8 टन शहद पैदा करने वाला ग्राम आमझरी
200 लोग नियमित रुप से कर रहे अलग-अलग प्रकार के उत्पादन

* शासन ने घोषित किया शहद का गांव
अमरावती /दि.9– मेलघाट के प्रकृति संपन्न क्षेत्र में स्थित आमझरी गांव शहद उत्पादन के कारण प्रसिद्ध को गया है. वर्ष में 8 टन शहद का यहां उत्पादन किये जाने का दावा है. प्रशिक्षण प्राप्त 60 ग्रामीण नियमित रुप से कुल 200 लोग शहद का उत्पादन कर रहे हैं. दो प्रकार का शहद यहां हो रहा है. जिससे लोगों को रोजगार मिला है.
* दो महिला बचत गट, दिये गये साधन
मानव विकास मिशन अंतर्गत आमझरी, खटकाली और टेटू तीन एक-दूसरे से जुडे कस्बों की आबादी 1600 के करीब है. आदिवासी गांवों में दो महिला बचत गट तैयार हुए है. 200 लोगों को शहद निकालने का प्रशिक्षण और साधन दिया गया है. खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा 54 लाख का फंड दिया गया. यह जानकारी खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड का प्रभार संभाल रहे उद्योग मंत्री उदय सामंत ने दी.
* 1200 रुपए किलो विक्री
आमझरी के ग्रामीण जो शहद निकालते है, वह खादीग्रामोद्योग 400 रुपए किलो की रेट से खरीदी करते है. उसमें 20 प्रतिशत रॉ फेक देना पडता है. उसके बाद शहद को शुद्ध करना पडता है. उसे बोतल बंद किया जाता है. शुद्ध नैसर्गिक शहद 1200 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है, ऐसी जानकारी स्फूर्ति हनी क्लस्टर के संचालक सुनील भालेराव ने दी.
* विशेष पोशाक का उपयोग
वसंत ऋतु में मेलघाट के विभिन्न वनस्पतियों में फूल आते हैं. जिससे मधुमक्खियां अप्रैल, मई और जून तीन माह में बडे प्रमाण में छत्ते बनाती है. आवला, पलाश, अमलताश, हरडे आदि पेडों पर यह छत्ते बडे होते है. फूलों के परागकण से दो प्रकार के शहद तैयार होते है. कुछ प्रमाण में पेटियों में भी शहद तैयार किया जाता है. आमझरी में बडे घनदार पेड है. इन पेडों पर मधुमक्खियां छत्ते तैयार करती है. जहां देखों वहां छत्ते नजर आते हैं. वहां शहद निकालने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त और खास रुप से तैयार पोशाक का उपयोग किया जाता है, ताकि मधुमक्खी के डंक से बचाव हो सके.