अमरावती

बेहद जरूरी रहने पर ही रेमडेसिविर का प्रयोग करें

जिलाधीश नवाल ने दी चिकित्सकों को हिदायत

  • बेवजह और जबरन प्रयोग से बचने की सलाह भी दी

अमरावती/दि.17 – इस समय कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर नामक इंजेक्शन का बडे धडल्ले के साथ प्रयोग किया जा रहा है और इस इंजेक्शन को कोविड संक्रमित मरीजोें के इलाज हेतु बेहद कारगर व आवश्यक माना जा रहा है. जिससे जहां एक ओर चिकित्सकों द्वारा कोरोना से संक्रमित लगभग सभी मरीजों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर संक्रमित मरीजों के परिजनों द्वारा भी रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीज को लगाये जाने की मांग की जा रही है. जिससे इस इंजेक्शन की मांग में अचानक ही बेतहाशा वृध्दि होकर इस इंजेक्शन की किल्लत पैदा हो गई. जिसकी वजह से इस इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू हो गयी और यह इंजेक्शन तीन से चार गुना अधिक दामों पर बिकने लगा. ऐसे में हालात को नियंत्रित करने हेतु जिलाधीश शैलेश नवाल ने जहां एक ओर रेमडेसिविर इंजेक्शन की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और निजी अस्पतालों को अपने नियंत्रण के तहत पीडीएमसी अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराना शुरू किया. वहीं दूसरी ओर कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को भी यह नसिहत दी गई कि, हर कोविड संक्रमित मरीज को बिना वजह और जबरन रेमडेसिविर इंजेक्शन न लगाया जाये.
इस संदर्भ में चिकित्सकों के नाम हिदायत जारी करते हुए जिलाधीश शैलेश नवाल द्वारा कहा गया कि, यदि किसी मरीज के लिए रेमडेसिविर के दो डोज ही काफी है, तो उसे बेवजह पांच से छह डोज लगाने का आग्रह न किया जाये और यदि रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाये बिना ही काम चल सकता है, तो इस इंजेक्शन का जबरन इस्तेमाल न किया जाये. जिलाधीश नवाल ने सभी डॉक्टरों से रेमडेसिविर इंजेक्शन का विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल करने का आग्रह करते हुए कहा कि, जिले में इस इंजेक्शन की कमी से मरीजों के परिजनोें को भारी मुश्किलों का सामना करना पड रहा है और मांग के अनुरूप इस इंजेक्शन की आपूर्ति नहीं हो पा रही. ऐसे में इस इंजेक्शन के बेजा प्रयोग से बचा जाना चाहिए.

संजीवनी बुटी नहीं है रेमडेसिविर

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा किये गये अध्ययन से यह जानकारी सामने आयी है कि, रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग करने से किसी कोविड संक्रमित मरीज की जान निश्चित तौर पर बच ही जायेगी या इस इंजेक्शन के प्रयोग से कोविड संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सकता है, इसकी अब तक निश्चित तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है. अमूमन रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग सार्स जैसी बीमारी में किया जाता है और कोविड संक्रमण काल की शुरूआत में कोरोना महामारी की कोई भी उपचार पध्दति और दवाई उपलब्ध नहीं रहने की वजह से प्रायोगिक तौर पर केवल गंभीर स्थितिवाले संक्रमित मरीजों पर रेमडेसिविर का प्रयोग करना शुरू किया गया था. किंतु इन दिनों लगभग सभी संक्रमितों पर इस इंजेक्शन का प्रयोग किया जा रहा है, जिसके तहत मरीजों को इस इंजेक्शन के पांच से छह डोज दिये जाते है. किंतु यह मरीजों के लिहाज से घातक भी साबित हो सकता है, क्योंकि रेमडेसिविर इंजेक्शन के अपने कुछ साईड इफेक्ट भी है. ऐसे में कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी इस इंजेक्शन के जबरन या अति इस्तेमाल से बचने की सलाह दी है और बेहद गंभीर स्थिति में रहनेवाले मरीजों पर ही इस इंजेक्शन का इस्तेमाल करने हेतु कहा है. साथ ही यह भी कहा गया है कि, हर मरीज को इस इंजेक्शन के पांच से छह डोज दिये ही जाये, ऐसा बिल्कूल भी जरूरी नहीं है, बल्कि मरीज की स्थिति को देखते हुए दो डोज देकर भी काम चलाया जा सकता है. यदि सभी कोविड अस्पतालों द्वारा स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह पर अमल किया जाता है, तो निश्चित तौर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग कम हो सकती है. साथ ही मरीजों के परिजनों को भी चाहिए कि, वे डॉक्टरों पर अपने मरीज के लिए रेमडेसिविर के प्रयोग का अनावश्यक दबाव न बनाये. साथ ही साथ डॉक्टरों को भी चाहिए कि, वे मरीजों के परिजनों को बिना वजह व बिना जरूरत रेमडेसिविर इंजेक्शन लाने के लिए ना दौडाए.

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