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डेंगू से वर्षा विश्वकर्मा की मौत

एक मच्छर ने उजाड दी दुनिया उनकी

* तीन माह की गर्भवती थी वर्षा
* गर्भ में पल रहे थे दो जुडवा शिशु
* विवाह के 7 वर्ष बाद घर में आने वाली थी खुशी
* डेंगू के संक्रमण ने सभी सपनों को तोड दिया
* असोरिया व विश्वकर्मा परिवारों पर कुठाराघात
अमरावती/दि.30 – स्थानीय मोरबाग परिसर में रहने वाले गिरीजाशंकर असोरिया की 30 वर्षीय विवाहित बेटी वर्षा अंबर विश्वकर्मा की गत रोज डेंगू संक्रमित रहने के चलते मौत हो गई. 30 वर्षीय वर्षा विश्वकर्मा (असोरिया) विवाह के 7 वर्ष बाद गर्भवती हुई थी और उसके गर्भ में तीन माह के आयु वाले दो जुडवा शिशु पल रहे थे. ऐसे में वर्षा व अंबर विश्वकर्मा सहित दोनों परिवारों में जमकर खुशी वाला माहौल था. लेकिन विगत 22 सितंबर को मानो विश्वकर्मा दम्पति सहित दोनों परिवारों की खुशियों को ग्रहण लग गया. जब डेंगू संक्रमित होने के चलते वर्षा विश्वकर्मा की तबीयत लगातार बिगडती चली गई और इस संक्रमण की वजह से लगातार गिरते स्वास्थ्य के चलते जहां विगत 26 सितंबर को वर्षा का अपने आप ही गर्भपात हो गया. वहीं खुद वर्षा ने भी 29 सितंबर की सुबह 10.30 बजे के आसपास नागपुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड दिया. इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि, अमरावती शहर में डेंगू की जानलेवा बीमारी का संक्रमण है और इस बीमारी के चलते वर्षा विश्वकर्मा के रुप में शहर में अधिकारिक तौर पर पहली मौत हुई है. हालांकि इससे पहले शहर के द्बारकानाथ कालोनी परिसर में रहने वाले एक युवा व्यवसायी की डेंगू के चलते मुंबई में मौत हुई थी. परंतु उस समय स्थानीय प्रशासन ने उक्त युवा व्यवसायी को डेंगू संदेहित माना था. वहीं अब वर्षा विश्वकर्मा की डेंगू रिपोर्ट पहले ही पॉजिटीव आ गई थी. जिसके चलते प्रशासन सहित समूचे शहर में हडकंप व्याप्त है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक शहर में असोरिया पेट्रोल पंप चलाने वाले गिरीजाशंकर असोरिया की बेटी वर्षा का विवाह 12 दिसंबर 2016 को जबलपुर निवासी अंबर विश्वकर्मा से हुआ था. अंबर विश्वकर्मा अच्छे खासे परिवार से वास्ता रखते है और इस समय दिल्ली स्थित टाटा मोटर्स में अच्छे पद पर कार्यरत है. ऐसे में दोनों पति-पत्नी सुनहरे भविष्य के सपने को सजाते हुए अपने दाम्पत्य जीवन में आगे बढ रहे थे. परंतु अगले साढे 6 वर्षो तक वर्षा व अंबर विश्वकर्मा की गोद हरी नहीं हुई. जिसके चलते दोनों ही तमाम डॉक्टरों व धर्मस्थलों के चक्कर भी काटने लगे. जिसके चलते आखिरकार तीन माह पहले वर्षा विश्वकर्मा के गर्भवती रहने की खुश-खबर सामने आयी और करीब ढाई माह पहले वर्षा विश्वकर्मा स्थानीय मोरबाग स्थित अपने मायके चली आयी. ताकि वह यहां पर अपनी पहली प्रसूति करा सके. इस समय तक दोनों परिवारों को यह पता चल चुका था कि, वर्षा के गर्भ मेें दो जुडवा बच्चे पल रहे है. ऐसे में एकसाथ दो नये मेहमानों के आने की दोनों परिवार बडी उत्सुकता के साथ प्रतिक्षा कर रहे थे. परंतु नियती कुछ और ही इरादा कर बैठी. इसके चलते 22 सितंबर को अचानक ही वर्षा विश्वकर्मा को बुखार आना शुरु हुआ. जिसके बाद पहले एक-दो दिन तो स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञ की देखरेख में वर्षा विश्वकर्मा को बुखार उतरने की दवाई दी गई और कुछ आवश्यक स्वास्थ्य जांच भी करवाई गई. परंतु वर्षा की स्थिति लगातार बिगडती जा रही थी. जिसके चलते उसे 24 सितंबर को बडनेरा रोड स्थित रिम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जहां पर स्वास्थ्य जांच में पता चला कि, वर्षा के खून में प्लेटलेट्स काफी तेजी से कम हो रहे है. इस बात वर्षा सहित उसके गर्भ में पल रहे दोनों बच्चों के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है. जिसके चलते उसे सिंगल डोनेटेड प्लाज्मा चढाया गया. जिसके बाद कुछ समय के लिए वर्षा की स्थिति सुधरती नजर आयी. लेकिन 26 सितंबर की शाम होते-होते वर्षा की हालात अचानक बिगडने लगी और उसे ब्लिडिंग होनी शुरु हो गई. यह देखते हुए डॉक्टरों ने रात 11 बजे के आसपास वर्षा के परिजनों को सूचित किया कि, वर्षा का गर्भपात करना बेहद जरुरी है. अन्यथा उसकी भी जान जा सकती है. परिवार द्बारा हामी भरने के बाद अभी डॉक्टर वर्षा को ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर गर्भपात करने की तैयारी कर ही रहे थे कि, वर्षा का अपने आप ही गर्भपात हो गया तथा उसकी हालत और भी अधिक बिगडनी शुरु हो गई. जिसके चलते उसे एक बार फिर प्लाज्मा चढाया गया. लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ. ऐसे में वर्षा की लगातार बिगडती हालात को देखते हुए 27 सितंबर की रात डॉक्टरों ने वर्षा को नागपुर रेफर करने की सलाह दी. क्योंकि धीरे-धीरे वर्षा के लिवर के डैमेज होने का खतरा पैदा हो गया. साथ ही मल्टीऑर्गन फेल्यूलर की भी आशंका बन गई थी. ऐसे में 27 व 28 सितंबर की दरम्यानी रात डेढ बजे के आसपास वर्षा विश्वकर्मा को कार्डियाक एम्बुलेंस के जरिए नागपुर के किंग्सवे हॉस्पिटल ले जाकर वहां भर्ती कराया गया. जहां पर एक दिन पहले इलाज के बाद 29 सितंबर की सुबह 10.30 बजे के आसपास वर्षा विश्वकर्मा ने दम तोड दिया.
विशेष उल्लेखनीय है कि, 22 सितंबर को बुखार से पीढित होने वाली वर्षा विश्वकर्मा के शरीर मेें डेंगू का संक्रमण रहने की बात अगले 2-3 दिन में ही स्पष्ट हो गई थी. जिसे ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों द्बारा वर्षा विश्वकर्मा का हर संभव इलाज किया जा रहा था. लेकिन वर्षा के शरीर में डेंगू का संक्रमण इतने अधिक प्रमाण में था कि, उसके सामने हर तरह का इलाज बेअसर साबित हो रहा था और इसी डेंगू की बीमारी की वजह से करीब एक सप्ताह तक हर तरह की नरक यातना भुगतते हुए वर्षा विश्वकर्मा की 29 सितंबर को सुबह मौत हो गई. जिसके बाद 29 सितंबर की शाम को वर्षा विश्वकर्मा का शव स्थानीय मोरबाग परिसर स्थित असोरिया परिवार के निवास पर लाया गया. जहां से आज 30 सितंबर को सुबह वर्षा विश्वकर्मा के पार्थिव की अंतिम यात्रा निकाली गई और उसके पार्थिव पर हिंदू मोक्षधाम में बेहद शोकाकुल वातावरण के बीच अंतिम संस्कार किया गया.
* साफ-सफाई का कई दिनों से हुआ पडा है बंटाढार
ज्ञात रहे कि, विगत लंबे समय से अमरावती शहर सहित जिले में डेंगू के साथ-साथ मलेरिया, चिकनगुनिया व स्वाइनफ्लू जैसी किटकजन्य बीमारियों के फैले रहने की बात कही जा रही है. साथ ही कई लोग इन बीमारियों की चपेट में रहने के चलते सरकारी एवं निजी अस्पतालों में भर्ती हो चुके है. परंतु इसके बावजूद भी शहर की साफ-सफाई का जिम्मा रहने वाले मनपा प्रशासन के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार रहने वाले स्वास्थ्य महकमें के कानों तक कोई जूं तक नहीं रेग रही. शहर की साफ-सफाई को लेकर तो लगभग सभी राजनीतिक दल मनपा मुख्यालय पर दस्तक दे चुके है. साथ ही गत रोज ही पूर्व पालकमंत्री व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल ने इसी मुद्दे को लेकर मनपा के प्रशासनिक अधिकारी व सफाई ठेकेदारों को जमकर आडे हाथ लिया है. जबकि उस समय तक डेंगू से अमरावती की एक गर्भवती युवती की मौत हो जाने का मामला उजागर ही नहीं हुआ था. विगत लंबे समय से आरोप लग रहे है और खुली आंखों से दिखाई भी दे रहा है कि, अमरावती शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था का पूरी तरह से बंटाढार हुआ पडा है. जिसकी वजह से मक्खी व मच्छर सहित कई तरह के किडे-मकोडे शहर में पनपने लगे है. इसके बावजूद शहर में किटनाशक दवाओं के फवारणी व धुवारणी का कही कोई अता-पता नहीं है. बल्कि इन कामों को लेकर एक तरह से कागजी खानापूर्ति ही की जा रही है. जिसका खामियाजा इससे पहले द्बारकानाथ अरोरा कालोनी में रहने वाले गिरीश तलरेजा और अब ढाई माह की गर्भवती वर्षा विश्वकर्मा को अपनी जान देकर चुकाना पडा. ऐसे में सबसे बडा सवाल है कि, आखिर प्रशासक राज वाले मनपा प्रशासन की नींद डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों को लेकर कब खुलेगी. साथ ही यह सवाल भी पूछा जा सकता है कि, क्या मनपा प्रशासन किसी बडे नुकसान की प्रतिक्षा कर रहा है. प्रशासन द्बारा शहर में व्याप्त गंदगी की समस्या को लेकर की जाती अनदेखी पर यह कहना बेद लाजिमी है कि, मनपा प्रशासन ने समय रहते डेंगू की रोकथाम के लिए ठोस व प्रभावी कदम उठाने चाहिए. क्योंकि डेंगू का मच्छर काटते समय यह नहीं देखता कि, वह किसी आम नागरिक को काट रहा है या फिर किसी सरकारी अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि को. ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि, किसी दिन मनपा प्रशासन की यह अनदेखी खुद किसी प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि रहने वाले व्यक्ति पर ही भारी पड जाए.

* एक महिने से हमारे एरिया में नहीं हो रही थी साफ-सफाई
वर्षा विश्वकर्मा के पिता गिरीजाशंकर असोरिया ने दैनिक अमरावती मंडल के साथ बातचीत के दौरान अपना दर्द सांझा करने के साथ ही आरोप लगाया कि, उनके रिहायशी इलाके मोरबाग परिसर में चहूंओर गंदगी व्याप्त थी. जिसे लेकर वे विगत डेढ-दो माह से लगातार क्षेत्र के स्वास्थ्य निरीक्षक व सफाई ठेकेदार से कह रहे थे. उनके क्षेत्र मेें सफाई-निरीक्षक के तौर पर काम करने वाला संतोष चोरे इन शिकायतों पर ध्यान देने की बजाय केवल उस परिसर में आकर साफ-सफाई की खानापूर्ति करते हुए जीओ टैगिंग के लिए फोटो निकालकर ले जाता था. वहीं गत रोज जैसे ही यह जानकारी सामने आयी कि, डेंगू की बीमारी के चलते इस परिसर में रहने वाली वर्षा विश्वकर्मा यानि उनकी बेटी की मौत हो गई है. वैसे ही आज सुबह मनपा स्वास्थ्य विभाग में पूरा फौज फाटा उतारकर इस परिसर की साफ-सफाई करवाई. यदि यहीं काम थोडा पहले ध्यान देकर कर लिया जाता, तो शायद उनकी बेटी की जान नहीं जाती.

* कम से कम अब ऐसी घटना की न हो पुनरावृत्ति
वहीं इस पूरे मामले को लेकर वर्षा के पति अंबर विश्वकर्मा ने दैनिक अमरावती मंडल से बातचीत में कहा कि, उन्होंने बडी उम्मीद के साथ अपनी गर्भवती पत्नी को पहली प्रसूति हेतु उसके मायके अमरावती भेजा था. परंतु यहां पर मच्छर से होने वाली डेंगू नामक बीमारी ने उनकी पूरा उम्मीदों और दुनिया को उजाड दिया. कम से कम यहां के प्रशासन ने अब ऐसे कुछ कदम उठाने चाहिए, ताकि आगे चलकर किसी और परिवार के साथ इस तरह की घटना घटित ना हो.

* वर्षा की मां भी डेंगू की चपेट में
असोरिया परिवार से बातचीत के दौरान पता चला कि, डेंगू की वजह से अपने गर्भस्थ बच्चों सहित अपनी जान गंवाने वाली वर्षा विश्वकर्मा की मां सरिता असोरिया भी इस समय डेंगू संक्रमण की चपेट में है और उन्हें भी इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती कराना पडा था. जो अपनी बेटी की मौत होने की खबर मिलने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज लेकर अपने घर आ गई है. गिरीजाशंकर असोरिया के परिवार में उनकी और भी दो बेटियां है तथा इस समय परिवार के सभी सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है. विशेष उल्लेखनीय है कि, असोरिया परिवार के निवासस्थान पर बरामदे में ही भगवान श्रीकृष्ण का एक आकर्षक चित्र लगा हुआ है. जिसे वर्षा विश्वकर्मा ने अपने हाथों से बनाया था और इस चित्र के नीचे उसने अपना नाम ‘वर्षा’ अंकित किया था. वर्षा के हाथों बने इस चित्र और चित्र के नीचे उसके हस्ताक्षर को घर में आते-जाते देखने वाले व्यक्ति की रुलाई फूट रही थी.

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