अमरावती

हत्या का प्रयास करने वाला आरोपी विजय भुरे बाईज्जत बरी

जिला व सत्र न्यायालय का फैसला

* मंगरुल दस्तगीर पुलिस थाना क्षेत्र के सोनोरा काकडे की घटना
अमरावती/ दि.5– मंगरुल दस्तगीर पुलिस थाना क्षेत्र के सोनोरा काकडे गांव में आंगनवाडी सेविका के रुप में काम करने वाली युवती ने बात करने से मना करने पर आरोपी बोरगांव निस्ताने निवासी विजय रामराव भुरे ने अपने पास से चाकू निकालकर युवती पर सपासप चाकू से वार कर घायल कर दिया. पुलिस ने हत्या करने के प्रयास का अपराध दर्ज किया. इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान जिला व सत्र न्यायालय ने आरोपी विजय भुरे को इस अपराध से बाईज्जत बरी कर दिया.
अदालत में दायर दोषारोपपत्र के अनुसार विजय भुरे पर आरोप लगाया गया था कि, शिकायतकर्ता युवती सोनोरा काकडे स्कूल में आंगनवाडी सेविका के रुप में काम करती थी. 22 मई 2014 की सुबह 11 बजे युवती आंगनवाडी में उपस्थित थी तब आरोपी विजय भुरे वहां आया और युवती से कहने लगा. तु मेरे साथ बात क्यों नहीं करती. तब युवती ने कहा कि, मुझे तेरे साथ बात नहीं करना, यह सुनते ही आरोपी ने अपने पास से धारदार चाकू निकालकर युवती के पेट, बाई पसली, बाये हाथ, दाये हाथ, सिने पर, गाल पर, मुंह पर, पीठ पर, गर्दन पर सपासप वार कर गंभीर रुप से घायल कर दिया. वहां कोई भी उपस्थित नहीं था. युवती खुन से लतपथ होकर वहां पडी रही. इस दौरान वहां पहुंचे दो व्यक्तियों ने युवती को गाडी पर बिठाकर मंगरुल दस्तगीर के पीएचसी में इलाज के लिए पहुंचाया. प्राथमिक इलाज के बाद युवती को सेवाग्राम अस्पताल पहुंचाया. अस्पताल ले जाते समय युवती को पुलिस थाने लाया गया. उसकी शिकायत पर रामदास भुरे के खिलाफ दफा 307 के तहत अपराध दर्ज किया.
इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से 9 गवाहों के बयान लिये थे. इसमें घायल शिकायतकर्ता युवती चष्मदीद गवाह, पंच, डॉक्टर, जांच अधिकारी का समावेश था. अदालत में सबूत के अनुसार सिध्द हुआ कि, आरोपी ने शिकायतकर्ता युवती को 10 चाकू के घाव मारे. इस वजह से हत्या करने का उद्देश्य स्पष्ट हो रहा था. चाकू का जो खुन मिला वह शिकायतकर्ता के ब्लड ग्रुप था. आरोपी को कडी सजा दी जाए, ऐसी मांग सरकारी पक्ष की ओर से की गई. इसके विपरित अदालत के समक्ष प्रस्तुत किये सबुत व जांच के दौरान दिये गए बयान में काफी फर्क है. अगर आरोपी के खिलाफ जांच के दौरान बलात्कार का आरोप लगाया गया था व उसके अनुसार धाराएं भी लगाई गई थी, वह बात अदालत में सबुतों में हटाई गई तथा शिकायतकर्ता ने आरोप लगाए और मेडिकल सबूत में भी फर्क है. जब तक कानूनन तय किये गए तरीके से कोई वस्तु बरामद नहीं होती तब तक सबूत महत्वपूर्ण नहीं साबित होता. दलीलों के दौरान सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के फैसले वहां रखे गए.दलीले सुनने के बाद अदालत ने बचाव पक्ष के दलीलों को मान्य करते हुए संदेह का लाभ देकर आरोपी को बाईज्जत बरी कर दिया. आरोपी की ओर से एड.परवेज खान ने दलीले पेश की. उनका एड.अनिल जयस्वाल, एड.वसिम शेख, एड. शहेजाद शेख, एड. रियाज रुलानी, एड. अजहर नवाज ने सहयोग किया.

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