अमरावतीमहाराष्ट्र

बंदरों की जान का दुश्मन बने वाहन

हर महिने करीब 15 बंदरों की सडक हादसों में हो रही मौतें

* वनविभाग के वाहन ने भी एक बंदर को कूचला
परतवाडा/दि.26– वन्य प्राणियों की सुरक्षा हेतु तैनात रहने वाले वनविभाग के एक वाहन ने व्याघ्र प्रकल्प कार्यालय मार्ग पर विगत रविवार को दोपहर 2 बजे के आसपास एक बंदर को जोरदार टक्कर मारकर कूचल दिया गया. इस हादसे में बुरी तरह से घायल बंदर की कुछ समय बात मौत हो गई. जिसके बाद रेस्क्यू टीम के वाहन ने मृत बंदर के शव को ले जाते हुए उसका अंतिम संस्कार किया. इसी दिन एक दूसरा हादसा चांदूर बाजार मार्ग पर कुरलपूर्णा के निकट घटित हुआ. जब एक अज्ञात वाहन की टक्कर से एक बंदर की मौत हो गई. इस तरह से एक ही दिन के दौरान तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर दो बंदर मारे गये. साथ ही यह जानकारी भी सामने आयी कि, परतवाडा परिक्षेत्र में हर महिने करीब 15 बंदरों की तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर मौत होती है तथा परतवाडा शहर से अकोट, अकोला, धारणी, चिखलदरा, चांदूर बाजार, बैतुल व अमरावती मार्ग पर तेज रफ्तार दौडने वाले वाहनों की चपेट में आकर लगभग हर महिने करीब 15 बंदरों की जान जाती है.
उल्लेखनीय है कि, ऐसे हादसों में वन्य प्राणियों को टक्कर मारने वाले वाहन घटना के बाद मौके से अपने वाहन सहित भाग निकलते है. जिसके बाद वहां से गुजरने वाले नागरिकएवं सामाजिक कार्यकर्ता वनविभाग को ऐसी घटनाओं के बारे में जानकारी देते है. पश्चात वनविभाग के अधिकारी व कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंचकर हादसे में घायल बंदरों एवं वन्यप्राणियों का इलाज करते है. साथ ही ऐसे हादसों में मृत हुए बंदरों व वन्य प्राणियों का अंतिम संस्कार भी वनविभाग द्वारा किया जाता है.

* व्याघ्र प्रकल्प एवं वनविभाग के कानून अलग
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में सेमाढोन के निकट एक निजी ट्रैवल्स बस द्वारा बंदर को कूचल दिये जाने के चलते उक्त वाहन को अगले दो महिने तक व्याघ्र प्रकल्प के कार्यालय में दंडात्मक कार्रवाई के तहत खडा किया गया था. यह जंगल वन्यप्राणियों के लिए आरक्षित रहने के चलते व्याघ्र प्रकल्प के कूनन अलग है. वहीं व्याघ्र प्रकल्प से बाहर वनविभाग के कानून अलग है, जो उतने अधिक प्रभावी व कडे नहीं है. यहीं वजह रही कि, व्याघ्र प्रकल्प से बाहर सडक हादसों में वन्य प्राणियों की मौत होने पर उन्हें आम घटनाओं के तौर पर देखा जाता है.

* थोडी सी संवेदना का होना जरुरी
कोई भी वन्यप्राणी रास्ते को पार करते समय दोनों ओर से आने-जाने वाले वाहनों को देखकर ही रास्ता पार करता है और खुद की सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क भी रहता है. परंतु इन दिनों चौपद्रीकरण हुए चिकने व सपाट रास्तों पर लोगबाग तेज रफ्तार ढंग से बडी लापरवाही के साथ वाहन चलाते है. यहीं वजह है कि, ऐेसे तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में बंदरों सहित नीलगाय व अन्य वन्यप्राणी आ जाते है और हादसे का शिकार होकर मारे जाते है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, वाहन चलाते समय सतर्क रहने के साथ ही वन्य प्राणियों के प्रति थोडी संवेदना भी रखी जाये और रास्ता पार करने वाले वन्यप्राणियों को देखकर अपने वाहनों की रफ्तार को थोडा कम किया जाये.

* रविवार को परतवाडा के टिंबर डिपो रोड व कुरलपूर्णा में वाहनों की टक्कर के चलते दो बंदरों के मृत होने की घटनाएं घटित हुई. लापरवाही के साथ वाहन चलाने की वजह से वन्य प्राणियों के साथ हादसे घटित हो रहे है और प्रतिमाह कम से कम 15 बंदरों की सडक हादसों में जान जा रही है. ऐसे में वाहन धारकों ने थोडा संवेदनशील होकर अपने वाहन चलाने चाहिए.
– दिनेश वालके,
वनपरिक्षेत्र अधिकारी, परतवाडा.

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