अमरावती

बेमौसम बारिश ने विदर्भ को बचाया ग्रीष्मलहर से

बार-बार मौसम में आता रहा बदलाव

  • ग्लोबल वॉर्मिंग का असर

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२२ – विदर्भ की ‘पसीनाफोड’ गरमी की चर्चा केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में होती है. गरमी के मौसम दौरान विदर्भ में प्रतिवर्ष अधिकतम तापमान 46 से 47 डिग्री सेल्सियस तक जाता है. किंतु इस वर्ष यह परंपरा खंडित हो गयी है, क्योंकि अब गरमी का मौसम खत्म होने की ओर आगे बढ रहा है और अब तक तापमान ने 45 डिग्री सेल्सियस को नहीं छुआ है. मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार गरमी के मौसम में ही बेमौसम बारिश तथा बीच-बीच में कई दिनों तक रहनेवाले बदरिले मौसम की वजह से इस वर्ष विदर्भ में अपेक्षा के मुताबिक कडी धूप नहीं तपी और गरमी का प्रमाण काफी हद तक कम रहा. इसे ग्लोबल वॉर्मिंग के परिणामों का असर माना जा रहा है और जगह-जगह पर नियमित तौर पर तैयार होनेवाले ‘सिस्टीम्स्’ की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है.
स्थानीय मौसम विशेषज्ञ प्रा. अनिल बंड के मुताबिक यदि कुछ वर्षों के दौरान विदर्भ के हवामान संबंधी इतिहास पर नजर डाली जाये, तो पता चलता है कि गरमी के मौसम के दौरान यहां पर हमेशा ही अधिकतम तापमान 46 से 47 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है और कई जिलों में तो पारा 48 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंचने का अनुभव आ चुका है. किंतु इस वर्ष अब तक गरमी के तेज थपेडे महसूस नहीं हुए है. साथ ही अब गरमी का मौसम खत्म होने में है और 15 दिनों में बारिश का मौसम शुरू हो जायेगा. किंतु इसके बावजूद भी विदर्भ में अधिकतम तापमान का औसत 44 डिग्री सेल्सियस से उपर नहीं गया है. साथ ही इस बार ग्रीष्म लहर और तेज लू के थपेडे भी महसूस नहीं हुए है. मौसम वैज्ञानिक प्रा. अनिल बंड के मुताबिक इस वर्ष बीच-बीच में ‘सिस्टीम्स्’ अथवा कम दबाव वाले क्षेत्र बनने की वजह से विदर्भ में ग्रीष्म लहर नहीं बन पायी. साथ ही यदि मौसम पूरी तरह से सूखा हो, तो ही तापमान बढता है. किंतु इस बार ही बेमौसम बारिश की वजह से वातावरण में काफी हद तक आर्द्रता व नमी भी बनी रही. अब जल्द ही नवतपा शुरू होनेवाला है. ऐसे में अगले हफ्ते तापमान में कुछ हद तक वृध्दि होने की संभावना है. किंतु इसी दौरान 25 व 26 मई के आसपास बंगाल की खाडी में ‘यास’ नामक चक्रावात उत्पन्न होने की आशंका जतायी गयी है. यदि ऐसा होता है, तो इसका विदर्भ क्षेत्र की गरमी पर भी असर पडेगा. प्रा. बंड के मुताबिक विगत कुछ वर्षों के दौरान ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ऋतुचक्र में काफी बदलाव हुआ है.

  • मान्सून पर नहीं होगा परिणाम

विदर्भ क्षेत्र में यद्यपि अपेक्षा के अनुरूप गरमी नहीं पडी हैं, किंतु इसके बावजूद इसका आगामी मान्सून पर कोई विपरित परिणाम नहीं पडेगा. ऐसी जानकारी देते हुए प्रा. अनिल बंड ने बताया कि, विदर्भ अथवा अन्य स्थान पर पडनेवाली गरमी पर मान्सून की बारिश निर्भर नहीं करती, बल्कि भारत के कुल औसत वातावरण से उसका संबंध होता है. भारतीय मौसम विभाग ने देश में इस बार अच्छी बारिश होने की संभावना पहले ही व्यक्त कर दी है. ऐसे में विदर्भ क्षेत्र में भी बारिश की स्थिति सर्वसाधारण रहेगी.

  • आठ वर्ष पूर्व चंद्रपूर का तापमान था 48 डिग्री

विदर्भ क्षेत्र के तापमान ने अब तक कई बार देश में नये-नये रिकॉर्ड प्रस्तापित किये है. आठ वर्ष पूर्व 22 मई 2013 को चंद्रपुर जिले में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस पर जा पहुंचा था. यह विदर्भ क्षेत्र के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक गर्म दिन माना जाता है. वहीं इसके एक दिन बाद 23 मई 2013 को नागपुर में 47.9 डिग्री अधिकतम तापमान दर्ज किया गया था.

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