अमरावती

नियोजित अभ्यासिकाओं पर कुलगुरु की अनदेखी

पिछले चार वर्षो से नहीं किया गया निधि का प्रावधान

  • पूर्व सिनेट सदस्य प्रा. सूर्यवंशी ने पत्रकार परिषद में कहा

अमरावती/दि.19 – अमरावती विश्व विद्यालय के कुलगुरु डॉ. मुरलीधर चांदेकर मीडिया को गुमराह कर रहे है. करीब चार सालो से प्रस्तावित विविध अभ्यासिकाओं की अनदेखी की जा रही है. निधि का प्रावधान करने में भी आनाकानी की जा रही है ऐसा आरोप भाजपा के पूर्व अध्यक्ष तथा विद्यापीठ के पूर्व सिनेट सदस्य प्रा. दिनेश सूर्यवंशी ने विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. चांदेकर पर लगाया. वे पत्रकार भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में संबोधित कर रहे थे.
प्रा. दिनेश सूर्यवंशी ने आगे कहा कि छत्रपति शिवाजी अध्यन केंद्र का दो वर्ष पूर्व स्व. अमोल निस्ताने ने विद्यापीठ को प्रस्ताव सौंपा था. किंतु अब तक इस प्रस्ताव पर विचार तो क्या निधि का भी प्रावधान नहीं किया गया है. अब यह मामला उजागर होते ही कुलगुरु ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 के बजट में इसके लिए निधि का प्रावधान करेंगे ऐसी भाषा वे बोल रहे है. प्रा. सूर्यवंशी ने कहा कि फिर से एक बार लोगों को गुमराह करने का प्रयास कुलगुरु चांदेकर कर रहे है.
प्रा. दिनेश सूर्यवंशी ने उपस्थित पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि कुलगुरु डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने अपने कार्यकाल में बजट में किए गए प्रावधानों से एक भी रुपया खर्च नहीं किया है बल्कि आज भी कई योजनाए और छात्रो को दी जाने वाली सुविधाओं का विद्यापीठ में अभाव दिखाई दे रहा है. विगत दो वर्षो तक स्व. अमोल निस्ताने जो की विद्यापीठ परिसर के सक्रिय शिवसैनिक रहे है उन्होंने विद्यापीठ से छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से अध्ययन केंद्र शुरु किए जाने की मांग की थी.
इसके अलावा धनगर समाज ने पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर अध्ययन केंद्र, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज अध्ययन केंद्र, संत गाडगेबाबा अध्ययन केंद्र को अनुमति दी जाए ऐसी मांग की थी. किंतु विगत दो वर्षो में इस विषय पर विचार नहीं किया गया है. यूजीसी ने साल 2015 में पत्र जारी कर सभी विश्वविद्यालयों में कश्मीर के हिंदू छात्रों के लिए 10 फीसदी सीटे आरक्षित रखने के निर्देश दिए थे.
किंतु विश्वविद्यालय ने यह आरक्षण भी लागू नहीं किया. विश्वविद्यायल अधिनियम की धारा 12,13 व कुलसचिव संबंधित नियमों के अनुसार कुलगुरु को हर छह महीने पश्चात व्यवस्थापन परिषद के समक्ष अपने कामकाज की रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य होता है किंतु वह भी पेश नहीं की गई.
उसी प्रकार पत्रकार परिषद में उपस्थित किशोर जाधव व बुंदे सर ने भी बताया कि अगर विश्वविद्यालय 248 करोड का बजट तैयार नहीं कर रहा है तो उन्हें छात्रों के लिए स्पर्धा परीक्षा केंद्र की शुरुआत करनी चाहिए. विश्वविद्यालय से पास होने वाले छात्रो को अगर सरकार अथवा निजी कंपनियों में नौकरी नहीं मिलती है तो उन्हें खुद व्यवसाय शुरु करने का स्कील विकसित करने हेतु विद्यापीठ ने प्रशिक्षा देना चाहिए. किंतु बजट में निधि खर्च कहां की जा रही है इन सभी बातों का जवाब कुलगुरु को देना चाहिए ऐसी मांग उपस्थित छात्रों ने भी पत्रकार परिषद में कुलगुरु से की.

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