अमरावतीमहाराष्ट्र

सोशल मीडिया पर चलती है ‘फुकट फालतू’ की चर्चाएं

युवाओं का अधिकांश समय बितता है रील्स देखने में

* सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का प्रमाण भी काफी अधिक
* समाज से जुडे गंभीर मसलों पर नहीं होता कोई चिंतन-मनन
अमरावती/दि.15– इन दिनों शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सोशल मीडिया की क्रेज लगातार बढ रही है. जिसके चलते शहर व जिले सहित राज्य व देश में होने वाली छोटी-मोटी घटनाओं व गतिविधियों की जानकारी तुरंत ही सोशल मीडिया के जरिए मिलती है. जिसके चलते सोशल मीडिया अपने आप में बेहद प्रभावी साधन साबित हो सकता है. लेकिन इससे उलट इन दिनों सोशल मीडिया एक तरह से टाइमपास करने का जरिया बन गया है. जहां पर पूरा दिन लोगों द्वारा ‘फुकट फालतू’ की माथाफोड चर्चाएं की जाती है. साथ ही सोशल मीडिया पर कई-कई घंटे एक्टीव रहने वाले युवाओं द्वारा अपना पूरा समय रील्स को देखने में बिताया जाता है. इसके अलावा कई बार सोशल मीडिया के जरिए भ्रामक खबरे भी फैलाई जाती है और ऐसी फेक न्यूज का शिकार आम लोग होते है. इन सारी उठापठक के बीच समाज से जुडे गंभीर विषयों पर सोशल मीडिया के जरिए कभी कोई चिंतन व मनन ही नहीं हो पाता.

* इन मसलों पर सोशल मीडिया पर कोई आवाज नहीं
– जलकिल्लत
यदि शहरी क्षेत्र में एक दिन के लिए भी जलापूर्ति बंद रहती है, तो उसकी जानकारी तुरंत ही सोशल मीडिया पर प्रसारित हो जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में दिनोंदिन गहराते जलसंकट को लेकर सोशल मीडिया पर कभी कोई चर्चा नहीं होती.
– महंगी होती शिक्षा
शिक्षा यह प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है. परंतु निजीकरण की वजह से पढाई-लिखाई दिनोंदिन महंगी होती जा रही है. इस गंभीर समस्या को लेकर सोशल मीडिया पर कभी कोई आवाज नहीं उठती.
– अनियमित साफ-सफाई
शहर के कई हिस्सों में गंदगी व कचरे के ढेर लगे रहते है और कई प्रभागों में नियमित रुप से घंटागाडी भी नहीं आती. लेकिन इस अनियमित साफ-सफाई को लेकर सोशल मीडिया पर कभी कोई चर्चा होती दिखाई नहीं देती.

* दुनिया से नजदीकी, अपनों से दूरी
सोशल मीडिया की वजह से दुनिया काफी छोटी हो गई है और दुनिया के किसी भी हिस्से में चल रही गतिविधि की जानकारी मोबाइल के जरिए पलक झपकते ही हासिल की जा सकती है. साथ ही दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाले व्यक्ति से क्लिक दबाते ही संपर्क किया जा सकता है. ऐसे में हर व्यक्ति का देश सहित दुनिया में संपर्क का दायरा बढ गया है. लेकिन मोबाइल स्क्रीन के साथ चिपका रहने वाला हर व्यक्ति अपने घर-परिवार के लोगों और परिसर की समस्याओं से दूर हो गया है. यह भी अपने आप में एक हकीकत है. जिसके चलते हर व्यक्ति देश व दुनिया से जुडे मसलों पर मुखर होकर अपनी बात रखता है. लेकिन खुद अपने जीवन से जुडी समस्याओं की ओर उसका कोई ध्यान ही नहीं होता.

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