रंगोत्सव के लिए पर्यावरण पूरक रंगों का करें इस्तेमाल
त्वचारोग विशेषज्ञों की सलाह

* मिलावटी रंग त्वचा के लिए खतरनाक
अमरावती/दि.11-हाथों को चुभने वाले, अधिक चमक वाले और तैलीय गंध वाले रंगों की बाजार में पर्यावरण पूरक के नाम से विक्री की जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये रंग मिलावटी हैं और त्वचा के लिए खतरनाक हैं. त्वचारोग विशेषज्ञों ने होली के लिए पर्यावरण पूरक के साथ-साथ घर में बने रंगों का उपयोग करने का आह्वान किया है. रासायनिक रंग त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार होली के बाद त्वचा रोगियों की संख्या बढ जाती है.
शहर में युवा और बुजुर्ग रंगोत्सव की तैयारी कर रहे हैं. हरा, लाल, गुलाबी, पीला, नीला आदि विभिन्न रंगों से बाजार होली के लिए तैयार है. रंगों की बडे पैमाने पर आवक हुई है. हालांकि, बाजार में मौजूद रासायनिक रंग त्वचा संबंधी विभिन्न विकारों का कारण बनते हैं. इसलिए होली पर घर पर बने प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें. साथ ही त्वचा की सुरक्षा और पानी की बर्बादी से बचने के लिए सूखे रंगों के प्रयोग का आह्वान भी विशेषज्ञ कर रहे है. धुलैंडी पर रंग खेलने के नाम पर कई लोग केमिकल मिश्रित रंगों का इस्तेमाल करते हैं. यह रंग आसानी से नहीं उतरता. इससे त्वचा के साथ-साथ आंखों में भी जलन होती है.
* प्राकृतिक और रासायनिक रंगों की पहचान करें
-प्राकृतिक रंग हल्के होते हैं.
– रासायनिक रंगों से हाथों में जलन होती है.
-चमकदार रंग रासायनिक होते हैं.
– उनमें तेल जैसी गंध आती है.
-प्राकृतिक रंग फीके पडने लगते हैं.
* सावधानी बरतनी चाहिए
रंग खेलते समय बच्चों और बडों को सावधानी बरतनी चाहिए. रंग खेलने से पहले अपने हाथों, पैरों, गर्दन और शरीर पर नारियल का तेल, वैसलीन या मॉइश्चराइजर लगाएं.
-मोटे कपडे पहनें.
-होठों और नाखूनों पर भी वैसलीन लगाए.
-रासायनिक रंगों से बचें और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें.
– यदि संभव हो तो सूखी होली खेलें.
– पानी की बर्बादी से बचें.
घर में बने रंगों का इस्तेमाल करें
रासायनिक रंगों के साथ-साथ वॉर्निश लगाने से बचना चाहिए. इनमें मौजूद हानिकारक तत्व त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए ऑरगॅनिक रंंगों का प्रयोग करें. क्योंकि ऑरगेनिक रंगों को त्वचा से निकालना आसान होता है. प्राकृतिक रंग त्वचा के संक्रमण, एलर्जी या रिअॅक्शन को भी रोकते हैं. यदि संभव हो तो घर में बने रंगों का प्रयोग करें.
-डॉ. योगानंद कुलकर्णी, त्वचा विशेषज्ञ,
पीडीएमएसी.