अमरावती

संतरा वाईनरी का हब बन सकता है विदर्भ

केंद्र व राज्य सरकार की ओर से पहल जरूरी

  • राजाश्रय मिलने से विदर्भ में विकसित हो सकता है वाईन उद्योग

अमरावती/दि.29 – राज्य सरकार द्वारा सुपर मार्केट तथा 1 हजार से अधिक क्षेत्रफलवाली किराणा दुकानोें में वाईन की बिक्री को अनुमति दी है. सरकार के इस निर्णय को अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, चूंकि इन दिनों समूचे दुनिया में वाईन की मांग काफी अधिक है. ऐसे में केंद्र तथा राज्य सरकार ने संतरे और मोसंबी से भी वाईन तैयार करने की पहल करनी चाहिए. इसके लिए केंद्र सरकार के एनआरसीसी, सीएफटीआरआय, सीएसआरआर तथा एनआरसी जैसी संस्थाओं द्वारा संशोधनात्मक पहल की जानी चाहिये और किसानों को वाईन तैयार करने की अनुमति दी जानी चाहिए. यदि ऐसा होता है, तो संतरा वाईनरी के लिए विदर्भ अपने आप में एक महत्वपूर्ण हब बन सकता है. इस आशय की प्रतिक्रिया विदर्भ क्षेत्र के संतरा व मोसंबी उत्पादकों द्वारा व्यक्त की गई है.
बता दें कि, संतरा व मोसंबी पर प्रक्रिया करने की सुविधा नहीं रहने की वजह से छोटे आकारवाले संतरा व मोसंबी फलों की बिक्री खुले बाजार में औने-पौने दाम पर करनी पडती है. जिससे बडे आकारवाले संतरा व मोसंबी के दामों पर असर पडता है. ऐसे में यदि छोटे आकारवाले संतरा व मोसंबी का प्रयोग वाईन तैयार करने के लिए होता है, तो दोनों फलों को अच्छे दाम मिल सकते है. उल्लेखनीय है कि, इन दोनों फलों से वाईन तैयार करने के लिए कुछ वर्ष पूर्व नागपुर शहर में महा ऑरेंज व वेद द्वारा चार बार सफलतापूर्वक कार्यशाला का आयोजन किया गया था. जिसमें कुछ कंपनियों द्वारा तैयार की गई वाईन को प्रस्तुत किया गया था. ज्ञात रहें कि, संतरे व मोसंबी का रस पूरी दुनिया में बडे चाव से पिया जाता है और इन दोनों फलों में विटामिन-सी रहने के चलते इन फलों के सेवन और इनके रस को पीने को स्वास्थ्यवर्धक भी माना जाता है. ऐसे में इन दोनों फलों से तैयार होनेवाली वाईन का पूरी दुनिया में आरोग्यदायी पेय के तौर पर प्रयोग हो सकता है, ऐसा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है.

वाईन यानी फरमेंटेड फ्रुट ज्युस

यहां यह ध्यान दिये जानेवाली बात है कि, वाईन तथा लिकर दो अलग-अलग उत्पादन है. वाईन एक तरह से फरमेंटेड फ्रुट ज्युस है. जिसमें अपने आप प्राकृतिक रूप से अल्कोहोल तैयार होता है. जिसका प्रमाण 7 से 12 प्रतिशत तक रहता है. वहीं लिकर में अल्कोहोल का प्रमाण 40 से 50 फीसद तक होता है, जो लिकर में मिलाया जाता है, क्योंकि लिकर में अपने आप प्राकृतिक रूप से अल्कोहोल की निर्मिती नहीं होती.

शराब की दुकानों पर लगे बोर्ड गलत

अमूमन देशी-विदेशी शराब की सभी दुकानों पर लगे बोर्ड में वाईन शॉप लिखा होता है. जो पूरी तरह से गलत है. बल्कि वहां पर लिकर शॉप लिखा होना चाहिए. क्योेंकि इन दुकानों में बडे पैमाने पर देशी व विदेशी ब्राण्डवाली दारू बिकती है तथा दारू व वाईन अपने आप में काफी अलग उत्पाद है.

  • सरकार का निर्णय बेहतरीन है तथा जिस तरह से अंगूर से बनी वाईन को सरकार प्रोत्साहित कर रही है, उसी तरह संतरे व मोसंबी से भी बेहतरीन गुणवत्तावाली वाईन तैयार करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसानों का मार्गदर्शन किया जाना चाहिए. यदि अंगूर से बने द्राक्षासव को लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है, तो संतरे से तैयार किये जानेवाले संतरासव को भी वाईन पीने के शौकीन लोगोें द्वारा निश्चित तौर पर पसंद किया जायेगा.
    – रमेश जिचकार
    मुख्य कार्यकारी अधिकारी
    श्रमजीवी नागपुरी संतरा उत्पादक कंपनी (वरूड, जि. अमरावती)
  • संतरा व मोसंबी उत्पादकों के लिए यह एक बेहतरीन अवसर है. सरकार ने नासिक की तरह ही विदर्भ में वाईनरी पार्क स्थापित करना चाहिए और सरकार ने अपनी संस्थाओें के मार्फत किसानों को वाईन तैयार करने से लेकर उसकी बिक्री करने के संदर्भ में मार्गदर्शन भी करना चाहिए. संतरे व मोसंबी से तैयार होनेवाली वाईन वैश्विक बाजारपेठ में निश्चित तौर पर अपना स्थान बनाने में सक्षम रहेगी.
    – श्रीधर ठाकरे
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