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विदर्भ का सोयाबीन प्रक्रिया उद्योग संकट में

सरकारी नीति पर अमल का परिणाम

अमरावती/दि.27- सोयाबीन का कम उत्पादन, अंतर्राष्ट्रीय बाजार का उतार-चढाव और सरकारी नीति पर अमल के कारण विदर्भ का सोयाबीन प्रक्रिया उद्योग संकट में आ गया है. पिछले कुछ साल में 80 प्रतिशत उद्योग बंद पड गए हैं.
देश में उत्पादित होने वाले सोयाबीन में से करीबन 61 प्रतिशत सोयाबीन मध्य प्रदेश तथा 27 प्रतिशत उत्पादन महाराष्ट्र में होता है. महाराष्ट्र में पिछले एक दशक से सोयाबीन के उत्पादन में लगातार वृद्धि होती गई. विशेष यानी कपास के उत्पादन में अग्रसर रहे विदर्भ में सोयाबीन की बुआई तेजी से बढ गई थी. लेकिन पिछले कुछ साल में सोयाबीन की उत्पदकता कम हो गई है. कम उत्पादन और बाजार भाव के उतार-चढाव का परिणाम सोयाबीन प्रक्रिया क्षेत्र पर हुआ है. विदर्भ में सोयाबीन प्रक्रिया उद्योग की संख्या 30 से अधिक पहुंच गई थी. इसकी गलाई क्षमता करीबन 35 से 40 लाख टन थी. इसमें से 10 लाख टन से अधिक सोयाबीन ढेप का निर्यात किया जाता था. लेकिन अब इसमें से 80 प्रतिशत उद्योगों को ताले लग गए है. शेष कारखानों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. क्षमता से कम गलाई करने की नौबत इन उद्योगों पर आ गई है. सोयाबीन फसल विशेष रुप से खरीफ सत्र में ली जाती है. सोयाबीन की अधिकांश फसल बारिश पर आधारित रहने के कारण उत्पादन बढाने की मर्यादा रहती है. मौसम के बदलाव के कारण फसलो के उत्पादन पर भी परिणाम दिखाई दे रहा है. यदि बारिश के कारण बुआई देरी से हुई तो इसका विपरित परिणाम उत्पादन पर होता है. इस बार ऐसी ही स्थिति है. इस बार सोयाबीन की बुआई देरी से हुई. पहले बारिश न होने के कारण खराब हुई सोयाबीन फसल को कटाई के समय हुई बारिश के कारण नुकसान होने की संभावना है. सोयाबीन को प्रति क्विंटल 4200 से 5 हजार रुपए भाव मिलने का अनुमान जानकारों ने व्यक्त किया है. कम उत्पादन हुआ तो इसका प्रभाव प्रक्रिया उद्योगों पर पडेगा. विदर्भ के 7 सोयाबीन प्रक्रिया उद्योग बंद की कगार पर है. अनेक उद्योग बंद पड गए. उत्पादन का खर्च बढा की उद्योगों पर संकट आता है. सरकार की आयात-निर्यात पर उद्योग अवलंबित है. अच्छी गुणत्ता का सोयाबीन न मिलने की शिकायतें भी है. कृषि उपज मंडी में गुणवत्ता पर देखरेख रखने वाली यंत्रणा न रहने से उद्योगों की दुविधा बढी है, ऐसा भी सोयाबीन प्रक्रिया उद्योजकों का कहना है.

* उपाययोजना आवश्यक
विदर्भ में 1990 के बाद सोयाबीन प्रक्रिया उद्योग को चालना मिली. लेकिन सरकारी नीति पर अमल बढने से और अन्य कारणों के कारण उद्योग दुविधा में आ गए. विदर्भ में सोयाबीन का सर्वाधिक क्षेत्र है फिर भी यहां प्रक्रिया उद्योग बंद पड रहे है. इन उद्योगों को बल देने के लिए कायमस्वरुप उपाययोजना की आवश्यकता है.
– विनोद कलंत्री,
अध्यक्ष, अमरावती चेंबर कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज

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