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एक होस्टल से शुरु होकर शिक्षा का विशाल वटवृक्ष बन गई विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी

59 वर्ष पहले शिक्षा के प्रति समर्पित 10 मित्रों ने की थी संस्था की स्थापना

* आज दर्जनों स्कूलों व कॉलेजों का संस्था द्वारा होगा संचालन
* दो इंजीनियरिंग, दो फार्मसी व एक डेंटल कॉलेज का समावेश
* ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार का मुख्य लक्ष्य
* बदलते दौर के लिहाज की शिक्षा देने का मानस
* संस्थाध्यक्ष नितिन धांडे के नेतृत्व में संस्था बढ रही आगे
अमरावती/दि.29 – ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाने हेतु शिक्षा महर्षि डॉ. पंजाबराव उर्फ भाउसाहब देशमुख से प्रेरणा लेकर वर्ष 1965 में शिक्षा के प्रति समर्पित 10 मित्रों ने एक संस्था की स्थापना की थी. जिसके जरिए बडनेरा में एक ऐसा होस्टल शुरु किया गया था, जहां पर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी आकर रहते हुए शहरी क्षेत्र के स्कूलों व कॉलेजों में पढाई कर सके. इसके बाद इस संस्था द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ही स्कूल व कॉलेज शुरु करने की संकल्पना पर काम करना शुरु किया गया और देखते ही देखते इस संस्था ने अमरावती जिले सहित संभाग में दो इंजीनियरिंग कॉलेज, दो फार्मसी कॉलेज व एक डेंटल कॉलेज सहित करीब 40 शैक्षणिक संस्थानों का विशालकाय नेटवर्क खडा कर दिया. जिनमें लगभग 17 स्कूल व करीब 12 कॉलेजों का समावेश है. इसके साथ ही यह शिक्षा संस्था विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी के तौर पर विदर्भ क्षेत्र की दूसरी सबसे बडी शिक्षा संस्था के रुप में आज परिचित एवं लब्ध प्रतिष्ठित है.
विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी की स्थापना वर्ष 1965 में संस्थापक अध्यक्ष प्रा. रामराम कृष्णराव मेघे, संस्थापक उपाध्यक्ष शशीकुमार रामराव देशमुख, प्रा. बाबूराव देवराव हिवसे, पुंडलिकराव बालाजी गोहाड, संस्थापक कोषाध्यक्ष रामदास उपाख्य, नानासाहब पंढरीनाथ हांडे, संस्थापक सचिव सुरेंद्र भाउराव देशमुख तथा संस्थापक सदस्य प्रा. दिनकराव कृष्णराव देशमुख, डॉ. मुरलीधरराव रामराव देशमुख, वसंतराव नारायणराव चौधरी व शंकरराव दगडूजी काले इन 10 गणमान्यों द्वारा की गई थी. इन सभी लोगों का एक ही मानस व लक्ष्य था कि, शिक्षा महर्षि भाउसाहब देशमुख के पदचिन्हों पर चलते हुए प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र तक शिक्षा के प्रवाह को ले जाया जा सके. इसी सोच के साथ संस्था की स्थापना करते हुए सबसे पहले बडनेरा में एक छात्रावास बनाया गया और फिर वर्ष 1969 के दौरान जिले के कुछ ग्रामीण इलाकों में शालाएं खोली गई. जिनके जरिए ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को गांवों में ही शिक्षा के बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराये गये. इसके उपरान्त वर्ष 1972 में पहली बार एक कदम आगे बढते हुए संस्था ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा और बडनेरा मेें आरडीआईके कॉलेज शुरु किया गया. इसके बाद नांदगांव खंडेश्वर, चांदूर रेल्वे व राजूरा में कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय की उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु कॉलेजों की शुरुआत करने का सिलसिला शुरु हुआ. जिसके चलते समूचे जिले में विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित स्कूलों व कॉलेजों का एक नेटवर्क खडा हो गया.


* वैश्विक लिहाज से हर किसी को तैयार रहना ही होगा
– डॉ. धांडे ने रिसर्च और अपग्रेडेशन को बताया सबसे जरुरी प्रक्रिया
संस्थाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे के मुताबिक इन दिनों वैश्विक स्तर पर बडी तेजी के साथ हर क्षेत्र में बदलाव हो रहे है. जिसे देखते हुए शिक्षा क्षेत्र को भी अपने आप में बदलाव लाना होगा और शिक्षकों को भी अपने आपको अपग्रेड करना होगा. तभी हम वक्त के साथ कदमताल कर पाएंगे. डॉ. धांडे का मानना है कि, सूचना तकनीक वाले मौजूदा दौर में ज्ञान के अथाह भंडार का खोल दिया है. जिसके चलते इस समय पूरी दुनिया में जितना काम शिक्षा क्षेत्र में हो रहा है. उतना काम किसी भी अन्य सेक्टर में नहीं हो रहा. इस बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षा क्षेत्र से जुडे प्रत्येक घटक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और खुद को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार भी करना होगा.

* सन 83 में इंजीनियरिंग व सन 89 में डेंटल कॉलेज
इसके उपरान्त इस शिक्षा संस्था ने सबसे बडी उपलब्धि उस समय हासिल की, जब शिक्षा संस्था को बडनेरा में इंजीनियरिंग कॉलेज शुरु करने की अनुमती मिली और वर्ष 1983 में बडनेरा स्थित प्रा. राम मेघे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड रिसर्च का प्रारंभ हुआ. यह विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी की यात्रा में सबसे बडा व निर्णायक मोड था. क्योंकि इस जरिए ही पश्चिम विदर्भ के संभागीय मुख्यालय रहने वाले अमरावती शहर में पहली बार किसी निजी संस्था द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना हुई थी. इसके कुछ ही वर्ष बाद सन 1989 में विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी ने एक और छलांग लगाते हुए बंद महाविद्यालय व अस्पताल की स्थापना की और मेडिकल पाठ्यक्रम के क्षेत्र में कदम रखा. इसके साथ ही संस्था ने बडनेरा सहित वर्धा जिले के बोरगांव मेघे में दो फार्मसी कॉलेज भी खोले. जहां से औषध निर्माणशास्त्र की शिक्षा पूरी कर अब तक सैकडों फार्मासिस्ट बाहर निकले है और दवा निर्मिति व वितरण के क्षेत्र में काम करते हुए स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे है.

* 35 हजार विद्यार्थियों वाली संस्था
विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित लगभग 40 शिक्षा संस्थानों में इस समय 35 से अधिक विद्यार्थी शिक्षारत है. जिनके लिए लगभग 5 हजार शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारी का समर्पित स्टाफ कार्यरत है. जिनमें से अधिकांश शिक्षकों की शैक्षणिक पात्रता निर्धारित से कही अधिक है. विशेष उल्लेखनीय है कि, प्रा. राम मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी एण्ड रिसर्च महाविद्यालय में ही 60 से अधिक पीएचडी अहर्ताधारक प्राध्यापक कार्य करते है. यह किसी भी शिक्षा संस्था में पीएचडीधारक प्राध्यापकों की सर्वाधिक संख्या है.

* सभी कॉलेजों को नैक मानांकन
संस्था के अब तक के सफर को बेहद शानदार बताते हुए मौजूदा संस्थाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे बडे गर्व के साथ बताते है कि, संस्था द्वारा संचालित सभी शालाओं और कॉलेजों के पास अपनी खुद की इमारते है तथा सभी शिक्षा संस्थाओं में तमाम तरह की मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध है. साथ ही साथ शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है. जिसे ध्यान में रखते हुए सभी कॉलेजों को बेहतरीन नैक मानांकन भी प्राप्त हुआ है.

* सातवा वेतन आयोग देने वाली पहली शिक्षा संस्था
संस्थाध्यक्ष नितिन धांडे के मुताबिक विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी इस समय विदर्भ क्षेत्र की पहली ऐसी शिक्षा संस्था है, जिसने अपने स्टाफ के लिए सबसे पहले सातवा वेतन आयोग लागू किया. इसके साथ ही सोसायटी द्वारा खुद से जुडे सभी लोगों के आर्थिक व सामाजिक मसलों पर पूरा ध्यान रखा जाता है. यहीं वजह है कि, विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी को छोडने वाले कर्मचारियों की संख्या बिल्कुल नगण्य है और जो लोग एक बार विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी के साथ जुड जाते है, उनमें से लगभग सभी लोग संस्था के साथ लंबे समय तक जुडे रहते है. यहीं वजह है कि, आज विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी के पास सबसे अधिक पुराने व अनुभवी लोगों का स्टाफ है, जो संस्था के हितों के प्रति पूरी तरह से समर्पित भी है.


* सभी तरह की सेवा व सुविधा से लैस डेंटल कॉलेज
विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित डेंटल कॉलेज की शुरुआत वर्ष 1989 में हुई थी. यह पश्चिम विदर्भ क्षेत्र का दंत चिकित्सा से संबंधित सभी सुविधाओं से युक्त एकमात्र व परिपूर्ण कॉलेज है. जहां पर आम लोगों की दंत चिकित्सा के लिए अस्पताल भी उपलब्ध कराया गया है. संस्थाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे के मुताबिक डेंटल कॉलेज में छात्रों की पढाई-लिखाई के साथ ही उनके प्रात्याक्षिक ज्ञान एवं कौशल्य की और भी विशेष ध्यान दिया जाता है. जिसके तहत डेंटल कॉलेज के अस्पताल में अत्यल्प दरों के तहत दंत चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही शहर सहित जिले के ग्रामीण इलाकों में दंत चिकित्सा शिविरों का भी आयोजन किया जाता है. ताकि अधिक से अधिक लोगों तक दंत चिकित्सा व मुख रोग से संबंधित जानकारी पहुंचाते हुए उन्हें इसे लेकर जागरुक किया जा सके. इन्हीं तमाम कामों को देखते हुए नैशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स द्वारा विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी के डेंटल कॉलेज को इसीएचएस प्रमाणपत्र प्रदान करने के साथ ही विशेष मान्यता भी प्रदान की गई है.


* रिसर्च व प्लेसमेंट पर विशेष जोर
विगत तीन कार्यकाल से विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी का अध्यक्ष के तौर पर जिम्मा संभाल रहे डॉ. नितिन धांडे खुद एक पेशेवर व निष्णांत चिकित्सक है. जिसके चलते चिकित्सकीय व शैल्यदृष्टि उनका स्वभाव है. ऐसे में संस्थाध्यक्ष के तौर पर काम करते समय उन्होंने उन तमाम बातों पर ध्यान देना शुरु किया. जिनके जरिए संस्था का विकास होने के साथ-साथ संस्था में पढने वाले विद्यार्थियों का भी भला हो. जिसके तहत अभियांत्रिकी, फार्मसी व डेंटल कॉलेज में सबसे पहले तो रिसर्च को लेकर बढावा दिया गया और इन प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में पढने वाले सभी विद्यार्थियों को नई-नई संकल्पनाओं के बारे में सोचने और इन संकल्पनाओं पर काम करने हेतु प्रोत्साहित किया जाने लगा. कुछ ही वर्षों के भीतर इसके सार्थक परिणाम सामने आने लगे. जिसके चलते संस्था से निकलने वाले कई विद्यार्थियों ने आगे चलकर अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में शानदार मुकाम भी हासिल किया. इसके अलावा संस्थाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे की यह सोच भी रही कि, उनकी शिक्षा संस्था मेें पढने वाले अधिकांश विद्यार्थी समाज के मध्यम वर्ग से वास्ता रखते है और हर मध्यम वर्गीय अभिभावक की यह सोच होती है कि, उनके बच्चे पढ-लिखकर किसी अच्छे काम पर लगे. ऐसे में उन्होंने अपनी संस्था में ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट पर विशेष ध्यान दिये जाने की व्यवस्था उपलब्ध कराई. जिसके चलते आज विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित दोनों अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के जरिए ही संभाग मेें सबसे अधिक कैम्पस सिलेक्शन होते है और हर साल संस्था के दोनों इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकलने वाले सैकडों बच्चों को अलग-अलग नामांकित कंपनियों में आकर्षक पैकेज पर नौकरियां मिलती है. इसके अलावा कई विद्यार्थियों द्वारा अपने खुद के उपक्रम भी शुरु किये जाते है. यह एक तरह से संस्था की सबसे बडी उपलब्ध है.

* टेक फेस्ट व यंग साइंटीस कॉम्पिडिशन बेहद लोकप्रीय
बता दें कि, विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में प्रतिवर्ष टेक फेस्ट नामक सालाना उत्सव होता है. जिसमें अभियांत्रिकी विद्यार्थी अपने ज्ञान व कौशल्य का प्रदर्शन करते है. जिसमें रोबो वॉर सबसे मुख्य आकर्षण होता है. इसके अलावा इस आयोजन में विभिन्न चर्चासत्र, व्याख्यान व पेपर प्रोझेंटेशन जैसे बौद्धिक उपक्रम भी आयोजित किये जाते है. विशेष उपलब्ध यह भी है कि, इस आयोजन के तहत प्रस्तुत किये जाने वाले कई शोध निबंध अब तक कई नामांकित व प्रतिष्ठित जर्नल्स में भी प्रकाशित हो चुके है. साथ ही अपने विद्यार्थियों को प्रेरित करने व उन्हें मार्गदर्शन उपलब्ध कराने हेतु संस्थाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे की पूरी कोशिश होती है कि, वे अलग-अलग क्षेत्र के गणमान्यों को संस्था के विद्यार्थियों से संवाद साधने हेतु संस्था में आमंत्रित करेें.

* भविष्य में अधिमत विद्यापीठ का प्रयास
विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी के संस्थाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे के मुताबिक विगत 60 वर्षों के दौरान संस्था की प्रगती बेहद शानदार रही और अब मौजूदा दौर की जरुरतों व चुनौतियों को देखते हुए संस्था को नई उंचाईयों तक ले जाना बेहद जरुरी हो चला है. फिलहाल वर्ष 1983 में स्थापित प्रा. राम मेघे कॉलेज और इंजीनियर एण्ड रिचर्स को ऑटोनॉमी यानि स्वयं वित्तसहायित का दर्जा प्राप्त हो चुका है. वहीं अब इस बात को लेकर पूरा प्रयास किया जा रहा है कि, 40 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करने वाले विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी को निजी या अभिमत विद्यापीठ का दर्जा प्राप्त हो, ताकि संस्था द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर मौजूदा दौर व भविष्य की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम तैयार किये जा सके और उन्हें विद्यार्थियों को पढाया जा सके.

* पढाई के साथ ही विद्यार्थियों का सामाजिक जुडाव
संस्थाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे के मुताबिक सभी विद्यार्थियों को आगे चलकर एक समाजिक घटक के तौर पर जीवन के किसी न किसी क्षेत्र में काम करते हुए अपनी भूमिका निभानी है. तो इस बात को ध्यान में रखते हुए संस्था द्वारा अपने सभी विद्यार्थियों को भविष्य के लिहाज से इस तरह तैयार किया जाता है कि, वे अपने व्यवहारिक जीवन के साथ-साथ सामाजिक जीवन में भी योगदान दे सके. जिसके लिए संस्था के सभी स्कूलों व महाविद्यालयों में अलग-अलग तरह के सामाजिक उपक्रमों का आयोजन किया जाता है और विद्यार्थियों को उन उपक्रमों के जरिए समाज के अलग-अलग घटकों से जुडने का अवसर प्रदान किया जाता है. ताकि विद्यार्थियों को दुनियादारी की समझ आ सके और वे आगे चलकर समाज के साथ जुडे रहते हुए समाज की जरुरतों के लिहाज से अपना योगदान दे सके.


* नई टीम बडे जोश से कर रही काम
संस्थाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे और उनकी टीम विगत तीन कार्यकाल से इस विशालकाय संस्था का जिम्मा संभाल रही है. इस टीम में अध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे, उपाध्यक्ष एड. उदय देशमुख, कोषाध्यक्ष प्रा. डॉ. हेमंत देशमुख, सचिव देवराजसिंह चौधरी तथा सदस्य नितिन हिवसे, डॉ. पूनम चौधरी, पंकज देशमुख, प्रा. विनय गोहाट व प्रा. गजानन काले का समावेश है. नई पीढी के इन नये पदाधिकारियों द्वारा नये जोश व उत्साह के साथ काम करते हुए विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी एवं संस्था द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों को नया स्वरुप व नई उंचाईयां देने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. जिसमें इस टीम काफी हद तक सफल भी हुई है, ऐसा कहा जा सकता है.

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