अमरावती

विद्यापीठ को नहीं मिल रहा पीएचडी की प्रवेश परीक्षा का मुहूर्त

 इच्छुक संशोधक कर रहे इंतजार

अमरावती/दि.19- किसी विषय पर संशोधन करते हुए आचार्य पदवी प्राप्त करने हेतु आवश्यक रहनेवाली पीएचडी की प्रवेश परीक्षा का मुहूर्त संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ को अब तक प्राप्त नहीं हुआ है और विद्यापीठ की लेटलतीफी के चलते इच्छुक संशोधक इस बार परीक्षा होगी अथवा नहीं इस संभ्रम में फंसे हुए है. साथ ही विद्यापीठ के नियोजनशून्य कामकाज का अनुभव भी नव संशोधकों को हो रहा है.
बता दें कि, आचार्य पदवी प्राप्त करने के लिए पीएचडी प्रवेश परीक्षा यानी पैट देना अनिवार्य होता है. जिसके पश्चात कोर्स वर्क, पुनर्परिक्षा तथा मार्गदर्शक के माध्यम से संशोधन का कार्य जैसे चरण पूर्ण करने होेते है. इस समय राज्य के लगभग सभी विद्यापीठों द्वारा पीएचडी प्रवेश परीक्षा का नियोजन किया जा रहा है और कई विद्यापीठों द्वारा पीएचडी प्रवेश परीक्षा की तारीखें भी घोषित की गई है. जिसके तहत सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ द्वारा अगले माह की 22 तारीख को पीएचडी की परीक्षा लेने की घोषणा की गई है. जिसके बारे में इस विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल पवार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की. इसके अलावा पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर सोलापुर विश्वविद्यालय द्वारा भी पीएचडी प्रवेश परीक्षा की अधिसूचना जारी की गई है और कुलसचिव डॉ. वी. बी. भुते ने 7 अगस्त तक विद्यापीठ की वेबसाईट पर परीक्षा हेतु आवेदन करने का आवाहन किया है. इन दोनों विद्यापीठों के अलावा अन्य कई विद्यापीठों द्वारा भी पीएचडी प्रवेश परीक्षा की तारीखे घोषित करते हुए आवश्यक नियोजन किया जा रहा है. जिसके तहत पात्र व इच्छूक उम्मीदवारों से आवेदन मंगाये जा रहे है. जिसके मद्देनजर पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए अन्य विद्यापीठों में जमकर तैयारियां चल रही है. किंतु वहीं संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ इसमें काफी पीछे छूट गया है. अब तक संगाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए अधिसूचना ही जारी नहीं की गई है. ऐसे में इस वर्ष की परीक्षा पर सवालिया निशान लगता दिखाई दे रहा है. चूंकि परीक्षा के बाद परिणाम, कोर्स वर्क, फिर परीक्षा व पश्चात संशोधन ऐसी लंबी दूरी तय करनी होती है. लेकिन विद्यापीठ द्वारा अब तक प्रवेश परीक्षा का पहला चरण भी शुरू नहीं किया गया है. जिससे संशोधन करने के इच्छुकों में काफी हद तक निराशा और संभ्रम का माहौल है.
पीएचडी प्रवेश परीक्षा में विलंब होने के साथ ही परिणाम घोषित होने पर कोर्स वर्क के लिए नवसंशोधकों को महाविद्यालय में प्रवेश के लिए भी विलंब का सामना करना पडता है और कोर्स वर्क पूर्ण करने के बाद नियमित समय पर परीक्षा लेने की बजाय इसमें भी दो से तीन माह का अतिरिक्त समय लगता है और आरआरसी की मान्यता मिलने में भी अच्छीखासी देरी लगती है. इसकी वजह से प्रत्यक्ष संशोधन करने में करीब 5 से 7 वर्ष की कालावधि लग रही है. ऐसे में नवसंशोधकों को प्रवेश परीक्षा के साथ-साथ पीएचडी की पदवी प्राप्त करने के लिए भी काफी लंबा इंतजार करना पडता है.
* कोई नियोजन नहीं – प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी
नागपुर युनिर्व्हसिटी टीचर्स एसोसिएशन (नूटा) के अध्यक्ष प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी के मुताबिक पीएचडी के माध्यम से कई लोगों का शैक्षणिक भविष्य उज्वल होता है. किंतु अमरावती विद्यापीठ में पीएचडी को पूर्ण करने हेतु काफी अधिक समय लगता है. विद्यापीठ में मनुष्यबल की कमी, अधिष्ठाताओं पर काम का बोझ, नियमित रूप से समय पर नहीं होनेवाली परीक्षा एवं नियोजन के जबर्दस्त अभाव की वजह से संशोधन करने के लिए काफी कालावधि लग जाती है. प्रवेश परीक्षा में विलंब होना भी इसी का एक हिस्सा है.
* दिक्कतें व प्रदीर्घ कालावधी
अमरावती विद्यापीठ अंतर्गत संशोधन करने में काफी अधिक समय लगता है. यह अपने आप में एक हकीकत है. जिसके लिए विद्यापीठ की ओर से बरती जानेवाली लापरवाही और लेटलतीफी सबसे मुख्य वजह है. प्रवेश परीक्षा, कोर्स वर्क व उसके पश्चात होनेवाली परीक्षा समय पर नहीं होती. साथ ही रिसर्च रिकग्नेशन कमेटी (आरसीसी) की बैठक भी समय पर नहीं होती. जिसके चलते संशोधकों को आचार्य पदवी प्राप्त करने में काफी लंबा इंतजार करना पडता है.
* जल्द होगी तारीखें घोषित
पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए वी शाईन कंपनी का चयन किया गया है. इच्छुकों को विद्यापीठ की वेबसाईट पर जाकर आवेदन करना होगा. जिसके पश्चात विविध केंद्रों पर ऑनलाईन पध्दति से परीक्षा ली जायेगी. 64 अलग-अलग विषयों की प्रश्नपत्रिकाएं तैयार है और अगले सप्ताह में प्रवेश परीक्षा की तारीख घोषित की जायेगी. इस आशय की जानकारी संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के परीक्षा व मूल्यांकन मंडल के संचालक डॉ. हेमंत देशमुख द्वारा दी गई है.

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