अमरावतीमहाराष्ट्र

पशुधन घटने से गोबर और खाद का इस्तेमाल हुआ कम

गोबर गैस ग्रामीण क्षेत्रों से हुए गायब

अमरावती/दि.11– अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत में से एक गोबर गैस की बॉयोगैस संकल्पना उपयुक्त रही थी. ग्रामीण क्षेत्र में परिवार के लिए तो गोबर गैस वरदान साबित हो रहे थे. मगर पशुधन घटने के कारण गोबर व गोबर खाद कम होने से एक समय में महत्व का घटक रहने वाले गोबर गैस अब ग्रामीण क्षेत्रों से कालबाह्य हो रहा है. इसका प्रमुख कारण पशुधन की कम होती संख्या है.

ग्रामीण क्षेत्र में गोबर गैस की संख्या अधिक थी. मगर पिछले कुछ वर्षों में से पशुधन लगातार कम होने के कारण गोबर भी मिलना दुभर हो रहा है. तो गोबर गैस का इस्तेमाल करने असुविधा जनक हो रहा है. खेती के साथ ही जोड धंधा के रुप में किसान कुकुट पालन, बकरी पालन, दुग्ध व्यवसाय के लिए कुछ वर्ष पूर्व जानवरों को बडी संख्या में पालते थे. इन जानवरों के कारण ईंधन मिलने के कारण किसान घरों पर ही गोबर गैस का इस्तेमाल करते हुए दिखाई देते थे. मगर अब पशुधन कम होते जा रहे है. कौंडण्यपुर के महेन्द्र भगत कहते है कि वर्ष 1998 से 2000 के बीच हमारे पास गोबर गैस था. मगर समय के साथ गोबर गैस प्रक्रिया यह बहुत ही परेशानी वाली साबीत हो रही थी. जिसके कारण उसे बंद कर दिया गया. बैलजोडी बेचने के कारण गोबर भी मिलना मुश्किल हो गया था. जिसके कारण गोबर गैस बंद कर दिया.

चारा किल्लत का फटका
पशुधन कम होने के पशु पालकों के अलग अलग कारण है. चारा व पानी के अभाव के कारण जानवरों को भूखा रहना पडता है. इसी तरह खेती व आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल बढने के कारण अनेक किसान जानवर पालना कम कर रहे है. पशुपालक जानवर बिक्री करने को पसंद नहीं करने के बावजूद भी चारे की समस्या के कारण अनेक किसान पशुधन कम कर रहे है. पशुधन घटने से गोबर गैस कम हो रहा है.

तकनीकी कारण आया बदलाव
पशुधन के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक गोबर गैस अडचन में आ गए है. उसके स्थान पर अब एलपीजी सिलेंडर ने ले ली है. पिछले कुछ वर्षो से तकनीकी के कारण खेती में काफी बदलाव आया है. समय की बचत व ज्यादा उत्पादन की जल्दी में किसान पशुपालन की ओर ध्यान नहीं दे रहे है. जिसके कारण पशुधन बढाने के लिए उपाय योजना चलाए जाने की जरुरत है.

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