अमरावती

खून की जांच कर सुरक्षित खून का ही मरीजों के लिए इस्तेमाल

वर्षभर में 11060 बैग रक्तदान, जांच में 150 बैग रक्त दूषित

अमरावती/दि.18– मरीजों की जान बचाने के लिए रक्तदान महत्वपूर्ण है. लेकिन मरीजों को खून चढ़ाने से पूर्व यह रक्त सुरक्षित है या नहीं? इस बारे में जांच करना आवश्यक है. यह खून दूषित या एड्स, पीलिया, मलेरिया बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का होने पर वह मरीजों के स्वास्थ्य के लिए धोखादायक हो सकता है. इसलिए इर्विन की रक्तपेढ़ी में रक्तदाताओं का खून तुरंत मरीज को न देते हुए इस खून की विविध प्रकार की जांच करने के बाद वह सुरक्षित होने पर ही दिया जाता है.
जिला सामान्य अस्पताल इर्विन में एकमात्र शासकीय रक्तपेढ़ी है. इस रक्तपेढ़ी से जिले में सर्वत्र खून की आपूर्ति की जाती है. वहीं अस्पताल में बड़े पैमाने पर दुर्घटनाग्रस्त, सिकलसेल पीड़ित मरीज उपचारार्थ दाखल होते हैं. इसलिए इन मरीजों को भी तुरंत रक्त की आपूर्ति करना आवश्यक होता है. जिसके चलते इर्विन की इस रक्तपेढ़ी में वर्षभर में आयोजित विविध रक्तदान शिविर से 11060 बैग खून संकलित किया गया है. इनमें करीबन 150 बैग दूषित पाये गए हैं. इस खून को अलग किये जाने की जानकारी वैद्यकीय सूत्रों ने दी.
वर्षभर में इर्विन रक्तपेढी में संकलित खून की जांच के बाद इनमें से 14 रक्तदाताओं का रक्त एचआइवी पॉजीटीव पाया गया. वहीं रक्तपेढी की जांच में 17 रक्तदाताओं के खून में हेपॅटायटीस बी (पीलिया ब) के विषाणु पाये जाने से इन रक्त को अलग किया गया. खून की जांच पश्चात हेपॅटायटीस सी (पीलिया क) विषाणु 119 रक्तदाताओं के खून में पाये जाने से इस खून को भी अलग किया गया. सालभर हुए रक्तदान की जांच में एक भी रक्तदाता के खून में मलेरिया के विषाणु नहीं पाये गए. वहीं जांच के दौरान एक भी रक्तदाता के खून में गुप्त रोग के विषाणु नहीं पाये गए. खून की जांच कर यह शुद्ध है या नहीं इस बारे में शंका दूर की जाती है. पश्चात ही मरीजों को सुरक्षित खून दिया जाता है.

इर्विन में संकलित होने वाले रक्त की एचआइवी, मलेरिया, गुप्तरोग, हेपॅटायटीस बी व हेपॅटायटीस सी इन विषाणुओं की जांच होती है, दूषित खून अलग कर सुरक्षित रक्त मरीजों को दिया जाता है.
– डॉ. आशिष वाघमारे, रक्तपेढी प्रमुख, इर्विन

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