अमरावती

गैस चूल्हे का प्रयोग करें सतर्कता के साथ

गैस लीकेज की वजह से हो सकता है हादसा

* जिले में 122 लोग गैस लीकेज से झुलसे
* महिलाओं के लिए विशेष सतर्कता की जरुरत
अमरावती /दि.7– लकडी व गोबरी वाले चूल्हों का प्रयोग अब लगभग पूरी तरह से खत्म हो गया है और प्रत्येक व्यक्ति के घर पर एलपीजी सिलेंडर व गैस वाले सिलेंडर आ गए है. जिसके चलते महिलाओं को धुएं से मुक्ति मिल रही है और गैस शेगडी पर खाना बनाना काफी आसान भी हो गया है, लेकिन गैस शेगडी पर भोजन पकाना जितना आसान है, उतना ही खतरनाक भी साबित हो सकता है. क्योंकि सिलेंडर से होने वाली गैस लीकेज की वजह से सिलेंडर में विस्फोर्ट होने की घटनाएं भी घटित होती है. जिन्हें देखते हुए रसोई घर में काम करते समय महिलाओं को सतर्क रहते हुए अपनी सुरक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए. साथ ही गैस लीकेज की वजह से झुलसने पर तत्काल ही त्वचारोग विशेषज्ञ के पास जाकर अपना इलाज करवाना चाहिए.

बता दें कि, जिला सामान्य अस्पताल के बर्निंग वार्ड में अप्रैल से नवंबर माह की कालावधि में झुलसने कीवजह से 122 मरीज इलाज हेतु भर्ती हुए थे. जिनमें 60 से 70 महिलाओं का समावेश था और गैस की वजह से झुलसी महिलाओं की संख्या 5 से 6 के आसपास थी. ऐसी महिलाओं ने गैस पर भोजन पकाते समय अपनी सुरक्षा की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए.

* क्या सतर्कता जरुरी?
– गैस शुरु करते समय नॉब से गैस का फ्लो कम रखते हुए बर्नर को लाइटर या माचिस से जलाना चाहिए.
– गैस का काम होते हुए शेगडी के नॉब और सिलेंडर के रेगुलेटर को व्यवस्थित ढंग से बंद करना जरुरी है.

* गैस से आग लगने पर सबसे पहले क्या करें
– गैस की वजह से आग लगने पर बिना घबराए गैस सिलेंडर को बंद करें
– आग पर गिला कंबल डालकर आग को बुझाने का प्रयास करें
– सिलेंडर को गीले कपडे से ढांककर किसी सुरक्षित स्थान ले जा कर रखे.

* आग से झुलसने पर क्या करें?
– किसी भी कारण की वजह से जलने अथवा झुलसने पर तुरंत ही शरीर के उस हिस्से पर ठंडा पानी डाले और बर्फ लगाए.
– किसी भी तरह का कोई भी क्रिम लगाए बिना तुरंत त्वचारोग विशेषज्ञ को दिखाए और उपचार करवाए.
– जख्म पर कोई पट्टी न बांधे और घरेलू उपाय या नुस्खे बिल्कुल भी न आजमाये.

* झुलसने वाले मरीजों में महिलाओं का प्रतिशत अधिक
जिले के सरकारी अस्पताल में अप्रैल से नवंबर माह के दौरान जलने व झुलसने वाले 122 मरीज भर्ती किए गए थे. जिनमें 60 से 70 महिलाओं का समावेश था. वहीं गैस की वजह से झुलसी महिलाओं की संख्या 5 से 6 के आसपास थी.

* इन वजहों के चलते सर्वाधिक घटनाएं
– गैस
गैस की वजह से आग लगने की 4 से 5 घटनाएं विगत एक वर्ष के दौरान जिले में घटित हुई है और इर्विन अस्पताल में गैस की वजह से झुलसे 5 से 6 मरीज इलाज के लिए भर्ती कराए गए.
– शॉर्ट सर्किट
इर्विन अस्पताल के बर्निंग वार्ड में इलाज हेतु भर्ती कराए गए ज्यादातर मरीज शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं में झुलसकर घायल हुए थे. साथ ही कुछ मरीज गर्म पानी शरीर पर गिर जाने की वजह से भी झुलसे थे.

* खुद को जलाने का प्रयास
जिला सामान्य अस्पताल के बर्निंग वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों में से 2 से 3 मरीज ऐसे भी रहे, जिन्होंने गुस्से मेें आकर खुद को जलाने का प्रयास किया था. इसके अलावा पटाखे सहित अन्य छिटपूट हादसों में झुलसने वाले मरीजों को भी इर्विन अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया गया.

* गैस अथवा अन्य किसी भी वजह के चलते जलने या झुलसने पर मरीज को तुरंत ही अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराना चाहिए. साथ ही भर्ती कराने से पहले प्राथमिक उपचार के तौर पर शरीर के झुलसे हुए हिस्से को ठंडे पानी में रखने के साथ ही उस पर बर्फ लगाना चाहिए. इसके अलावा जले हुए हिस्से पर आने वाले फफोलों को बिल्कुल भी फोडना नहीं चाहिए और उस स्थान पर डॉक्टर की सलाह की बिना किसी भी तरह का क्रिम या पेस्ट नहीं लगाना चाहिए.
– डॉ. रिद्धेश मुंधडा,
विभाग प्रमुख, बर्निंग वार्ड,
जिला सामान्य अस्पताल.

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