने की जरुरत है, तब जाकर वे उच्च शिक्षित और समझदार कहलाएंगे. अन्यथा पढे-लिखे होने के बाद भी वे गवार के गवार ही रहेंगे. ऐसे लोगों के खिलाफ विशेष कानून बनाकर और कडी कार्रवाई होनी चाहिए, ऐसी भी मांग सामाजिक कार्यकर्ताओं द्बारा की जा रही है.

* दहेज को लेकर जनजागृति
दहेज के विरोध में व्यापक जनजागृति अभियान जिलास्तर पर चलाया जाता है. दहेज विरोधी कानून के बारे में स्कूल और महाविद्यालय की छात्राओं को अवगत कराए. ऐसे लोगों के लिए सामाजिक मानसिकता बदलने की बहुत जरुरत है. हम बदलेंगे, तो दुनिया बदलेगी, इस तर्ज पर चलना बहुत जरुरी है, ऐसा तज्ञों का मानना है.

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