विलास हलवे को दोनों कारसेवा की एक-एक बात याद
नैनी जेल में घटिया खाना के बाद भी लगाया राम का नारा
* नालियाेंं में तीन दिन तक बहा खून
* पुलिस को चकमा देकर पहुंचे अयोध्या
अमरावती/दि. 3– राम जन्मभूमि आंदोलन जब 1990 में चरम पर आया. बिहार में लालूप्रसाद यादव सरकार ने रथयात्रा के कारण लालकृष्ण आडवानी को गिरफ्तार कर लिया था. जिससे अक्तूबर की कारसेवा का जोश बढ गया. देशभर से हजारों, लाखों कारसेवक वहां पहुंचे.अमरावती से बजरंग दल के विलास हलवे और उनके सैकडों साथी गए थे. उन्होंने दोनों कारसेवा में भाग लिया. हलवे ने तीन दशक पुराने घटनाक्रम की एक-एक बात बताकर चकित कर दिया. उन्होंने बताया कि किस तरह अयोध्या गए, पुलिस को चकमा दिया. उनके एक-एक साथी का भी नाम उन्हें बराबर याद है. कुछ अब दिवंगत हो गए हैं.
* जगदीश गुप्ता सहित सैकडों रवाना
अयोध्या कूच करने का आदेश प्राप्त होते ही अमरावती से सैकडों कारसेवक रवाना हुए. उनमें जगदीश गुप्ता, बंडू चौधरी, विकास चौधरी, सुरेंद्र बुरंगे, संजय उमेकर, रोशन लखानी, बबन भोंगाडे, ज्ञानेश्वर गुल्हाने, राम जोशी, दिनकर चौधरी, मुकेश भोजवानी, दिनेश जवंजाल, अनिल उमेकर, चंद्रकांत खानजोडे, बडनेरा के अनंत जोशी, मनीष भट, अनंत पांडे, अरुण चुने, उनकी बहन रंजना चुने, संघ के प्रदीप सहारे, जगदीश धुमाले आदि अनेक का समावेश रहा.
* पिता के कपडे छिपाए
हलवे ने बताया कि उनके पिता रामभाउ हलवे भी अयोध्या जाने तत्पर थे. किंतु पिता के कपडे उन्होंने और उनकी मां ने छिपाकर रख दिए. जिससे जब हम लोग रवाना हुए तो पिता हमारे साथ नहीं आ सके. हालांकि बाद में पिताजी अपने छोटे भाई के कपडे लेकर अयोध्या पहुंचे.
* ट्रेन खचाखच, खडे-खडे यात्रा
हलवे ने बताया कि अयोध्या जाने का आहवान होने से अमरावती, नागपुर, अकोला सभी ओर से कारसेवक ट्रेनों से जा रहे थे. इस कारण ट्रेनों में भारी भीड थी. राम भक्ति का जोश और अपने वरिष्ठ के आदेश के कारण वे अपने सैकडों साथियों के संग खचाखच भरी ट्रेन में चढे. आधे से अधिक सफर खडे-खडे तय किया. राम भक्ति का उत्साह ऐसा रहा कि भजन गाते और जयकारा लगाते उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंचे. वहां ट्रेन को सीआरपीएफ ने रोक दिया था.
* कमांडो की ड्रेस
विलास हलवे की डीलडौल अच्छी खासी रही. उस पर उन्होंने कमांडो जैसी पोशाक परिधान की थी. इसलिए सीआरपीएफ जवानों ने उनके साथियों को माणिकपुर में ही ट्रेन से उतारा. हलवे को कुछ नहीं कहा. तब साथियों ने उन जवानों को बताया कि यह भी हमारे साथ हैं. तब जाकर हलवे को ट्रेन से उतारा गया. वहां रेलवे के गोदाम में उन लोगों को रखा गया. यह अस्थायी जेल थी.
* पुलिस को चकमा
हलवे ने बताया कि उस समय कारसेवकों को अस्थायी जेल बनाए गए रेलवे के गोदाम में रखा गया. उनमें अमरावती के अलावा तेल्हारा, अकोट, लातूर से भी आए कारसेवक बंदी बनाए गए थे. हलवे ने बताया कि उन्हें इस तरह जेल में बंद रहकर अच्छा नहीं लग रहा था. भगवान ने उनकी मन ही मन की गई प्रार्थना सुन ली. उन्हें जेल की एक टीन थोडी उंची उठी हुई दिखाई दी. तुरंत उसे बलपूर्वक और उपर कर वे और कुछ साथी कारसेवक पुलिस को चकमा देकर भाग गए. (शेष अगले अंक में)