जिले में 5 वर्ष दौरान 805 महिलाओं की हुई गर्भाशय शल्यक्रिया
दिनोंदिन बढ रहा गर्भाशय थैली की बीमारी का प्रमाण
अमरावती /दि.10– बदलती जीवनशैली व खानपान की बदलती आदतों की वजह से महिलाओं में गर्भाशय संंबंधित विविध विकार तेजी से बढ रहे है. इसमें भी हार्मोन्स का संतुलन बिगडने व थोडी अधिक डीलडौल वाली महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का प्रमाण बढने की वजह से उनके गर्भाशय में गांठ बनने का प्रमाण अधिक रहता है. जिसकी ओर महिलाओं द्वारा समय रहते ध्यान नहीं दिए जाने पर गर्भाशय की थैली को ऑपरेशन के जरिए बाहर निकाल देने की नौबत भी बन जाती है. स्थानीय सरकारी अस्पताल में विगत 5 वर्ष के दौरान 805 महिलाओं के गर्भाशय निकालने की शल्यक्रिया किये जाने की जानकारी अस्पताल प्रशासन द्वारा दी गई है. यानि दिनोंदिन गर्भाशय थैली में बीमारी या समस्या होने का प्रमाण बढ रहा है.
* गर्भाशय की थैली की बीमारियां कौन सी?
मासिक धर्म के दौरान अतिरिक्त रक्तस्त्राव, पेट के नीचले हिस्से में लगातार दर्द, ओवरी कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेलोपियन ट्यूब का कैंसर, गर्भाशय की थैली के मुहाने पर सूजन, गर्भनलिका में सूजन और गर्भाशय के अस्तर पर सूजन जैसी गर्भाशय संबंधी बीमारियां होती है.
* क्या है प्रमुख वजह?
– गर्भाशय व गर्भाशय मार्ग में होने वाला जंतु संसर्ग, गीले कपडों से होने वाला संसर्ग, हार्मोन्स का संतुलन बिगडना, सफेद स्त्राव होना, एस्ट्रोजन संप्रेरक का प्रमाण अधिक रहना.
– इसके साथ ही बाहर का खानपान और तनावपूर्ण जीवन को भी प्रमुख वजह माना जा सकता है.
* क्या है लक्षण?
– पेट के नीचले हिस्से में दर्द रहना, कमर व पीट दुखना, अनियमित तरह से रक्तस्त्राव होना, मूत्र विसर्जन में दर्द होना, बुखार, उल्टी व जी मचलाने जैसे लक्षण रहना.
– ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टरों से मुलाकात कर अपनी स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए.
* गर्भाशय निकालना अंतिम पर्याय
फायब्राइड की गांठे अधिक रहना, गर्भाशय का कर्करोग रहना तथा गर्भाशय संबंधित गंभीर बीमारी रहना आदि वजहों के चलते गर्भाशय की थैली को निकाल देना ही अंतिम पर्याय रहता है.
बदलती जीवनशैली तथा बेवजह के होते तनाव सहित जंतू ससंर्ग व हार्मोन्स के संतुलन में गडबडी की वजह से महिलाओं में गर्भाशय की बीमारियों बढ रही है. समय रहते ध्यान दिये जाने पर औषधोपचार के जरिए व हार्मोनल थेरेपी पद्धति से इलाज किया जा सकता है. गर्भाशय के संदर्भ में कोई बीमारी हो जाने पर सीधे गर्भाशय निकालने का निर्णय लेने की बजाय किसी योग्य स्त्री रोग विशेषज्ञों से मिलकर उनकी सलाह के अनुरुप ही अपना इलाज करवाना चाहिए.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्यचिकित्सक.
40 वर्षीय आयु पार कर चुकी महिलाओं को यदि गर्भाशय संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पडता है, तो ऐसी स्थिति में गर्भाशय को निकाल देने का निर्णय लिया जाता है. गर्भाशय में गोला तैयार होने, सफेद पानी का संसर्ग होने, रजोनिवृत्ति के बाद बिना वजह रक्तस्त्राव होने तथा गर्भाशय में कैंसर होने जैसी स्थिति के चलते गर्भाशय की थैली को निकाल दिया जाता है.
– डॉ. अरुण सालुंके,
एसीएस (स्त्रीरोग तज्ञ),
जिला स्त्री अस्पताल.
जिला स्त्री अस्पताल में विगत 5 वर्षों के दौरान 323 महिलाओं की गर्भाशय संबंधी शल्यक्रिया की गई. जिला स्त्री अस्पताल में भर्ती रहने वाली किसी भी महिला को यदि कोई गंभीर समस्या रहती है, तो सरकारी नियमानुसार ही गर्भाशय निकालने की शल्यक्रिया की जाती है.
– डॉ. विनोद पवार,
वैद्यकीय अधीक्षक,
जिला स्त्री अस्पताल.
* निजी अस्पतालों में भी होती है शल्यक्रिया
जिले की कुछ निजी अस्पतालों में भी गर्भाशय की थैली निकालने की शल्यक्रिया की जाती है. परंतु ऐसे अस्पतालों में हुई शल्यक्रियाओं के अधिकृत आंकडे अप्राप्त है.
* किस वर्ष में कितनी शल्यक्रियाएं?
वर्ष शल्यक्रिया
2018-19 200
2019-20 149
2020-21 39
2021-22 62
2022-23 127
2023-24 228