अमरावती

गाद निकालने के नाम पर वडाली तालाब कर दिया खाली

मनपा प्रशासन ने लाखों लीटर पानी नाले में छोड दिया

* ग्रीष्मकाल में वन्यप्राणियों पर अन्याय
अमरावती/दि.18– स्थानीय मनपा प्रशासन व्दारा वडाली तालाब ग्रीष्मकाल के इस मौसम में खाली कर दिए जाने से अनेक सवाल उठने लगे है. वडाली तालाब खाली किए जाने से नागरिकों सहित वन्यप्राणियों के पानी का प्रश्न गंभीर हो गया है. साथ ही खेती को भी नुकसान होने वाला है. अमरावती मनपा प्रशासन व्दारा वडाली तालाब की दुरुस्ती के लिए तालाब खाली कर दिया गया. तालाब का पानी मोटर लगाकर अंबा नाले में छोड दिए जाने से नागरिकों ने तीव्र रोष व्यक्त किया है.
तालाब का गाद निकालना, तालाब का सौंदर्यीकरण करने के नाम पर अमरावती मनपा प्रशासन व्दारा शहर में पानी से लबालब भरा वडाली तालाब ग्रीष्मकाल में खाली कर दिया गया. इस तालाब का पानी संग्रहित कर रखने की व्यवस्था रहने के बावजूद मनपा प्रशासन व्दारा नियोजन न रहने के कारण लाखों लीटर पानी अंबा नाले में छोड दिया. विशेष यानी इस तालाब का काम शुरु ही नहीं हुआ है. ऐसी अवस्था में अब यह तालाब खाली हो जाने के कारण परिसर के कुएं भी सूखने लगे है. साथ ही समीप के जंगल के वन्यप्राणियों को भी पेय जल के लिए पानी उपलब्ध न रहने से मनपा प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह निर्माण हो गया है. अमरावती शहर से सटकर नैसर्गिक दृष्टि से रहनेवाली पहाडियों के मध्य भाग मेें अंग्रेजों ने कुल चार तालाब का निर्माण किया है. इसमें छत्री तलाब, वडाली तालाब और वडाली तालाब के पीछे स्थित फुटका तालाब और भवानी तालाब का समावेश है. भवानी तालाब भरा की उसका पानी फुटका तालाब में बहकर आता है और फुटका तालाब लबालब हुआ कि उसमें का पानी वडाली तालाब में बहकर आता है. अब अमरावती मनपा प्रशासन व्दारा वडाली तालाब की दुरुस्ती के लिए कुल साढे 19 करोड रुपए खर्च करने की घोषणा की है. वडाली तालाब का संपूर्ण पानी मोटर लगाकर नाले में छोड दिया गया. करीबन डेढ से दो माह इस तालाब का पानी अंबा नाले में बहता गया. विशेष यानी वडाली तालाब का पानी मोटर लगाकर समीप के वन विभाग के फुटका तालाब में संग्रहित कर रखा जा सकता था. लेकिन मनपा प्रशासन ने इस बाबत किसी भी तरह की दूरदृष्टि न रखते हुए वडाली तालाब का संपूर्ण पानी बहा दिया. इस मनमानी निर्णय के कारण अब मनपा आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर की भूमिका पर आपत्ति ली जा रही है.

* परिसर के कुएं सूखने लगे
करीबन 150 वर्ष पुराना वडाली तालाब यह 20 साल में एक बार सूखता है. वर्ष 2018 में यह तालाब पूरी तरह सूख गया था. उस समय परिसर के नागरिकों ने इस तालाब का गाद निकालने की मांग प्रशासन से की थी. जिले के तत्कालीन पालकमंत्री प्रवीण पोटे ने इस तालाब के काम के लिए करोडों रुपए की निधि देने की घोषणा की थी. लेकिन तालाब का गाद निकालने का काम नैसर्गिक रुप से व सूख जाने से हुआ नहीं था. अब इस तालाब मेंं पानी लबालब रहते केंद्र व राज्य शासन ने इस तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए निधि मंजूर की रहने की बात कहकर मनपा आयुक्त ने तालाब का संपूर्ण पानी नाले में छोड देने का निर्णय लिया. तालाब का लाखों लीटर पानी बह जाने से तालाब के भरोसे रहनेवाले क्षेत्र के कुएं सूखने लगे है. साथ ही वडाली परिसर समेत एसआरपीएफ क्वार्टर परिसर, संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ परिसर, दंत महाविद्यालय परिसर आदि इलाकों के भी कुओं का जलस्तर कम होने लगा है. अब तापमान बढने से मई माह में परिसर के अनेक कुएं सूखने की संभावना है और पेय जल की समस्या निर्माण होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, ऐसा क्षेत्र की पूर्व नगरसेविका सपना ठाकुर ने कहा है. यह भी पता चला है कि जिला प्रशासन की तरफ से इस काम की अनुमति ही नहीं मिली है. इसके बावजूद गाद निकालने के नाम पर तालाब का पानी बहा दिया गया.

* वन्यप्राणियों को कहां से मिलेगा पानी
वडाली तालाब के पीछे वडाली और पोहरा जंगल में बडी संख्या में तेंदुए, हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर आदि प्राणी है. 2 वर्ष पूर्व इस जंगल में बाघ का अधिवास था. जंगल के यह सभी प्राणी वर्तमान में वनविभाग क्षेत्र में स्थित फुटका तालाब में पानी पीने आते है. हर वर्ष के मुताबिक मई माह में फुटका तालाब पूरी तरह सूख जाता है. ऐसी परिस्थिति में यह वन्यप्राणी रात के अंधेरे में तथा तडके वडाली तालाब में ही पानी पीने आते है. लेकिन अब वडाली तालाब में ही पानी न रहने से वन्यप्राणियों के लिए पानी कहां और कैसे उपलब्ध होगा, ऐसा प्रश्न निर्माण हो गया है. पानी की तलाश में यह प्राणी नागरी बस्ती में घुसे तो परिस्थिति और गंभीर होने की संभावना का भय इस परिसर के नागरिक और वन्यजीव प्रेमी नीलेश कंचनपुरे ने व्यक्त किया है.

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