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जवार भी पडऩे लगी काली
अचलपुर प्रतिनिधि/दि. २५ – बीते अनेक वर्षो से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करनेवाले किसानों पर इस वर्ष गीले अकाल का साया मंडराता नजर आ रहा है. जिससे मेलघाट क्षेत्र के किसान आर्थिक संकट में घिरते नजर आ रहे है. यहां बता दे कि मेलघाट में रहनेवाले आदिवासी किसानों द्वारा सोयाबीन, धान, कोदो, कुटकी,सावा,मूंग, उड़द, मकई, गडमल, तिलहन, जवार, बाजरा, बरबटी फल्ली, मिर्ची का उत्पादन लिया जाता है. इस बार भी आदिवासी किसानों ने अपने खेतों में खरीफ फसल की बुआई की थी. लेकिन जैसे ही खेतों में फसले अंकुरित होने लगी थी वैसे ही अतिवृष्टि ने कहर बरपाना शुरू किया. जिससे अनेक क्षेत्रों में फसले पानी के नीचे डूब गई.चिखलदरा तहसील का अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी होने से यहां पर मलमल जमीन का क्षेत्र है. इस मलमल जमीन में मिर्ची का उत्पादन किया जाता है. लेकिन अतिवृष्टि से यह फसल भी खेत में खराब हो रही है. इस स्थिति में किसानों सहित मवेशियों के चारे की समस्या भी निर्माण हो रही है. किसानों के खेतों में खड़ी फसले खराब हो रही है. अत्याधिक बारिश से सोयाबीन खेत में ही गलकर गिर गई है. जवार भी काली पड़ गई है. तिलहन की फसल भी जल गई है. धान की फसल पूरी तरह से पानी में डूब जाने से वह खराब हो गई है. किसानों को अब सरकार से नुकसान का मुआवजा मिलने की उम्मीद है.