* पर्स व जेब में नकद रखने का प्रमाण घटा
* डेबीट व के्रडीट कार्ड के प्रयोग का चलन बढा
अमरावती/दि.16- नोट बंदी के बाद से धीरे-धीरे ऑनलाईन आर्थिक लेन-देन का प्रमाण बढने लगा है और लोगों ने अपनी जेब अथवा पर्स में नकद राशि रखना लगभग कम कर दिया है. बल्कि इसकी बजाय अब लोगों की जेब में डेबीट अथवा क्रेडीट कार्ड होते है. साथ ही लोगबाग अब गूगल पे, फोन पे व पेटीएम जैसे ऍप के जरिये ऑनलाईन व डिजीटल पेमेंट करने लगे है. जिसके चलते किसी समय लोगों की जेब काटकर उनके जेब में रखी नकद राशि अथवा पर्स उडानेवाले जेब कतरे अब बेरोजगार हो गये है. क्योंकि अब जेबकटी के जरिये उनके हाथ पर्स में कुछ भी नहीं लगता. बल्कि खाली पर्स में से डेबिट व क्रेडीट कार्ड निकलते है, जो उनके किसी काम के नहीं होते.
* पर्स में पैसे कम व कार्ड ज्यादा
इन दिनों अधिकांश खरीदी-बिक्री से संबंधित व्यवहार ऑनलाईन तरीके से होने लगे है. यहां तक की पानठेले, चायटपरी व भेल-पुरी जैसे व्यवसाय के संचालक भी अब डिजीटल पेमेंट हेतु क्यूआर कोड रखने लगे है. साथ ही अब बैंक के एटीएम कार्ड के जरिये रकम विड्रॉल करने के साथ-साथ रकम डिपॉझिट करने का काम भी होने लगा है. इसके अलावा मोबाईल फोन के जरिये घर बैठे किसी को भुगतान देने अथवा किसी के बैंक खाते में रकम ट्रान्सफर करने के काम होने लगे है. जिसके चलते अब जेब में नकद रकम रखने की कोई जरूरत ही नहीं है. ऐसे में अब जेब में रखे जानेवाले वॉलेट यानी पर्स महज शो-पीस बनकर रह गये है, जो जेब कतरों के लिए किसी काम के नहीं.
* तनाव भी कम हुआ
इन दिनों सभी बैंकों द्वारा नेट बैंकिंग, मोबाईल बैंकिंग व ई-वॉलेट जैसे पर्याय उपलब्ध कराये गये है. जिसके चलते मध्यम व उच्च मध्यम वर्गीय लोगों के साथ ही युवा पीढी द्वारा ऑनलाईन सोल्यूशन व कार्ड का दैनंदिन आर्थिक व्यवहारों के लिए प्रयोग किया जाना शुरू किया गया है. ऐसे में भीडभाडवाले स्थानों पर अपनी जेब को संभालने और रकम के चोरी हो जाने के डर से भी छूटकारा मिला है.
* एटीएम व बैंकों में भीड घटी
इससे पहले जहां सभी तरह के आर्थिक व्यवहारों के लिए बैंक में जाना ही पडता था तथा कैश विड्रॉल का काम एटीएम पर ही होता था. साथ ही नोट बंदी के बाद बैंक और एटीएम भी कैश विड्रॉल में असमर्थ व असहाय हो गये थे. जिसके चलते कई लोगों ने डेबीट और क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करना शुरू किया. साथ ही नोट बंदी के बाद ऑनलाईन पेमेंट व कैशलेश व्यवहार करने के लिए पेटीएम जैसे ई-वॉलेट बाजार में आये. जिससे अब आर्थिक लेन-देन संबंधी सारा काम ऑनलाईन तरीके से होने लगा है. जिसकी वजह से बैंकों व एटीएम में भीडभाड काफी हद तक घट गई है.
* पेमेंट ऍप बढे
केंद्र सरकार का अधिकृत कैशलेस ऍप बाजार में आने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी महा ई-वॉलेट नामक ऍप जारी किया. इसके साथ ही विविध निजी व सरकारी बैंकों द्वारा भी अलग-अलग मोबाईल ऍप लॉन्च किये गये. जिनका मध्यम व उच्च मध्यम वर्ग को काफी फायदा हुआ. इन दिनों प्रत्येक व्यापारी प्रतिष्ठान व फूटकर व्यवसायियों के पास पेमेंट ऍप स्कैन कोड का स्टिकर लगा होता है. जिसके चलते अब ग्राहकों व दुकानदारों द्वारा बडे धडल्ले के साथ विविध पेमेंट ऍप का प्रयोग किया जा रहा है.
* पुलिस का भी सिरदर्द घटा, पर तनाव बरकरार
इस संदर्भ में शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने बताया कि, ई-वॉलेट का चलन बढने के चलते साहजिक रूप से ऑनलाईन पेमेंट करने की ओर रूझान बढ गया है. इन दिनोें मोबाईल टू मोबाईल व्यवहार बढ जाने के चलते अधिकांश लोग अपने पास बडी रकम नहीं रखते. जिसकी वजह से जेब कटी जैसे अपराध अब पहले की तुलना में काफी कम घटित हो रहे है. किंतु वहीं दूसरी ओर अब ऑनलाईन ठगबाजी के मामले बढ रहे है. ऐसे में आर्थिक लेन-देन संबंधी ऑनलाईन व्यवहार को लेकर व्यापक स्तर पर जनजागृति करने की आवश्यकता है. क्योंकि बेहद शातिर रहनेवाले साईबर अपराधियों द्वारा भोलेभाले लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाते हुए एक ही झटके में उनके बैंक खातों को साफ कर दिया जाता है. जिसमें उनके जीवनभर की कमाई चली जाती है. अत: लोगों को ऑनलाईन लेन-देन के संदर्भ में शिक्षित व जागरूक होना पडेगा.