अमरावती

रेवसा पुल के नीचे वनविभाग ने की आरामशीन की जांच

लकडे के स्टॉक के दस्तावेज जांचे

  • सात दिनों का दिया अल्टीमेटम

अमरावती/दि.29 – समीपस्थ परतवाडा मार्ग पर रेवसा में बने रेल्वे पुल के नीचे अवैध तरीके से आरामशीन व लकडा व्यवसाय शुरू किये जाने की जानकारी सामने आते ही वनविभाग की टीम ने गत रोज यहां पहुंचकर जांच-पडताल की और लकडे के स्टॉक से संबंधित दस्तावेजों को जांचते हुए घनमीटर के हिसाब से लकडों की मोजमाप भी की. वहीं सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग ने रेल्वे पुल के नीचे अवैध तरीके से चलाये जा रहे लकडा व्यवसाय को सात दिन के भीतर यहां से हटाने की नोटीस जारी की है.
वनविभाग की टीम द्वारा रेवसा की रेलवे पुलिया के नीचे आरामशीन चलाये जाने की जानकारी मिलते ही यहां पहुंचकर जांच-पडताल की गई. जिसमें पता चला कि, यहां बडे पैमाने पर बांबू का स्टॉक किया गया है. साथ ही प्लायवूड बनानेवाली मशीन भी स्थापित की गई है. जिसके पश्चात वनविभाग की टीम ने आरामशीन में रखे लकडों की नापजोख करने के साथ ही लकडों की अनुमति से संबंधित दस्तावेजों को भी जांचा. इस समय आरामशीन संचालक ने बताया कि, प्लायवुड के निर्माण हेतू पुरा सामान बाहर से लाया जाता है. किंतु प्लायवुड प्रेसिंग मशीन सरकारी जगह पर रहने के चलते बीएन्डसी द्वारा इस अतिक्रमण को हटाने के लिए नोटीस जारी की गई. साथ ही यदि सात दिन के भीतर अतिक्रमण को नहीं हटाया गया, तो आरामशीन संचालक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जायेगी. ऐसी चेतावनी सहायक अभियंता विनोद बोरसे द्वारा दी गई. आरामशीन में लकडे की नापजोख सहायक वनसंरक्षक ज्योती पवार, वडाली के वनपरिक्षेत्र अधिकारी कैलाश भूंबर के मार्गदर्शन में वनपाल देशमुख, वनरक्षक फरतोडे तथा वनमजदूर ओंकार भुरे द्वारा की गई.

आरओबी के नीचे लकडा डिपो की अनुमति कैसे?

पता चला है कि, रेवसा रेलवे पुलिया के नीचे यह आरामशीन किराये पर चलायी जाती है और यहां बडे पैमाने पर लकडी का संग्रहण किया जाता है. जबकि इस आरामशीन के पास लकडा डिपो की अनुमति नहीं है. बावजूद इसके वनविभाग द्वारा इस आरामशीन को अभय क्यों दिया जा रहा है तथा सरकारी जमीन पर लकडी व बांबू का व्यवसाय शुरू रहते समय संबंधित जिम्मेदार वन अधिकारियों द्वारा आरामशीन संचालक को नोटीस क्यों जारी नहीं की गई, यह भी अपने आप में एक बडा सवाल है.

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