* रजत नगरी खामगांव के थर्मलशील्ड व सिल्वर स्टर्लिंग ट्यूब का हुआ है प्रयोग
बुलढाणा /दि.24- देश सहित दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित रहने वाले चंद्रयान-3 का अभियान कल पूरी तरह से सफल रहा. जब विक्रम लैंडर की चांद के दक्षिणी धु्रव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग हुई. इसके साथ ही मातृतीर्थ कहे जाते बुलढाणा जिले और रजत नगरी के तौर पर विख्यात खामगांव शहर की शान में भी चार चांद लग गए है. क्योंकि खामगांव शहर स्थित विकमसी फैब्रिकेशन द्बारा उत्पादित थर्मलशील्ड तथा श्रद्धा रिफानरी द्बारा उत्पादित सिल्वर स्टर्लिंग ट्यूब का चंद्रयान-3 में प्रयोग किया गया था. ऐसे में चंद्रयान की निर्मिति में विदर्भ का विशेष योगदान कहा जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि, नवनिर्मिति के बिजांकुर रहने वाले खामगांव शहर की अपनी एक क्षमता है. जिसके दम पर खामगांव शहर ने इससे पहले भी अपने आप को देश सहित दुनिया में रजत नगरी यानि चांदी के शहर के तौर पर स्थापित किया है. जिसमें चंद्रयान की सफलता के साथ ही एक सुनहरा अध्याय जुड गया. क्योंकि चंद्रयान की निर्मिति में खामगांव का भी बहुमूल्य योगदान रहा. उल्लेखनीय है कि, चंद्रयान में प्रयुक्त किए गए थर्मलशील्ड को बनाने में काफी मेहनत लगती है और चंद्रयान-3 में प्रयुक्त किए गए थर्मलशील्ड का उत्पादन खामगांव स्थित विकमसी फैब्रिकेशन द्बारा किया गया है. इसी तरह इससे पहले अंतरिक्ष यान में प्रयुक्त किए जाने वाले सिल्वर स्टर्लिंग ट्यूब को विदेशों से मंगाया जाता था. जिस पर काफी अधिक पैसा खर्च होता था. लेकिन चंद्रयान-3 में प्रयुक्त की गई सिल्वर स्टर्लिंग ट्यूब को खामगांव स्थित श्रद्धा रिफायनरी द्बारा बनाया गया है. ऐसे में यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, चंद्रयान-3 को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक के साथ अमल में लाया गया अभियान बताया जा सकता है.
* महाराष्ट्र के कई जिलों का भी रहा योगदान
विगत 14 जुलाई 2023 को चांद पर जाने हेतु श्रीहरिकोटा के सतीश धवन प्रक्षेपण केंद्र से अंतरिक्ष में उडान भरने वाले चंद्रयान-3 के निर्माण में विदर्भ सहित महाराष्ट्र के कई जिलों ने उल्लेखनीय योगदान दिया है. पुणे के इंदापुर तहसील अंतर्गत वालचंद्र नगर स्थित वलचंद्र इंड्रस्टीज में चंद्रयान के लिए आवश्यक बूस्टर्स का निर्माण करने के साथ ही यान का फ्लैक्स नोजल भी तैयार किया गया है. यह कंपनी विगत 50 वर्षों से इसरो के साथ काम कर रही है और भारत द्बारा अब तक अंतरिक्ष में भेजे गए विविध उपकरणों के हार्डवेअर को तैयार करने में वालचंद्र इंड्रस्टीज का काफी बडा योगदान रहा. वालचंद्र इंड्रस्टीज ने चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 व चंद्रयान-3 मिशन के साथ ही एलवीएन-3 परीक्षण यान में इस्तेमाल किए गए बूस्टर सेगमेंट, एस-200 हेड, एंड सेगमेंट, मिडल सेगमेंट तथा 3.2 मिटर व्यास के नोजल एंड सेगमेंट तैयार किए है.
इसके अलावा सांगली निवासी संदीप सोले की डैजल डायनाकोच प्रा.लि. कंपनी ने जीएसएलवी एमके-111 रॉकेट के पार्ट्स हेतु महत्वपूर्ण कोचिंग उपलब्ध करवाए. यह कंपनी भी विगत 30 वर्षों से रक्षा व अंतरिक्ष अनुसंधान हेतु आवश्यक पार्ट्स के निर्माण का काम कर रही है. इसके अलावा जुन्नर निवासी उद्योजक आसिफभाई महालदार की रिलायन्स फायर सिस्टिम नामक कंपनी को भी इस मिशन के लिए अग्निशामन यंत्रणा उपलब्ध कराने हेतु 6 करोड रुपए का ठेका मिला था. अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण करते समय बडे पैमाने पर आग लगने की संभावना रहती है. जिसके चलते ऐहतियात के तौर पर अग्निशमन यंत्रणा को तैयार रखना पडता है. इसी के तहत इस बार इस काम का ठेका जुन्नर के राजुरी में रहने वाले आसिफभाई महालदार की रिलायन्स फायर सिस्टिम नामक कंपनी को मिला था. राजुरी गांव में ही रहने वाले मयुरेश शेटे भी इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक के तौर पर कार्यरत है. जो चंद्रयान मिशन में सहभागी थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की धाक जमाने वाले चंद्रयान मिशन को सफल बनाने में महाराष्ट्र का भी काफी बडा योगदान रहा. जिसकी बदौलत आज भारत पूरी दुनिया में चांद के दक्षिणी धु्रव पर कदम रखने वाला पहला देश बन सका है.