मोबाइल व लैपटॉप का संभालकर करें प्रयोग, अन्यथा वंध्यत्व का खतरा
विशेषज्ञों ने अतिप्रयोग को टालने की दी सलाह, अध्ययन के जरिए सामने आए नतीजे
अमरावती/दि.2 – सूचना तकनीक के मौजूदा दौर में मोबाइल, लैपटॉप व कम्प्यूटर आदि का प्रयोग नहीं करना लगभग नामुमकीन है और हर कोई इन तमाम गैजेट्स पर ज्यादा से ज्यादा समय काम करता दिखाई देता है, लेकिन तकनीक पर आधारित रहने वाली यहीं जीवनशैली पुरुष वंध्यत्व का प्रमाण बढाने का काम कर रही है. इस संदीर्भ में किए गए अध्ययन के जरिए पता चला है कि, ऐसे तमाम गैजेट्स के अतिप्रयोग का परिणाम पुरुषों के शुक्राणुओं पर हो रहा है. ऐसे में मोबाइल व लैपटॉप के अतिप्रयोग से बचा जाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि, मोबाइल फोन, लैपटॉप, कम्यूटर, टेलिविजन वायफाय, मोबाइल टॉवर व राडार आदि से बडे पैमाने पर रेडियो लहरे उत्सर्जित होती है और रेडियो लहरों का विकीरण कई तरह से शुक्राणुओं को खराब करता है. जिसके चलते शुक्राणुओं की गतिशिलिता व उनकी रचना खराब होती है और वंध्यत्व का खतरा बढता है.
* मोबाइल व लैपटॉप पर काम का समय हो निश्चित
इन दिनों मोबाइल व लैपटॉप का प्रयोग काफी अधिक बढ गया है. साथ ही छोटे बच्चों से लेकर युवाओं व बुजुर्गों तक हर कोई धडल्ले के साथ मोबाइल का प्रयोग करता है, परंतु मोबाइल व लैपटॉप पर काम करने का समय निश्चित होना चाहिए. क्योंकि दिन भर के दौरान काफी अधिक समय तक मोबाइल व लैपटॉप का प्रयोग करने की वजह से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम पडता है और वंध्यत्व का खतरा भी पैदा हो सकता है.
* आहार व विश्राम पर भी ध्यान देना जरुरी
– शुक्राणुओं के स्वास्थ्य हेतु पोषक आहार व भरपूर विश्राम बेहद महत्वपूर्ण होते है.
– गुणवत्तापूर्ण शुक्राणुओं के लिए रोजाना रात में 7 से 8 घंटे की भरपूर नींद बेहद जरुरी है.
– इसके साथ ही संतुलित आहार व नियमित व्यायाम करना भी बेहद जरुरी होता है. ताकि ‘स्पर्म काउंट’ को बढाया जा सके.
* लैपटॉप व मोबाइल के प्रयोग को लेकर कुछ मार्गदर्शक तत्व होते है. जिनका पालन किया जाना चाहिए. किसी भी बात की अति करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. यदि लैपटॉप को लंबे समय तक गोद में रखकर काम किया जाए और यदि मोबाइल को पैंट की जेब में रखकर 8 से 10 वर्ष तक प्रयोग में लाया जाए, तो वंध्यत्व का खतरा हो सकता है. हालांकि वंध्यत्व के लिए यहीं एकमात्र कारण नहीं होता, बल्कि इसके अन्य कई कारण भी हो सकते है. परंतु मोबाइल व लैपटॉप का प्रयोग कम करते हुए वंध्यत्व के खतरे को टाला जा सकता है.
– डॉ. राजेश उताणे,
वंध्यत्व निवारण विशेषज्ञ.