मजीप्रा के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जा रहा नियमों का उल्लंघन
परिचितों को लाभ पहुचाने के मकसद से मनमानी का आरोप

अमरावती/ दि. 2– सबसे पहले निविदा सूचना संख्या 51/2025) इस निविदा प्रपत्र की प्रथम बार जांच से पता चलता है कि मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता के आदेशानुसार प्रस्तुत निविदायें तकनीकी स्थिति की दृष्टि से बहुत बड़ी थीं. इस टेंडर में जनशक्ति की आपूर्ति के साथ-साथ न्यूनतम वित्तीय टर्नओवर, वित्तीय क्षमता और मुख्य रूप से कार्य अनुभव के संबंध में श्रम कानून और सरकारी पंजीकरण की अनिवार्यता की मांग नहीं की गई थी और अब तक यह मांग पिछले 7 वर्षों से अनिवार्य की जा रही थी. उक्त निविदा प्रपत्र सदस्य सचिव के कार्यालय के माध्यम से दिया गया था, लेकिन उसमें सारी जानकारी रखने के बाद यह खुलासा हुआ है कि सदस्य सचिव ने जानबूझकर परिपत्र को अपने वित्तीय हित के लिए आधार बनाया और अपने करीबी लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाना चाहा.
अमरावती विभाग में कार्यालय के माध्यम से प्रकाशित होने वाली छोटी-छोटी निविदाओं में भी अनुभव की आवश्यकता होती है. इसे दिखाते हुए इस बात पर ध्यान देना बेहद जरूरी है कि पुराने टेंडरों में एक ही काम को बार-बार टुकड़ों में बांटा जा रहा है और अब बड़े टेंडरों में एक ही तरह का काम किया जा रहा है. साथ ही तीन निविदाएं प्राप्त होने के बाद निविदा के नियम एवं शर्तों को मिलाकर निविदा प्रकाशित की गई, जिस निविदा धारक के पास निविदा क्षमता का वित्तीय टर्नओवर प्रमाण पत्र नहीं था तथा उसके पास अनुभव नहीं था, उसे तीन माह की लंबी अवधि के बाद निविदा में अमान्य घोषित कर दिया गया तथा उसी निविदा धारक की रेट शीट को एक ही दिन में अनुमोदित कर प्रकट कर दिया गया तथा 26.27% लोअर डोर की निविदा को वैध घोषित कर दिया गया है. साथ ही इस टेंडर में टेंडर धारक आर्थिक रूप से सक्षम है या नहीं, सरकारी नियमों और पूर्व नियमों के अनुसार बिड कैपेसिटी की जांच नहीं की गयी. इस प्रकार मजीप्रा में सभी नियम-कानूनों को हाथ में लेकर पद एवं सत्ता का दुरुपयोग कैसे किया जाए, यह समाज को सिखाया गया है. इस मामले की जांच करने की मांग नागरिकों ने की है.