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सुवर्ण महोत्सवी वर्ष की ओर आगे बढ रही संस्था
अमरावती प्रतिनिधि/दि.15 – स्थानीय शासकीय विदर्भ ज्ञान-विज्ञान शिक्षा व प्रशिक्षण संस्था (वीएमवी) अब अपने सुवर्ण महोत्सवी वर्ष की ओर आगे बढ रही है. जिसके मद्देनजर राज्य सरकार ने ‘वीएमवी’ को स्वायत्त संस्था (एटोनॉमस) का दर्जा देना तय किया है. इस हेतु केंद्रीय विद्यापीठ अनुदान आयोग की 6 सदस्यीय टीम अमरावती पहुंच चुकी है. जिसके द्वारा 15 व 16 जनवरी को इस संस्था का परीक्षण किया जायेगा.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक गुजरात स्थित सरदार पटेल विद्यापीठ, वल्लभ विद्यानगर के कुलगुरू डॉ. शिरीष कुलकर्णी इस परीक्षण समिती के अध्यक्ष है. वहीं समिती सदस्यों में दिल्ली विद्यापीठ के राज्यशास्त्र विभाग प्रमुख पारेख सिंह, जयपुर के प्राचार्य के. बी. शर्मा, विद्यापीठ नामित सदस्य प्राचार्य के. के. देबनाथ, राज्य सरकार के प्रतिनिधि व उच्च शिक्षा सहसंचालक केशव तुपे तथा समन्वय अधिकारी अनुराग का समावेश है. ज्ञात रहे कि, अगस्त 1923 में स्थापित किंग एडवर्ड कॉलेज का कालांतर में नाम बदलकर विदर्भ महाविद्यालय कर दिया गया था. पश्चात वर्ष 2008 से इस नामकरण शासकीय विदर्भ ज्ञान विज्ञान शिक्षा व प्रशिक्षण संस्था किया गया. ब्रिटीशकालीन समय में स्थापित इस महाविद्यालय को अब स्वायत्त दर्जा मिलने हेतु गतिविधियां तेज की गई है, जो निश्चित तौर पर अमरावती के शैक्षणिक क्षेत्र हेतु गौरवास्पद बात है. 150 प्राध्यापक, 5 हजार विद्यार्थी तथा 23 पदव्युत्तर विभाग सहित संशोधन केंद्र की सुविधा उपलब्ध रहनेवाली यह राज्य की एकमात्र शैक्षणिक संस्था है. यूजीसी द्वारा गठित टीम द्वारा इस संस्था को स्वायत्त संस्था का दर्जा मिलने हेतु तमाम आवश्यक परीक्षण किये जायेंगे. इस हेतु संस्था के संचालक वसंत हेलावीरेड्डी तथा आयक्यूएसी के समन्वयक सतीश हालोडे व वर्षा झाडे द्वारा महत प्रयास किये जा रहे है.
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संस्था ने दिये हैं ‘भारतरत्न’ व ‘पद्मश्री’
शासकीय विदर्भ ज्ञान विज्ञान संस्था ने समाज को राजनीतिक, शैक्षणिक, साहित्यीक, क्रीडा, सामाजिक व संशोधन क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनानेवाले कई गणमान्य विद्यार्थी दिये है. इसी संस्था से निकले वामन विष्णु मिरासी को संस्कृत में अतुलनीय कार्य करने हेतु भारतरत्न तथा वि. भा. कोलते को पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया जा चुका है. मिरासी व कोलते ने वीएमवी के प्राचार्य पद को सुशोभित किया है. इसके अलावा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाईक भी कभी इसी संस्था के विद्यार्थी रहे.
विदर्भ क्षेत्र हर तरह से साधन संपन्न है, और यहां पर शिक्षा के लिहाज से पोषक वातावरण है. यहां उद्योग-धंधों, रोजगार व शिक्षा के मामले में परिपूर्ण होने हेतु विदर्भ महाविद्यालय को एटोनॉमस का दर्जा मिलना निश्चित ही फायदेमंद साबित होगा.
– वसंत हेलावीरेड्डी
संचालक, वीएमवी