भोजन के पोषक तत्व कायम रखने के लिए करें मिट्टी के बर्तनों का उपयोग
अमरावती/दि.22 – एक समय था कि कुछ वर्ष पूर्व घर-घर में मिट्टी के बर्तन होते थे. उसके बाद स्टेलनेस स्टील के बर्तन आए. मिट्टी के बर्तन का उपयोग करना यानी कुछ लोग इसे आज भी पिछडापन मानते है. किंतु समय बदलने के साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि से और टेस्ट करने के लिए मिट्टी के बर्तन फिर से घर- घर में दिखाई देने लगे है.
इसके अलावा एल्मुनियम के बर्तन में खाना बनाने से 80 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते है. पीतल के बर्तन में खाना बनाने से 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते है. मिट्टी के बर्तन में 100 प्रतिशत पोषक तत्व कायम रहते है.
मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होने से मिट्टी के बर्तन के भाव अधिक हो गये है. हंडी का भाव 300 से 500, कढई 300 से 500, तवा 200, पानी बॉटल 200भाव है.
मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से कॅल्शियम,फास्फोरस, मैग्निशियम,सल्फर यह तत्व मिलते है इसमें पोषक तत्व नष्ट नहीं होते. मिट्टी के बर्तनों का पीछेका भाग गरम और ठंडा एकसमान ही होता है.
गैस का उपयोग बढ जाने से चूल्हे पर खाना बनाने का टेस्ट ही गायब हो गया है. भोजन की पौष्टिकता बढाने के लिए मिट्टी के बर्तन का उपयोग करने में कोई हर्ज नहीं है. भोजन बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग नहीं किया जाता. किंतु ग्रीष्मकाल में मटके का ही उपयोग किया जाता है.