अमरावती

सरकार की ओर से पारित निर्णय को रद्द करें

श्रीकांत देशपांडे का मुख्यमंत्री को निवेदन

अमरावती प्रतिनिधि/ दि. 16 – राज्य सरकार की ओर से हाल ही में पारित किए गए निर्णयों को रद्द करने की मांग को लेकर श्रीकांत देशपांडे ने मुख्यमंत्री को निवेदन दिया गया. निवेदन में बताया गया है कि 11 दिसंबर को लिए गये इस निर्णय के कारण राज्य के चतुर्थश्रेणी कर्मचारी (शिपाई, नाईक, पहरेदार, प्रयोगशाला परिचर, रात्रि का पहरेदार,सफाईगार, कामठी, तेलवाला, चौकीदार आदि ) कर्मचारी व राज्य के बेरोजगार युवक पर अन्याय करने जैसा व उनका रोजगार छीनने जैसा होगा.
श्रीकांत गोविंदराव देशपांडे ने कहा कि प्रतिशाला शिपाई भत्ता लागू करनेवाला 11 दिसंबर 2020 का अन्यायकारक शासन निर्णय रद्द करने के संबंध में तथा शासन 4 दिसंबर को शासन निर्णय क्र.मा.शा.अ-2020/प्र.क्र.61/एम.एम.-4 कडी शर्त रद्द करने के संबंध में मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को निवेदन दिया गया है जिसमें कहा गया है कि, राज्य के मान्यता प्राप्त निजी अंशत: पूरी तरह अनुदानित माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शाला के चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों के लिए सुधारित आकृति से आकृतिबंध निश्चित न कर शिक्षा विभाग ने प्रति शाला शिपाई भत्ता ऐसा अन्यायकारक निर्णय 11 दिसंबर को लिया है. इसी प्रकार 4 दिसंबर को शासन निर्णय क्र.मा.शा.-2020 प्र.क्र.61/एच.एम में कडी शर्त रद्द करने के संबंध में निजी व्यवस्थापन की जिन शालाओं को 20 प्रतिशत अनुदान मिलता है.उन्हे बढाकर 20 प्रतिशत का अनुदान देने के लिए शासन ने 4 दिसंबर को शासन आदेश निर्गमित किया है. इस आदेश में शर्त क्र.5 व 6 अन्यायकारक है.
उपरोक्त कानून अथवा कम से कम वेतन कानून इसमें आज तक विधिमंडल ने वेतन के संबंध में बदल किए जाने के कारण इस प्रकार के ठेकेदार पध्दति से कर्मचारी नियुक्त करना अन्यायकारक व कानून बाह्य है.
11 दिसंबर 2020 का अन्यायकारक शासन निर्णय महाराष्ट्र राज्य निजी शाला कर्मचारी नियमावली 1981 में विसंगत है. यह निर्णय महाविकास आघाडी शासन की दृष्टि से भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है. इन सभी बातों का विचार करके 11 दिसंबर का आदेश तत्काल रदद किया जाए.

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