अमरावती/दि.5– अमरावती लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए रिपब्लिकन सेना के उम्मीदवार आनंदराज आंबेडकर व बसपा के राजकुमार गाडगे इन दोनों उम्मीदवारों को अमरावतीवासियों द्बारा ठुकराया दिखाई देता है. वंचित बहुजन आघाडी ने इस बार समय पर रिपब्लिकन सेना के आनंदराज आंबेडकर को समर्थन दिया था. लेकिन जिले के आंबेडकरी मतदाताओं ने वोटो का विभाजन टालने के लिए तथा भाजपा के विरोध के लिए कांग्रेस के बलवंत वानखडे को पसंद कर मतदान किया रहने की बात चुनाव नतीजे से स्पष्ट होती है.
वंचित बहुजन आघाडी के नेता एड. प्रकाश आंबेडकर ने इस बार लोकसभा चुनाव अपने बल पर लडने का निर्णय लिया. पश्चात उनका यह निर्णय महाविकास आघाडी को झटका देनेवाला तथा महागठबंधन को बल देनेवाला साबित होगा, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था. 2019 में अमरावती लोकसभा चुनाव में वंचित के उम्मीदवार गुणवंत देवपारे ने 56 हजार के करीब वोट लिए थे और वे तीसरे नंबर पर रहे थे. लेकिन इस बार अमरावती से प्रकाश आंबेडकर के भाई आनंदराज आंबेडकर ने खुद रिपब्लिकन सेना से नामांकन दाखिल किया रहने से वंचित ने उन्हें समर्थन दिया. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पौत्र रहने से जिले का आंबेडकरी समाज साथ में रहेगा, ऐसी अनुमान आनंदराज आंबेडकर को था. किंतु इस बार अमरावती से नवनीत राणा को हराने के लिए वोटो का विभाजन टालने आंबेडकरी समाज ने आनंदराज आंबेडकर को स्वीकार नहीं किया और इसी कारण उन्हें काफी कम वोट मिले, यह बात स्पष्ट हुई. आनंदराज आंबेडकर को कुल 18793 वोट मिले और वे चौथे नंबर पर रहे.
दूसरी और कैडर वोट रहनेवाले बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार संजयकुमार गाडगे को भी अमरावतीवासियों ने नहीं स्वीकारा. उन्हें 4513 वोट मिले. 2019 में बसपा के उम्मीदवार को साढे 12 हजार वोट मिले थे. लेकिन इस बार बसपा के उम्मीदवार को 5 हजार वोट भी नहीं मिले. बसपा के कैंडर मतदाता भी इस बार बसपा के खेमे से दूर हो गए यह बात चुनाव नतीजे के बाद स्पष्ट हुई. बलवंत वानखडे को जीत दिलाने में बौध्द समाज का मतदान महत्वपूर्ण रहा है.