अमरावती/प्रतिनिधि दि.२८ – विदर्भ राज्य आंदोलन समिती की अमरावती शहर व जिला शाखा द्वारा स्थानीय जिलाधीश कार्यालय के समक्ष नागपुर करार की होली जलाते हुए कहा गया कि, 60 वर्ष पूर्व विदर्भ को जबरन महाराष्ट्र में शामिल किया गया था. जिसके दुष्परिणाम अब दिखाई देने लगे है और विकास की दौड में विदर्भ लगातार पिछडता जा रहा है. वहीं विगत 60 वर्षों के दौरान विदर्भ के साथ हमेशा ही सौतेला व्यवहार किया जाता रहा.
विदर्भवादियों का कहना रहा कि, विदर्भ को महाराष्ट्र में शामिल करते समय नागपुर करार किया गया था. जिसमें विदर्भ को भी शेष महाराष्ट्र के साथ सम-समान अवसर दिये जाने की बात कही गई थी. किंतु कालांतर में विदर्भ की हमेशा ही अनदेखी की जाती रही. यहां के औद्योगिक विकास को अनदेखा किया गया और यहां के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए पश्चिम महाराष्ट्र व मुंबई क्षेत्र का विकास किया गया. सन 1956 में संविधान द्वारा मंजूर किये गये विकास मंडलों की स्थापना वर्ष 1994 में हुई और इसके बाद भी विदर्भ को विकास के नाम पर केवल आश्वासनों की खैरात मिली. आज महाराष्ट्र पर 6.15 लाख करोड रूपयों का कर्ज है. ऐसे में महाराष्ट्र के साथ रहकर विदर्भ का विकास होना संभव ही नहीं है. गत वर्ष हुई अतिवृष्टि में किसानों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ. जिसके लिए 10 हजार करोड रूपये मंजूर हुए. किंतु विदर्भ के हिस्से में केवल 7 करोड रूपये की सहायता आयी और शेष महाराष्ट्र को 9993 करोड रूपये दिये गये. यहीं वजह है कि, विदर्भ क्षेत्र में लगातार किसान आत्महत्याएं बढ रही है. इसके साथ ही अमरावती के लिए मंजूर सरकारी मेडिकल कॉलेज की निधी को सिंधुदूर्ग, अलिबाग व सातारा जिले को आवंटित कर दिया गया है. इन सभी बातों से साफ पता चलता है कि, नागपुर करार पूरी तरह से वैदर्भिय जनता के साथ जालसाजी है.
इस आंदोलन में रंजना मामर्डे, राजेंद्र आगरकर, सतीश प्रेमलवार, डॉ. विजय कुबडे, रियाज खान, पांडूरंग बिजवे, प्रकाश लढ्ढा, सरला सपकाल, साहेबराव इंगले, अनिल वानखडे, प्रमोद तायडे, विजय मोहोड, वि. दा. पवार, अनिल शेंडे, श्याम आठवले, सुधीर लांडे, अबरारभाई, जीतू खान, धनराज घोटे, अमरसिंह ठाकुर, विलास उगले, विलास वर्हेकर, भाऊराव वानखडे, रमेश रामटेके आदि सहित अनेकों विदर्भवादियों ने हिस्सा लिया.