अमरावती/दि.२८ – स्थानीय संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ की ग्रीष्मकालीन-२०२० परीक्षाएं आरंभ हो गयी है. मंगलवार को करीब ५० महाविद्यालयों में विद्यापीठ की परीक्षा ली गयी. जिसमें सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों व प्राध्यापकों का पूरा सहयोग भी मिल रहा है और महाविद्यालय स्तर पर आयोजीत परीक्षा विद्यार्थियों के लिए भी सुविधाजनक साबित हो रही है. इस आशय की जानकारी देते हुए विद्यापीठ प्रशासन द्वारा बताया गया कि, आगामी २ नवंबर तक ऑनलाईन व ऑफलाईन तरीके से सभी परीक्षाएं ली जायेगी. जिसके लिए सभी विद्यार्थी अपने-अपने महाविद्यालयों से संपर्क कर सकते है.
विद्यापीठ प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अधिकांश महाविद्यालयों द्वारा परीक्षा के लिए ऑफलाईन प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है. ऐसे में विद्यापीठ ने मंगलवार को ही सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों को ऑनलाईन व ऑफलाईन के साथ ही ऑनलाईन तरीके से भी परीक्षा लेने हेतु सूचित किया. साथ ही बहि:शाल छात्रों के संदर्भ में सूचना दी गई कि, यदि इन विद्यार्थियों को कोई ऐसा महाविद्यालय परीक्षा केंद्र के तौर पर आवंटित किया गया है, जहां पर उनका विषय नहीं है, तो ऐसे महाविद्यालयों को विद्यापीठ द्वारा परीक्षा के एक घंटा पहले प्राचार्य के ईमेल पर प्रश्नपत्रिका उपलब्ध करायी जायेगी.
उपरोक्त जानकारी के साथ ही बताया गया कि, परीक्षा से संबंधित किसी भी तरह की परेशानी होने पर विद्यापीठ के परीक्षा व मूल्यांकन मंडल संचालक डॉ. हेमंत देशमुख, सहायक कूलसचिव मोनाली वानखडे व दीपक वानखडे से संपर्क किया जा सकता है.
महाविद्यालय स्तर पर नहीं, विद्यापीठ स्तर पर हो परीक्षा
– ११ सीनेट सदस्यों ने सौंपा कुलगुरू को ज्ञापन
वहीं दूसरी ओर संगाबा अमरावती विवि द्वारा महाविद्यालयीन स्तर पर ली जा रही परीक्षा के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गयी है. विगत दिनों व्यवस्थापन परिषद के सदस्य प्रा. दिनेश सूर्यवंशी ने विश्वविद्यालय के फैसले को गलत बताते हुए इसके खिलाफ कुलपति व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को पत्र भेजा था. वहीं अब सीनेट के सभी सदस्यों ने कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर द्वारा लिये गये फैसले को गलत बताते हुए मांग की है कि, ये परीक्षा महाविद्यालयीन स्तर पर नहीं, बल्कि विद्यापीठ स्तर पर ही ली जानी चाहिए. सीनेट सदस्यों का कहना रहा कि, एक ही कक्षा व एक ही पाठ्यक्रम रहने के बावजूद महाविद्यालयीन स्तर पर ली जानेवाली परीक्षा में प्रश्नपत्रिकाएं एक जैसी नहीं रहेगी, बल्कि सभी महाविद्यालयों द्वारा अपने-अपने विद्यार्थियों की सुविधा के लिहाज से हर विषय की अलग-अलग प्रश्नपत्रिका बनायी जायेगी. ऐसे में छात्रों के भविष्य और शैक्षणिक गुणवत्ता के स्तर का कोई मतलब नहीं रह जायेगा. साथ ही ऐसी परीक्षा के बाद दी जानेवाली पदवी का भी कोई मूल्य नहीं रहेगा. अत: विद्यापीठ की पुरानी परंपरा के मुताबिक ही परीक्षा ली जानी चाहिए.
कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर को ज्ञापन सौंपनेवाले सीनेट सदस्यों में प्रा. पी. बी. रघुवंशी, विवेक देशमुख, प्रदीप देशपांडे, गजानन कडू, राजेंद्र मुंद्रे, डॉ. आर. एम. सरपाते, सुभाष गावंडे, प्रा. दिलीप कडू, विद्याधर मेटकर तथा डॉ. बी. आर. वाघमारे का समावेश है. दो दिन पूर्व ही कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर द्वारा इसी मसले को लेकर व्यवस्थापन परिषद के सदस्य प्रा. दिनेश सूर्यवंशी की सदस्यता को अपात्र घोषित किया गया था. वहीं अब सीनेट के सभी ११ सदस्य एक साथ कुलगुरू के फैसले के खिलाफ खडे हो गये है. ऐसे में अब सीनेट एवं विद्यापीठ प्रशासन के बीच टकराव बढने की पूरी संभावना है.