अमरावती/दि.24– राज्य के सभी अकृषि विद्यापीठ व महाविद्यालयीन सेवक संघ के संयुक्त कृति समिति के काम बंद आंदोलन से विद्यापीठ का काम दिक्कत में आया है. शासन के इस नियोजन के कारण यह स्थिति निर्माण हुई है. इसलिए इन सभी परिस्थिति का राज्य सरकार दोषी होने का आरोप कर्मचारी संगठना के पूर्व अध्यक्ष बालासाहब यादगिरे ने लगाया है.
विद्यापीठ कर्मचारियों ने हक की मांग के लिए इससे पूर्व दो बार आंदोलन किए. इसी समय तीसरे चरण के आंदोलन की चेतावनी भी दी गई थी. जिसके अनुसार गत 18 दिसंबर से राज्यभर में बेमियादी कामबंद आंदोलन पुकारा गया है. लेकिन आंदोलन शुरु रहते पांच दिन बीत जाने के बाद भी अब तक किसी भी प्रकार की सकारात्मक चर्चा नहीं की गई.
कोरोना की पार्श्वभूमि पर अब विद्यापीठ का ऑफलाइन कामकाज सुचारु होने लगा था. लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल से वह भी ठप हो गया. बालासाहब का कहना है कि कर्मचारियों ने अपनी मांगों बाबत बार-बार पत्रव्यवहार कर व निवेदन शासन को सौंपे फिर भी कर्मचारियों के न्याय मांग बाबत ठोस निर्णय नहीं लिए जाने से संयुक्त कृति समिति को नाइलाज हड़ताल करने निर्णय लेना पड़ा है. विद्यापीठ व महाविद्यालयीन कर्मचारियों की मांग अवास्तविक न होकर जो राज्य कर्मचारियों को दिया, वहीं हमें भी मिले यह उनका कहना है. इसलिए 796 पदों को सातवां वेतन लागू करने, 58 महीनों का बकाया तुरंत देने, आश्वासित प्रगति योजना का लाभ, पांच दिनोंम का सप्ताह व कर्मचारियों पर का तनाव व विद्यार्थी संख्या को ध्यान में रखते हुए रिक्त पद तुरंत भरने की कार्यवाही शासन द्वारा तुरंत करने की मांग आंदोलनकर्ताओं द्वारा की जा रही है.
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