अमरावती

आईआईएमसी को विद्यापीठ ने कहा ‘चले जाओ’

व्यवस्थापन परिषद ने लिया सख्त निर्णय, कुलसचिव ने जारी किया पत्र

अमरावती/दि.5– भारतीय जनसंचार संस्थान के अमरावती विद्यापीठ स्थित पश्चिम विभागीय केंद्र को विद्यापीठ की व्यवस्थापन परिषद ने अपना बोरिया बिस्तर समेटकर तुरंत ही विद्यापीठ परिसर से बाहर निकल जाने का आदेश दिया है. विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने 29 नंवबर को भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रादेशिक संचालक के नाम व्यवस्थापन परिषद का आदेश जारी करते हुए उन्हें बिना विलंब विद्यापीठ परिसर से बाहर निकलने हेतु कहा है.

उल्लेखनीय है कि विद्यापीठ परिसर में सन 2011 से आईआईएमसी का पश्चिम विभागीय केंद्र स्थित है और इस केंद्र व्दारा विद्यापीठ के डॉ. श्रीकांत जिचकार भवन की पहली मंजिल की पूरी जगह उपयोग में लाई जा रही है. जिसके लिए आईआईएमसी की ओर से विद्यापीठ को कोई शुल्क अदा नहीं किया जाता. इससे पहले भी विद्यापीठ ने कई बार इस केंद्र को विद्यापीठ परिसर से बाहर निकालने का प्रयास किया था. साथ ही हर बार विद्यापीठ ने इस संस्थान को सहयोग करते हुए आधार भी दिया था. परंतु इस बार व्यवस्थापन परिषद ने कठोर भूमिका अपनाते हुए इस संस्थान को ‘चले जाओ’ का आदेश दिया है. साथ ही छात्रावास मिलने के संदर्भ में संस्था व्दारा किए गए निवेदन को भी खारिज कर दिया. जिससे बिफरते हुए आईआईएमसी ने फिलहाल अपना शैक्षणिक सत्र शुरु रहने और संस्थान की इमारत का निर्माण जारी रहने के चलते थोडी समयावधि देने का निवेदन विद्यापीठ से किया है. जिस पर अब तक व्यवस्थापन परिषद ने कोई निर्णय नहीं लिया है.

विशेष उल्लेखनीय है कि सन 2011 को विद्यापीठ की जगह का मुफ्त में उपयोग करने वाले जनसंचार संस्थान से विद्यापीठ ने किराए की मांग भी की है. जिसकी ओर संस्थान व्दारा जानबुझकर अनदेखी की जा रही है. ऐसे में संस्थान के प्रादेशिक संचालक के नाम 29 नवंबर को लिखे गए पत्र में कुलसचिव ने व्यवस्थापन परिषद के निर्णय के बारे में सूचित किया है. जिसमें संस्था व्दारा विद्यापीठ को 29 मार्च, 25 मई व 9 अक्तूबर को लिखे गए पत्रों का संदर्भ देते हुए व्यवस्थापन परिषद की सभा में प्रस्ताव क्रमांक 139 के अनुसार लिए गए निर्णय से अवगत करया गया. जिसके तहत संस्था व्दारा विद्यापीठ से की गई छात्रावास की मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया. साथ ही संस्थान को विद्यापीठ परिसर की जगह भी तुरंत खाली करने का आदेश दिया गया है. ऐसे में अब सभी का ध्यान आईआईएमसी की ओर से दिए जाने वाले जवाब की ओर लगा हुआ है.

व्यवस्थापन परिषद का निर्णय आईआईएमसी को पत्र के जरिए सूचित कर दिया गया है. जिसके चलते आईआईएमसी को विद्यापीठ की इमारत खाली करनी पडेगी. साथ ही इस बार आईआईएमसी को समयावधि नहीं देने की बात भी पूरी तरह से निश्चित की गई है.
– डॉ. तुषार देशमुख,
कुलसचिव, अमरावती विद्यापीठ

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