अमरावती

यूरिया, उर्वरकों का बेवजह इस्तेमाल होगा घातक

कृषि विभाग की किसानों को सलाह

अमरावती/प्रतिनिधि दि.20 – वर्तमान में यूरिया सबसे सस्ता नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक है. अनेकों किसान अपने फसलों में यूरिया का इस्तेमाल करना पसंद करते है. किंतु यूरिया उर्वरक का अत्याधिक व बेवजह इस्तेमाल फसलों के लिए फायदेमंद नहीं बल्कि हानीकारक है. किसान यूरिया उर्वरक का बेवजह व अधिक मात्रा में इस्तेमाल न करे ऐसी सलाह किसानों को कृषि विभाग व्दारा दी जा रही है.
सोयाबीन, मूंग, उडद, अरहर, बरबटी जैसे फल्लियाेंं की जड की गांठों में बैक्टरियां व्दारा नाइट्रोजन को हवा से अवशोषित किया जाता है. इसलिए इन फसलों को रासायनिक खाद की अनुशासित मात्रा बुआई के समय देनी चाहिए साथ ही इन फसलों को नाइट्रोजन की आवश्यकता भी कम होती है इन फसलों में यूरिया या अन्य नाइट्रोजयुक्त उर्वरक अंकुरण के बाद वृद्धि अवस्था में डालने से फसल की अनावश्यक वृद्धि होती है. इसका मतलब है कि जैसे-जैस पेड की उंचाई बढती है दो तनों के बीच दूरी बढती जाती है और पेड पर तनों की संख्या कम होती जाती है. फलस्वरुप पेड पर पत्तों की संख्या और पत्तियों के कोनो से आने वाले फूलों और फल्लियों की संख्या कम हो जाती है जिससे उत्पादन में भी कमी आती है.
नाइट्रोजन उर्वरक फसल के फूल की अवधी को बढाता है और कुछ पौधों की वृद्धि के कारण फसल की चिकनाई भी बढाता है जिससे फसल पर रस और अन्य कीटों के संक्रमण की संभावना बढ जाती है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से किसानों को सलाह दी गई है कि वे सोयाबीन, मूंग, उडद, अरहर और बरबटी फसलों में यूरिया की दूसरी खुराक से बचे.

  • कीटों को करता है आमंत्रित

कपास, ज्वार, मक्का और फल्लियों में यूरिया का इस्तेमाल सीमित होना चाहिए. क्योंकि यह कीटों को आमंत्रित करता है फसलों पर फूल आने की अवसस्था में यूरिया डाले सोयाबीन की फसल पर बुआई के 50 अथवा 70 दिनों के पश्चात 2 फीसदी यूरिया सौ लीटर पानी में 2 किलो यूरिया मिलाकर डाले, फल्लियों में 19,19,19 के मामले में 2 प्रतिशत नाइट्रोजन फासफोरस और पोटाश या डीएपी का छिडकाव करें. इस प्रकार कपास की फसल पर फूल आने पर 2 प्रतिशत यूरिया और 2 प्रतिशत डीएपी का छिडकाव करने से कपास उत्पादन में वृद्धि होती है.

  • जैविक खाद का बढे चलन

जिले के किसान सोयाबीन व उडद की फसलों को यूरिया की खुराक देने से बचे और कपास, ज्वार तथा मक्का की फसलों में यूरिया का इस्तेमाल सीमित करे तथा जैविक खाद का चलन बढाए.
विजय चव्हाले, जिला कृषि अधीक्षक

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